उत्तर प्रदेश सरकार ने गाँवों में हरियाली और रोजगार को बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मनरेगा योजना के तहत 2025 में पूरे प्रदेश में 12.5 करोड़ पौधे लगाने का अभियान शुरू हो रहा है। इसे ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ नाम दिया गया है, जो न सिर्फ़ पर्यावरण को बचाएगा, बल्कि मातृ वंदना की भावना को भी गाँव-गाँव तक ले जाएगा। इस अभियान में सहजन जैसे पौधों को खास तवज्जो दी जा रही है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है। साथ ही, किसान भाइयों को पौधरोपण और देखभाल के काम में रोजगार मिलेगा।
लखीमपुर खीरी में सबसे ज्यादा पौधरोपण
इस मेगा अभियान में लखीमपुर खीरी को सबसे बड़ा लक्ष्य मिला है। यहाँ 42 लाख पौधे लगाने की योजना है। ग्राम्य विकास विभाग ने पूरे प्रदेश में 1.89 लाख से ज्यादा जगहों का चयन किया है, जहाँ स्थानीय जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखकर पौधे लगाए जाएंगे। लखीमपुर खीरी में नदियों और जंगलों की मौजूदगी इसे पौधरोपण के लिए खास बनाती है।
यहाँ की उपजाऊ मिट्टी और बरसात का मौसम पौधों के लिए अनुकूल है। सोनभद्र और हरदोई भी इस अभियान में बड़े पैमाने पर हिस्सा लेंगे। इन इलाकों में किसान भाई पौधरोपण के काम में शामिल होकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
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सहजन के पौधे: पोषण और पर्यावरण का साथी
सरकार ने इस अभियान को पोषण सुरक्षा से जोड़ा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के हर लाभार्थी को दो-दो सहजन के पौधे दिए जाएंगे। सहजन का पेड़ गाँवों में बहुत उपयोगी है। इसकी पत्तियाँ, फलियां, और छाल औषधीय गुणों से भरपूर हैं। यह कुपोषण से लड़ने में मदद करता है और इसकी पत्तियों को सब्जी या हर्बल चाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
सहजन का पेड़ कम पानी और देखभाल में भी तेजी से बढ़ता है, जिससे यह बरसात के मौसम में आसानी से उगाया जा सकता है। यूपी के किसान इसे अपने खेतों या घर के आसपास लगाकर पर्यावरण और सेहत, दोनों का फायदा उठा सकते हैं।
मनरेगा से रोजगार का मौका
यह पौधरोपण अभियान मनरेगा योजना के तहत चलाया जा रहा है, जिसमें गाँव के लोगों को रोजगार मिलेगा। पौधे लगाने, उनकी सिंचाई करने, ट्री गार्ड लगाने, और देखभाल करने के काम में किसान और मजदूर भाई-बहन शामिल होंगे। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।
खासकर लखीमपुर खीरी, सोनभद्र, और हरदोई जैसे इलाकों में, जहाँ बड़े पैमाने पर पौधरोपण होगा, रोजगार के अवसर ज्यादा होंगे। किसान भाई इस अभियान में हिस्सा लेकर न सिर्फ़ पैसे कमा सकते हैं, बल्कि अपने गाँव को हरा-भरा भी बना सकते हैं।
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पौधों की देखभाल का पक्का इंतजाम
सरकार ने साफ कर दिया है कि यह अभियान सिर्फ़ पौधे लगाने तक सीमित नहीं रहेगा। पौधों की लंबे समय तक देखभाल और संरक्षण पर खास ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए हर जिले में ट्री गार्ड, सिंचाई, और निगरानी की व्यवस्था की गई है। ग्राम्य विकास विभाग ने स्थल चयन, पौधों की किस्म, और तकनीकी निगरानी की पूरी रूपरेखा तैयार की है।
सहजन जैसे पौधों को उगाने के लिए बरसात का मौसम सबसे अच्छा है, क्योंकि इनकी जड़ें आसानी से जम जाती हैं। किसान भाइयों को सलाह है कि वे इस अभियान में शामिल हों और अपने खेतों या गाँव की जमीन पर पौधों की देखभाल करें।
हरियाली और सम्मान का संगम
‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान सिर्फ़ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि मातृ वंदना की भावना को भी बढ़ावा देता है। यह गाँव के लोगों को अपने परिवार और प्रकृति से जोड़ने का एक खास मौका है। लखीमपुर खीरी जैसे इलाकों में, जहाँ 42 लाख पौधे लगाए जाएंगे, किसान भाई इस अभियान का हिस्सा बनकर अपने गाँव को हरा-भरा बना सकते हैं। सहजन जैसे पौधों से न सिर्फ़ पर्यावरण को फायदा
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