प्रयागराज मंडल में खेती को नया रंग देने की तैयारी हो चुकी है। अब किसान रासायनिक खाद छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ सकते हैं। इसके लिए 12 क्लस्टर बनाए गए हैं, जहाँ किसानों को जैविक खेती के गुर सिखाए जाएँगे। संयुक्त निदेशक कृषि एसपी श्रीवास्तव ने बताया कि यह पहल न सिर्फ़ प्रयागराज, बल्कि प्रतापगढ़, कौशाम्बी, और फतेहपुर के किसानों के लिए भी है। इन क्लस्टरों में प्रशिक्षण लेकर किसान अपनी खेती को सस्ता और पर्यावरण के लिए बेहतर बना सकते हैं।
प्राकृतिक खेती से क्या फायदा?
प्राकृतिक खेती का मतलब है गोबर, गौमूत्र, और जीवामृत जैसे प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल। यह तरीका मिट्टी को उपजाऊ रखता है और पानी की खपत भी कम करता है। संयुक्त निदेशक ने बताया कि इससे किसानों की लागत घटेगी और फसलें ज़्यादा स्वस्थ होंगी। बाज़ार में जैविक अनाज और सब्ज़ियों की माँग बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छी कमाई का मौका मिलेगा। साथ ही, यह पर्यावरण को बचाने में भी मदद करता है। प्राकृतिक खेती से गाँव के लोग न सिर्फ़ अच्छा अनाज खाएँगे, बल्कि उनकी फसलों की कीमत भी बेहतर मिलेगी।
क्लस्टरों में क्या होगा खास?
प्रयागराज मंडल में कुल 51 क्लस्टर बनाए गए हैं। इनमें से 12 प्रयागराज में, 22 प्रतापगढ़ में, 10 कौशाम्बी में, और 7 फतेहपुर में हैं। इन क्लस्टरों में किसानों को जीवामृत, बीजामृत, और मल्चिंग जैसी तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी। यहाँ यह भी बताया जाएगा कि कम पानी और कम लागत में ज़्यादा पैदावार कैसे ली जाए। प्रशिक्षण के बाद किसान रासायनिक खादों से मुक्ति पा सकेंगे और जैविक खेती को बढ़ावा दे सकेंगे। यह योजना खास तौर पर उन छोटे किसानों के लिए बनाई गई है, जो खेती में नई तकनीक अपनाना चाहते हैं।
किसानों के लिए क्यों ज़रूरी?
प्राकृतिक खेती से न सिर्फ़ खेती की लागत कम होगी, बल्कि मिट्टी की सेहत भी बनी रहेगी। इससे उपजे अनाज और सब्ज़ियाँ बाज़ार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं। संयुक्त निदेशक एसपी श्रीवास्तव के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार मिलकर इस दिशा में बड़े कदम उठा रही हैं। प्रयागराज मंडल में 6,300 से ज़्यादा किसान इस योजना से जुड़ने को तैयार हैं। यह खेती को नया आयाम देगा और गाँवों में समृद्धि लाएगा।
प्राकृतिक खेती सीखने का यह सुनहरा मौका है। अपने नज़दीकी कृषि विभाग कार्यालय से संपर्क करें और क्लस्टरों में प्रशिक्षण के लिए रजिस्टर करें। रजिस्ट्रेशन जल्द शुरू होने वाला है। अपने खेतों को रासायनिक मुक्त करें और जैविक खेती की इस नई राह पर चल पड़ें। ज़्यादा जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि कार्यालय जाएँ या ऑनलाइन पोर्टल पर नज़र रखें।