iTrapper Light Trap: कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए गुलाबी सुंडी हमेशा से बड़ी मुसीबत रही है। यह कीट फसल को तेजी से नष्ट कर देता है, जिससे मेहनत और लागत पर पानी फिर जाता है। लेकिन अब हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी डेल्टा थिंग्स प्राइवेट लिमिटेड ने एक नई तकनीक पेश की है, जो गुलाबी सुंडी जैसे हानिकारक कीटों का सफाया करेगी।
इस तकनीक का नाम है iTrapper, एक खास लाइट ट्रैप, जो प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PJTSAU) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर बनाया गया है। यह ट्रैप न सिर्फ कपास बल्कि धान और बागवानी फसलों को भी कीटों से बचाएगा, वो भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना।
iTrapper कैसे है खास
बाजार में पहले से मौजूद लाइट ट्रैप्स के मुकाबले iTrapper कई मायनों में अलग है। आम तौर पर लाइट ट्रैप्स अच्छे और बुरे कीटों में अंतर नहीं कर पाते, जिससे फसलों के लिए फायदेमंद कीट भी मर जाते हैं। लेकिन iTrapper में ऐसी तकनीक है, जो सिर्फ हानिकारक कीटों, जैसे गुलाबी सुंडी, को निशाना बनाती है और फायदेमंद कीटों को छोड़ देती है।
यह ट्रैप लंबे समय तक काम करता है, जबकि पुराने ट्रैप्स कुछ ही घंटों में बंद हो जाते हैं। डेल्टा थिंग्स के इस ट्रैप ने 15,000 से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचाया है और करीब 50 लाख रुपये की कमाई की है।
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वैज्ञानिक तकनीक से कीटों पर नकेल
डेल्टा थिंग्स के संस्थापक राजशेखर रेड्डी पल्ला बताते हैं कि iTrapper को बनाने से पहले दो साल तक कपास और धान की फसलों में कीटों के व्यवहार पर गहन अध्ययन किया गया। इस ट्रैप में यूवी और विजिबल लाइट का इस्तेमाल होता है, जो खास तरह की लाइट तरंगें छोड़ता है। यह लाइट हानिकारक कीटों को अपनी ओर खींचती है और उन्हें फंसा लेती है।
ट्रैप में IoT तकनीक और माइक्रोकंट्रोलर लगा है, जो फसल और कीट के हिसाब से लाइट को कंट्रोल करता है। उदाहरण के तौर पर, कपास में गुलाबी सुंडी सूर्यास्त के बाद दो-तीन घंटे सक्रिय रहती है, तब यह ट्रैप चालू होता है। जब फायदेमंद कीट सक्रिय होते हैं, तो यह अपने आप बंद हो जाता है।
कपास किसानों के लिए राहत
गुलाबी सुंडी कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचाती है। यह कीट फूलों और हरी कली में अंडे देता है, और इसका लार्वा बीज खाकर फसल को बर्बाद कर देता है। पारंपरिक कीटनाशक इसकी रोकथाम में कम प्रभावी हैं, क्योंकि यह कली के अंदर छिपा रहता है। iTrapper इस समस्या का सटीक हल देता है।
यह ट्रैप खास लाइट तरंगों के जरिए गुलाबी सुंडी को फंसाता है, जिससे फसल सुरक्षित रहती है। साथ ही, यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है, क्योंकि इसमें रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता। बागवानी फसलों में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है, जिससे फल और सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भी फायदा होगा।
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पर्यावरण और लागत दोनों में फायदा
iTrapper का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम करता है। इससे न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि किसानों की लागत भी घटती है। जयशंकर तेलंगाना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रामगोपाल वर्मा के अनुसार, यह ट्रैप फसलों की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने में मदद करता है, क्योंकि यह फायदेमंद कीटों को नुकसान नहीं पहुंचाता।
डेल्टा थिंग्स अब इस तकनीक को और बेहतर करने के लिए काम कर रहा है, जैसे मछली पालन में मेफ्लाई को आकर्षित करने के लिए खास लाइट तरंगों का उपयोग। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने भी इसकी तारीफ की है।
iTrapper की खासियत यह है कि इसे इस्तेमाल करना आसान है। यह सौर ऊर्जा से भी चल सकता है, जिससे बिजली की जरूरत कम होती है। डेल्टा थिंग्स ने इसे और उन्नत बनाने के लिए ब्लूटूथ, मोबाइल ऐप और क्लाउड कनेक्टिविटी जैसे फीचर्स जोड़े हैं, जो किसानों को कीटों की निगरानी और भविष्यवाणी में मदद करते हैं।
यह तकनीक न सिर्फ कपास बल्कि बागवानी और धान की खेती करने वाले किसानों के लिए भी वरदान साबित हो सकती है। सरकार और कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से यह तकनीक जल्द ही बड़े स्तर पर उपलब्ध होगी, जिससे किसानों की मेहनत और फसल दोनों सुरक्षित रहेंगी।
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