Asli Aur Nakli Khad Ki Pehchan: किसान भाइयों, खेती हमारी रोज़ी-रोटी है और फसल हमारी सबसे बड़ी दौलत। लेकिन कई बार नकली खाद के चक्कर में हमारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। आजकल बाज़ार में नकली यूरिया और दूसरी खादें बिक रही हैं, जो फसल को कमज़ोर करती हैं और पैसा भी बर्बाद कर देती हैं। इसलिए जरूरी है कि हम असली और नकली खाद की पहचान कर लें, ताकि खेत को पूरा पोषण मिले और फसल लहलहाए। ये जानकारी भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से दी गई है, जो हमारे खेतों की रक्षा के लिए एक बड़ा सहारा है। आइए, जानते हैं कि कैसे नकली खाद से बचें और असली खाद से फायदा उठाएँ।
नकली खाद का खतरा
नकली खाद खेत के लिए जहर की तरह होती है। कई दुकानदार सस्ते में नकली यूरिया बेचते हैं, जो बाहर से देखने में भले ही ठीक लगे, लेकिन अंदर से खोखली होती है। अगर खाद में मिट्टी जैसी महक हो, दाने टूटे-फूटे या हल्के हों, तो समझ जाइए कि ये नकली है। कई बार ये खाद पानी में पूरी तरह नहीं घुलती और खेत में डालने के बाद भी फसल पर असर नहीं दिखता। गाँव में कई भाइयों ने बताया कि नकली खाद से उनकी धान या गेहूँ की फसल पीली पड़ गई थी। ऐसे में नुकसान तो होता ही है, साथ में समय और पैसा भी बर्बाद हो जाता है।
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असली खाद की खासियतें
असली खाद की पहचान करना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस थोड़ा ध्यान देना पड़ता है। असली यूरिया के दाने क्रिस्टल जैसे चमकदार और गोल होते हैं, जो सफेद और चिकने दिखते हैं। इसे हाथ में लेकर देखें अगर ये भारी और साफ लगे, तो समझ जाइए कि असली है। ये खाद पानी में आसानी से घुल जाती है और खेत में डालने के बाद फसल को जल्दी ताकत देती है। असली खाद में कोई गंदगी या मिट्टी का अंश नहीं होता, न ही इसमें कोई अजीब सी महक होती है।
खरीदते वक्त सावधानियाँ
खाद खरीदते वक्त दुकान पर पहुँचकर पहले पैकेट को अच्छे से चेक करें। देखें कि उस पर सरकार का लोगो, मैन्युफैक्चरिंग डेट, और एक्सपायरी डेट साफ लिखा हो। अगर पैकेट फटा हुआ या सील टूटी हुई हो, तो उसे लेने से बचें। गाँव में कई बार दुकानदार पुरानी या नकली खाद मिला देते हैं, इसलिए हमेशा थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खरीदें और पहले अपने खेत में ट्रायल करें। अगर फसल में असर न दिखे, तो तुरंत अपने इलाके के कृषि केंद्र से शिकायत करें। सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन 1800-180-1551 शुरू की है, जो सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक काम करती है। इस नंबर पर कॉल करके आप नकली खाद की शिकायत कर सकते हैं।
असली खाद का सही इस्तेमाल फसल को लहलहाता बनाता है। यूरिया को खेत में डालने से पहले मिट्टी को थोड़ा गीला कर लें, ताकि खाद अच्छे से मिल जाए और पौधों तक पहुँचे। बारिश के मौसम में खाद को मिट्टी में मिलाकर जोत दें, वरना बारिश के पानी में बह जाएगी। गाँव के बुजुर्ग सलाह देते हैं कि खाद को सीधे पौधों की जड़ों पर न डालें, इससे जड़ें जल सकती हैं। थोड़ा-थोड़ा करके डालें और फसल की ग्रोथ पर नज़र रखें। अगर आप धान या गेहूँ उगा रहे हैं, तो बोआई के 15-20 दिन बाद खाद डालें।
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नकली खाद से होने वाले नुकसान
नकली खाद का असर धीरे-धीरे दिखता है, लेकिन ये फसल और मिट्टी दोनों को नुकसान पहुँचाती है। इससे पौधे कमज़ोर पड़ते हैं, पत्तियाँ पीली हो जाती हैं, और फसल का दाना भी कम निकलता है। कई बार तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है, जिससे किसान भाइयों का साल भर का नुकसान हो जाता है। मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है, क्योंकि नकली खाद में जरूरी पोषक तत्व नहीं होते। गाँव में एक किसान ने बताया कि नकली खाद के चक्कर में उनकी आधी फसल चौपट हो गई थी। ऐसे में सावधानी ही बचाव है खरीदते वक्त हर पहलू पर नज़र रखें।
खाद के अलावा फसल की देखभाल में और भी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। खेत में खरपतवार हटाएँ, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। अगर बारिश ज़्यादा हो, तो खेत में पानी जमा न होने दें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। असली खाद डालने के बाद 7-10 दिन तक मिट्टी को हल्का गीला रखें, इससे खाद का असर बढ़ता है। गाँव की औरतें अक्सर खेत में घूमकर पौधों की हालत चेक करती हैं ये आदत आप भी अपनाएँ। अगर कोई पौधा कमज़ोर लगे, तो उसे निकाल दें ताकि बाकी फसल सुरक्षित रहे। ये छोटी-छोटी सावधानियाँ फसल को बंपर बनाने में मदद करेंगी।
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