खरीफ सीजन में प्याज की खेती पर 75% सब्सिडी, जानिए कैसे उठाएं इसका फायदा

राज्य सरकार ने प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्याज क्षेत्र विस्तार योजना 2025 शुरू की है। इस योजना के तहत प्याज उगाने वाले किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी, यानी प्रति हेक्टेयर 18,375 रुपये तक की आर्थिक मदद। कृषि विभाग ने इसके लिए 2 करोड़ 2 लाख 12,500 रुपये का बजट मंजूर किया है। खरीफ सीजन में प्याज की खेती को बढ़ाने और किसानों की कमाई को दोगुना करने का ये बड़ा मौका है। 18 जिलों के किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज और आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि प्याज का उत्पादन और उत्पादकता बढ़े। आइए, इस योजना की पूरी डिटेल जानते हैं।

75% सब्सिडी, गुणवत्तायुक्त बीज का तोहफा

बिहार सरकार का मकसद है कि प्याज की खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जाए। इसके लिए कृषि विभाग ने प्रति हेक्टेयर 24,500 रुपये की लागत तय की है, जिसमें से 75 प्रतिशत, यानी 18,375 रुपये, सब्सिडी के रूप में किसानों को मिलेंगे। प्याज की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 10 किलो बीज की जरूरत होगी, जिसकी कीमत 2450 रुपये प्रति किलोग्राम या वास्तविक दर (जो भी कम हो) पर दी जाएगी। ये बीज राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, पटना और बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड, पटना के जरिए उपलब्ध होंगे।

उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि ये बीज सत्यापित और उच्च गुणवत्ता वाले होंगे, ताकि किसानों को बेहतर पैदावार मिले। ये योजना छोटे, सीमांत, और बटाईदार किसानों के लिए भी खुली है। अगर आपके पास 0.25 एकड़ से 5 एकड़ तक की जमीन है, तो आप इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। बटाईदार किसानों को पट्टा या अनुबंध दिखाना होगा।

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18 जिलों में प्याज की खेती को नया जोश

इस योजना को बिहार के 18 जिलों में लागू किया जा रहा है, ताकि प्याज की खेती का दायरा बढ़े। इन जिलों में पटना, भागलपुर, बांका, बेगूसराय, भोजपुर, बक्सर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, रोहतास, समस्तीपुर, सारण, शेखपुरा, सीतामढ़ी, सिवान, वैशाली, दरभंगा, गोपालगंज, और लखीसराय शामिल हैं। इन इलाकों में प्याज की खेती पहले से होती है, लेकिन अब सरकार की मदद से इसे और बढ़ावा मिलेगा।

हाल के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 2023-24 में प्याज का उत्पादन 13.88 लाख टन था, जो पिछले साल से थोड़ा ज्यादा है। इस योजना से उत्पादन और बढ़ेगा, जिससे किसानों को मंडी में अच्छा दाम मिलेगा। खासकर खरीफ सीजन में, जब प्याज की मांग बढ़ती है, ये योजना किसानों की जेब भरने में मदद करेगी। अगर आप इन जिलों में खेती करते हैं, तो ये आपके लिए कमाई का सुनहरा मौका है।

आसान आवेदन, पहले आओ-पहले पाओ

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। आपको बिहार कृषि विभाग की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाना होगा। वहां “प्याज क्षेत्र विस्तार योजना” के लिंक पर क्लिक करें, अपनी 13 अंकों की डीबीटी रजिस्ट्रेशन संख्या डालें, और फॉर्म भरें। अगर आपके पास डीबीटी नंबर नहीं है, तो dbtagriculture.bihar.gov.in पर रजिस्टर करें।

जरूरी कागजात जैसे आधार कार्ड, खतौनी, बैंक पासबुक, और जमीन के कागजात तैयार रखें। बटाईदार किसानों को पट्टा या अनुबंध जमा करना होगा। आवेदन के बाद चयन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर होगा। अगर ऑनलाइन प्रक्रिया में दिक्कत हो, तो नजदीकी CSC सेंटर या वसुंधरा केंद्र पर जाकर भी आवेदन कर सकते हैं। कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि ये योजना बिहार को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।

प्याज की खेती बिहार में पहले से ही फायदेमंद है, लेकिन कीमतों में उतार-चढ़ाव और मौसम की मार से किसानों को नुकसान होता है। इस योजना से न सिर्फ खेती की लागत कम होगी, बल्कि गुणवत्तायुक्त बीज और सही समय पर सिंचाई से पैदावार बढ़ेगी। मंडी में प्याज की कीमतें पिछले साल 1200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक थीं, और इस योजना से किसान बेहतर दाम पा सकते हैं।

सौर ऊर्जा और स्मार्ट सिंचाई जैसी दूसरी योजनाओं के साथ मिलकर ये योजना खेती को और आसान बनाएगी। तो देर न करें, अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाएं, और इस योजना के लिए आवेदन करें। ये बिहार के किसानों के लिए न सिर्फ आर्थिक मदद है, बल्कि खेती को नई दिशा देने का मौका भी है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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