Longan ki kheti kaise karen: भारत में खेती की नई संभावनाओं का दौर शुरू हो चुका है, और लोंगन (Dimocarpus longan) उसी की एक शानदार मिसाल है। इसे ‘ड्रैगन आई’ के नाम से भी जाना जाता है, और इसका मीठा गूदा इसे खास बनाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने हाल ही में इस फल की खेती को बढ़ावा देने की सलाह दी है, जो किसानों के लिए नई आय का जरिया बन सकता है। थाईलैंड और चीन में मशहूर यह फल अब भारत के खेतों में भी अपनी जगह बना सकता है। आइए, जानते हैं कि लोंगन की खेती कैसे करें और इसे अपने खेत में सफल बनाएँ।
लोंगन क्या है और क्यों उगाएँ?
लोंगन एक उष्णकटिबंधीय फल है, जिसका गूदा पारदर्शी और मीठा होता है। इसका नाम ‘ड्रैगन आई’ इसलिए पड़ा क्योंकि इसके बीज के चारों ओर गूदा ऐसा दिखता है। यह जिंक और आयरन से भरपूर होता है, जो बच्चों की ग्रोथ और वयस्कों की सेहत के लिए फायदेमंद है। ICAR के मुताबिक, भारत में इसकी मांग बढ़ रही है, और सही तरीके से खेती करने पर यह मुनाफे का सौदा हो सकता है। अगर आप अपनी फसलों में विविधता लाना चाहते हैं, तो लोंगन आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है
ये भी पढ़ें- अब कंद नहीं, रोपाई से उगेंगे आलू बीज! विदेशी किस्मों पर काम कर रहा अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र
सही मौसम और मिट्टी का चयन- Longan ki kheti kaise karen
लोंगन की खेती के लिए सही माहौल चुनना पहला कदम है। ICAR सलाह देता है कि इसे 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले इलाकों में उगाएँ, जहाँ सर्दी कम हो। ज्यादा ठंड से पौधे को नुकसान हो सकता है, इसलिए गर्मी और बारिश का संतुलन जरूरी है। मिट्टी का pH 5.5-6.0 होना चाहिए, जो इसे उपजाऊ बनाए। अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर है। खेत में पौधों के बीच 6-8 मीटर की दूरी रखें, ताकि हवा और सूरज की रोशनी सभी पौधों तक पहुँचे। इससे पौधे मजबूत होंगे और फलने-फूलने में आसानी होगी।
कैसे करें लोंगन की खेती ? #OneICAR #ICAR @PMOIndia @ChouhanShivraj @PIB_India @AgriGoI @mygovindia pic.twitter.com/KYTHRdYZXF
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) July 4, 2025
पौध रोपण और देखभाल
लोंगन की खेती शुरू करने के लिए स्वस्थ पौध चुनें, जो ICAR से प्रमाणित नर्सरियों से मिल सकते हैं। पौध रोपण के लिए गड्ढे 1x1x1 मीटर के बनाएँ और उनमें जैविक खाद डालें। रोपण के बाद पहला साल पानी और खाद पर फोकस करें, क्योंकि पौधे को जड़ें मजबूत करने में वक्त लगता है। फूल आने में 5 महीने से एक साल तक लग सकता है, और फल पकने में और समय चाहिए। नियमित रूप से खरपतवार हटाएँ और कीटों से बचाव के लिए हल्का कीटनाशक छिड़काव करें। बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल जैसे राज्य इसके लिए उपयुक्त हैं।
ये भी पढ़ें- किसानों को 4 फसलों पर 50% सब्सिडी, पहली किस्त में सीधे मिलेंगे ₹30,000, जानिए पूरी योजना
फसल की उपज और कटाई
एक बार पौधा स्थापित हो जाए, तो एक पौधे से सालाना 100-120 किलो फल मिल सकते हैं। ICAR के अनुसार, फल कटाई के लिए सही समय तब है जब वे पूरी तरह पके हों और रंग सुनहरा-भूरा हो जाए। कटाई के बाद फलों को ठंडी जगह पर रखें ताकि उनकी ताजगी बनी रहे। बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है, इसलिए सही पैकिंग से अच्छा दाम मिल सकता है। शुरुआती 3-4 साल मेहनत लगेगी, लेकिन बाद में ये फसल लगातार मुनाफा देगी।
चुनौतियाँ और समाधान
लोंगन की खेती में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। ज्यादा बारिश से फूल झड़ सकते हैं, इसलिए ड्रेनेज का ध्यान रखें। कीटों जैसे फल मक्खियों से बचाव के लिए जाल या प्राकृतिक उपाय अपनाएँ। अगर मिट्टी में पोषक तत्व कम हों, तो समय-समय पर खाद डालें। ICAR की ट्रेनिंग और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह से ये समस्याएँ आसानी से हल हो सकती हैं।
लोंगन से बदलें अपनी खेती
लोंगन की खेती गाँवों में नई उम्मीद लेकर आई है। सही मौसम, मिट्टी और देखभाल से ये फसल सेहत और कमाई दोनों देगी। आज से पौध लगाएँ, ICAR की गाइडलाइन फॉलो करें, और अपने खेत को लोंगन के मीठे फलों से भर दें। आने वाले समय में ये फल भारत के बाजार में अपनी पहचान बना सकता है, तो देर किस बात की? अपनी खेती को नई दिशा दें और मुनाफे की फसल उगाएँ।
ये भी पढ़ें- कासगंज में उग रहा है सेब जैसा आम! विदेशी वैरायटी डायबिटीज रोगियों के लिए भी फायदेमंद