खरीफ बुवाई में इस साल 7% की बढ़त, लेकिन बारिश बनी चुनौती

देश में इस साल मानसून का मिजाज कुछ बिगड़ा-बिगड़ा सा रहा, लेकिन फिर भी खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल से बेहतर स्थिति में है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 11 जुलाई तक देशभर में 597.86 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है। यह पिछले साल की तुलना में 7 फीसदी ज्यादा है, जब इसी समय तक 560.59 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। लेकिन बारिश का असमान बंटवारा कुछ इलाकों में किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। आइए, जानते हैं कि इस साल खरीफ फसलों की बुवाई का हाल कैसा है और बारिश का क्या असर पड़ रहा है।

बारिश का असमान बंटवारा बना चुनौती

इस बार मानसून ने देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रंग दिखाए हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 1 से 14 जुलाई के बीच पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में बारिश 36 फीसदी कम रही, जबकि दक्षिणी भारत में भी 22 फीसदी की कमी देखी गई। दूसरी ओर, मध्य भारत में 49 फीसदी और उत्तर-पश्चिम भारत में 20 फीसदी ज्यादा बारिश हुई।

मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे बड़े कृषि राज्यों के कई जिलों में भारी बारिश ने बुवाई को प्रभावित किया है। जुलाई के पहले हफ्ते में बुवाई की रफ्तार तेज थी, लेकिन दूसरे हफ्ते में यह धीमी पड़ गई। पहले हफ्ते में 180 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई, लेकिन अगले हफ्ते यह घटकर 160 लाख हेक्टेयर रह गई। इसका कारण भारी बारिश और कुछ इलाकों में कम बारिश रहा।

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धान और दलहन की बुवाई में बढ़त

खरीफ फसलों में धान और दलहन ने इस साल किसानों को राहत दी है। धान की बुवाई में 10.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, और यह 123.68 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गई है। पिछले साल इस समय तक धान 111.85 लाख हेक्टेयर में बोया गया था। दलहन फसलों की बुवाई में तो और भी जबरदस्त उछाल आया है। इस साल 67.09 लाख हेक्टेयर में दलहन बोया गया, जो पिछले साल के 53.39 लाख हेक्टेयर से 25.7 फीसदी ज्यादा है। खासकर मूंग की बुवाई दोगुनी होकर 23.16 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गई है। हालांकि, अरहर की बुवाई अभी 6.5 फीसदी पीछे है। मोटे अनाज जैसे मक्का, ज्वार और बाजरा भी पिछले साल से आगे हैं, और इनका रकबा 16.6 फीसदी बढ़कर 116.3 लाख हेक्टेयर हो गया है।

तिलहन और कपास में चिंता

सारी फसलों में बढ़त नहीं दिखी है। तिलहन की बुवाई इस साल 2 फीसदी कम होकर 137.27 लाख हेक्टेयर रह गई है। इसमें सबसे बड़ा कारण सोयाबीन की बुवाई में 8 फीसदी की गिरावट है। पिछले साल इस समय तक तिलहन 139.82 लाख हेक्टेयर में बोया गया था। कपास की बुवाई भी 2.5 फीसदी कम होकर 92.83 लाख हेक्टेयर पर आ गई है। इन फसलों की बुवाई में कमी का कारण कुछ इलाकों में कम बारिश और कुछ में ज्यादा बारिश रही। मूंगफली की बुवाई 32.99 लाख हेक्टेयर और सूरजमुखी की 49,000 हेक्टेयर में हुई है।

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सितंबर की बारिश होगी अहम

कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि बारिश का बुवाई पर बड़ा असर पड़ता है। अगर बारिश कम हो या ज्यादा हो, दोनों ही फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इस साल भले ही बुवाई के आंकड़े अच्छे हों, लेकिन सितंबर में होने वाली बारिश पर सबकी नजर रहेगी। ज्यादा बारिश होने पर दलहन और तिलहन जैसी फसलों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि इस समय फसलें पकने की अवस्था में होती हैं। अगर बारिश का बंटवारा ठीक रहा, तो किसान इस साल भी बंपर फसल की उम्मीद कर सकते हैं। गन्ने की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है और इसका रकबा 55.16 लाख हेक्टेयर पर स्थिर है।

किसान क्या करें?

मानसून की अनिश्चितता को देखते हुए किसानों को कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए। जिन इलाकों में बारिश कम हुई है, वहाँ छोटी अवधि की फसलों या सूखा सहन करने वाली किस्मों का चयन करना चाहिए। ज्यादा बारिश वाले इलाकों में खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए नालियों की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही, सरकार और कृषि वैज्ञानिकों की सलाह मानकर बुवाई और फसल प्रबंधन करना चाहिए। बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कम बारिश ने धान की बुवाई को प्रभावित किया है, लेकिन मध्य भारत में अच्छी बारिश ने बुवाई को रफ्तार दी है।

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  • Rahul

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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