Soybean Sowing: खरीफ 2025 में देशभर में सोयाबीन की बुवाई ने नया रिकॉर्ड बनाया है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के मुताबिक, इस साल सोयाबीन का रकबा 119.69 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल से 2 फीसदी ज्यादा है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में बुवाई में खासी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन मध्य प्रदेश में कुछ इलाकों में किसानों ने मक्का की खेती को तरजीह दी है। मध्य प्रदेश, जो पिछले साल सोयाबीन उत्पादन में देश का बादशाह था, इस साल बुवाई में मामूली कमी देखी गई है।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुवाई का हाल
मध्य प्रदेश में इस साल सोयाबीन की बुवाई 51.9 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 52 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 25 जुलाई तक यह रकबा 51.04 लाख हेक्टेयर था। कुछ जिलों में किसानों ने सोयाबीन की जगह मक्का की खेती को चुना है। अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, बैतूल, हरदा, खंडवा और खरगोन जैसे जिलों में सोयाबीन का रकबा कम हुआ है, क्योंकि वहां मक्का की बुवाई बढ़ी है। लेकिन भोपाल, राजगढ़, रायसेन और बुरहानपुर में सोयाबीन की खेती में इजाफा हुआ है। SOPA के कार्यकारी निदेशक डी.एन. पाठक बताते हैं कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल की सेहत अच्छी है और पौधों की बढ़त भी सामान्य है।
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महाराष्ट्र और कर्नाटक में बढ़ा सोयाबीन का दबदबा
महाराष्ट्र में इस साल सोयाबीन की बुवाई 48.2 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 45 लाख हेक्टेयर से काफी ज्यादा है। सरकारी आंकड़े भी 48.24 लाख हेक्टेयर की बुवाई दिखाते हैं। हिंगोली, नांदेड़ और जलगांव जैसे जिलों में सोयाबीन का रकबा बढ़ा है, हालांकि नासिक और सतारा में कुछ किसानों ने मक्का, अरहर और कपास की खेती को चुना। दूसरी तरफ, कर्नाटक में सोयाबीन की बुवाई में 13 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी हुई है। वहां इस साल 4.22 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई, जो पिछले साल 3.73 लाख हेक्टेयर थी। इन राज्यों की बढ़त ने मध्य प्रदेश में हुई मामूली कमी को संतुलित कर दिया है।
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राजस्थान, गुजरात और तेलंगाना में बुवाई घटी
सोयाबीन की बुवाई में हर जगह बढ़ोतरी नहीं हुई। राजस्थान में इस साल रकबा घटकर 10.8 लाख हेक्टेयर रह गया, जो पिछले साल 11.12 लाख हेक्टेयर था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वहां बुवाई 9.7 लाख हेक्टेयर में हुई है। तेलंगाना में भी सोयाबीन का रकबा 1.54 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.46 लाख हेक्टेयर हो गया। गुजरात में भी बुवाई 3.01 लाख हेक्टेयर से कम होकर 2.56 लाख हेक्टेयर रह गई। इन राज्यों में किसानों ने दूसरी फसलों को तरजीह दी, जिससे सोयाबीन की खेती का रकबा कम हुआ। फिर भी, देशभर में कुल बुवाई में बढ़ोतरी एक सकारात्मक संकेत है।
SOPA के डी.एन. पाठक का कहना है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे प्रमुख राज्यों में सोयाबीन की फसल की हालत सामान्य और स्वस्थ है। पौधों की बढ़त अच्छी चल रही है, जो किसानों के लिए राहत की बात है। मध्य प्रदेश में भले ही कुछ इलाकों में मक्का की खेती बढ़ी हो, लेकिन भोपाल, राजगढ़ और बुरहानपुर जैसे जिलों में सोयाबीन की बुवाई में बढ़ोतरी से किसानों का भरोसा इस फसल पर बना हुआ है। यह फसल न सिर्फ तेल उत्पादन के लिए जरूरी है, बल्कि प्रोटीन का भी बड़ा स्रोत है।
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