कुफरी अशोक आलू: सिर्फ 80 दिन में तैयार, 250 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज! अगैती खेती से मुनाफा ही मुनाफा

किसान भाइयों, आलू भारत की सबसे लोकप्रिय और ज्यादा उगाई जाने वाली सब्जी है। रसोई से लेकर बाजार तक, आलू हर जगह छाया रहता है। सामान्यतः इसकी बुवाई अक्टूबर-नवंबर में होती है, लेकिन कुफरी अशोक आलू जैसी अगैती किस्म ने जुलाई-अगस्त में खेती की राह आसान कर दी है। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI), शिमला द्वारा 1996 में विकसित कुफरी अशोक 70-80 दिन में पककर 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। यह किस्म मैदानी और पूर्वी भारत, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, और असम के लिए आदर्श है। इसका हल्का पीला गूदा और उबालने में शानदार स्वाद इसे खाने और बिक्री के लिए खास बनाता है।

कुफरी अशोक आलू की खास विशेषताएँ

कुफरी अशोक आलू एक उन्नत अगैती किस्म है, जो तेजी से अंकुरित होती है और 70-80 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म मध्यम आकार के अंडाकार कंद देती है, जिनकी त्वचा सफेद और चिकनी होती है। इसका गूदा हल्का पीला होता है, जो खाना पकाने और प्रोसेसिंग के लिए उपयुक्त है। यह किस्म झुलसा रोग (लेट ब्लाइट) और कटवर्म जैसे कीटों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, जिससे रासायनिक खर्च कम होता है।

प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल की उपज क्षमता इसे किसानों के लिए फायदेमंद बनाती है। कुछ अनुकूल परिस्थितियों में यह 270 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज दे सकती है। उत्तर प्रदेश के मेरठ में किसानों ने इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 5 लाख रुपये तक की कमाई की। यह किस्म कम समय में बिक्री के लिए तैयार हो जाती है, जिससे सितंबर-अक्टूबर में अच्छा मंडी भाव मिलता है।

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खेती का सही तरीका

कुफरी अशोक आलू की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त है। खेत को दो बार जोतकर समतल करें और प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर खाद डालें। बुवाई के लिए 25-30 क्विंटल प्रमाणित बीज लें, जिनका आकार 40-50 ग्राम हो। बीज को बुवाई से पहले जिबरेलिक एसिड (1 ग्राम/10 लीटर पानी) में 1 घंटे भिगोएँ, फिर छाया में सुखाकर मैनकोजेब (5 ग्राम/लीटर) से उपचारित करें। यह जड़ सड़न और काली रुसी (राइजोक्टोनिया सोलानी) से बचाता है।

पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंटीमीटर और बीज से बीज की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें। जुलाई-अगस्त में बुवाई करें, ताकि सितंबर-अक्टूबर में फसल तैयार हो। प्रति हेक्टेयर 120 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फॉस्फोरस, और 80 किलो पोटाश डालें। आधी नाइट्रोजन बुवाई के समय और बाकी 30 दिन बाद दें। जल निकासी का पक्का इंतजाम करें और हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें।

रोग और कीटों से बचाव

कुफरी अशोक आलू झुलसा रोग और कटवर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, लेकिन सावधानी जरूरी है। बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किलो बीज) या वीटावैक्स पावर (3 ग्राम/किलो) से उपचारित करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए मेट्रिब्यूजिन (0.5 किलो/हेक्टेयर) का प्री-इमर्जेंस छिड़काव करें। झुलसा रोग से बचाव के लिए मैंकोजेब (2.5 ग्राम/लीटर) का छिड़काव 40-45 दिन बाद करें।

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माहूँ जैसे कीटों से बचाव के लिए एसीटामिप्रिड 20 एस.पी. (0.5 ग्राम/लीटर) का उपयोग करें। पौधों पर मिट्टी चढ़ाना जरूरी है, ताकि कंद हरे न हों, क्योंकि सूर्य की रोशनी से सोलेनिन बनता है, जो स्वाद को कसैला और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाता है। मिट्टी चढ़ाने का काम बुवाई के 25-30 दिन बाद करें। पश्चिम बंगाल के हुगली में किसानों ने इन उपायों से उपज 15% बढ़ाई।

मुनाफे का सुनहरा रास्ता

कुफरी अशोक आलू की अगैती खेती किसानों को जल्दी बाजार में फसल बेचने का मौका देती है। सितंबर-अक्टूबर में मंडी भाव 20-30 रुपये/किलो रहता है, जिससे प्रति हेक्टेयर 4-6 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 50,000-60,000 रुपये/हेक्टेयर आती है, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है।

यह किस्म प्रोसेसिंग उद्योगों में भी लोकप्रिय है, क्योंकि इसका स्टार्च कंटेंट 16-18% होता है। किसान भाई CPRI केंद्र, शिमला, या नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय से प्रमाणित बीज और सलाह लें। कुफरी अशोक आलू की खेती से कम समय में बंपर मुनाफा कमाएँ और अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।

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  • Rahul

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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