खरीफ सीजन 2025-26 की बुवाई का ताजा हाल बताता है कि धान, दालों, और मोटे अनाजों की खेती में बढ़ोतरी हुई है, जबकि सोयाबीन और कपास जैसी नकदी फसलों में गिरावट देखी गई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की 5 सितंबर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, कुल बुवाई क्षेत्र 1096.65 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले साल के 1105.42 लाख हेक्टेयर से 8.77 लाख हेक्टेयर कम है। मानसून के उतार-चढ़ाव और बाजार भाव इस बदलाव की वजह रहे। आइए जानें प्रमुख फसलों की स्थिति और किसानों के लिए सलाह।
धान, दाल, और मोटे अनाज में उछाल
धान (चावल): धान की बुवाई 438.28 लाख हेक्टेयर में हुई, जो पिछले साल से 19.63 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। अच्छे मानसून और समय पर बुवाई ने इसमें बड़ा योगदान दिया।
दालें: दालों का क्षेत्र 116.40 लाख हेक्टेयर रहा, जो 1.94 लाख हेक्टेयर बढ़ा। उड़द (23.35 लाख हेक्टेयर, +2.01 लाख) और मूंग (34.22 लाख हेक्टेयर, +0.13 लाख) में बढ़ोतरी हुई, लेकिन तूर (45.19 लाख हेक्टेयर, -0.52 लाख) में मामूली कमी आई।
मोटे अनाज: मोटे अनाजों का क्षेत्र 191.71 लाख हेक्टेयर रहा, जो 12.09 लाख हेक्टेयर बढ़ा। मक्का (94.62 लाख हेक्टेयर, +10.32 लाख), ज्वार (+0.04 लाख), और रागी (+0.91 लाख) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
ये भी पढ़ें- GST सुधार का सीधा फायदा, ट्रैक्टर खरीद पर किसानों को 63,000 तक की बचत, कृषि मंत्री शिवराज सिंह का दावा
नकदी फसलों में गिरावट
तिलहन: तिलहन की बुवाई 186.98 लाख हेक्टेयर में हुई, जो 5.23 लाख हेक्टेयर कम है। सोयाबीन (120.32 लाख हेक्टेयर, -5.72 लाख) में बड़ी गिरावट देखी गई, जबकि अरंडी (+0.95 लाख) में बढ़ोतरी हुई। मूंगफली स्थिर रही।
कपास: कपास की बुवाई 109.17 लाख हेक्टेयर रही, जो 2.96 लाख हेक्टेयर कम है।
जूट और मेस्टा: इनका क्षेत्र 5.56 लाख हेक्टेयर रहा, जो 0.18 लाख हेक्टेयर कम है।
गन्ना: गन्ने की बुवाई 57.31 लाख हेक्टेयर में हुई, जो 1.64 लाख हेक्टेयर बढ़ी।
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के अनियमित वितरण और बाजार में नकदी फसलों के दाम में उतार-चढ़ाव ने किसानों को धान, दाल, और मोटे अनाजों की ओर प्रेरित किया। धान की बुवाई में बढ़ोतरी अच्छे मानसून और सरकार की एमएसपी नीति (2025-26 के लिए सामान्य धान का एमएसपी 2,369 रुपये/क्विंटल) का नतीजा है। वहीं, सोयाबीन और कपास में कमी बाजार की अनिश्चितता और क्षेत्र-विशिष्ट जलवायु परिस्थितियों के कारण हुई।
किसान भाइयों, खरीफ सीजन में धान, उड़द, मूंग, और मक्का की खेती पर ध्यान दें, क्योंकि इनकी मांग और सरकारी समर्थन मजबूत है। नकदी फसलों जैसे सोयाबीन और कपास में सावधानी बरतें; बाजार के रुझान और मिट्टी की स्थिति की जांच करें। कीट प्रबंधन के लिए फेरोमोन प्रपंच और जैव कीटनाशकों का उपयोग करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और डीबीटी पोर्टल पर सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाएं। सही योजना और देखभाल से इस सीजन में बंपर पैदावार और मुनाफा पक्का है।
ये भी पढ़ें- पूसा इंस्टीट्यूट की मानसून एडवाइजरी, धान और सब्जियों की फसल को बचाने के टिप्स