टूना मछली भारत में ही नहीं, दुनियाभर में खूब पसंद की जाती है। इसकी स्वादिष्टता और सेहतमंद गुणों के कारण विदेशी बाजारों में अच्छी कीमत मिलती है। भारत की समुद्री सीमा में टूना, खासकर येलोफिन और स्किपजैक, प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। लक्षद्वीप जैसे क्षेत्र टूना का खजाना हैं, लेकिन गहरे समुद्र में पकड़ने और ताजा रखने की चुनौतियों के कारण इसका पूरा फायदा नहीं उठाया जा रहा। केंद्र सरकार अब टूना कारोबार को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है। आइए, जानते हैं कि टूना मछली का निर्यात मछुआरों के लिए क्यों खास है।
भारत में टूना की प्रचुरता
भारत का समुद्री क्षेत्र टूना मछली का खजाना है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में लगभग 2.13 लाख टन टूना मछली उपलब्ध है, जिसमें 54% येलोफिन, 40% स्किपजैक, और 6% बिगआई टूना शामिल है। लक्षद्वीप के समुद्र में करीब 1 लाख टन टूना और इतनी ही मात्रा में शार्क जैसी मछलियाँ मौजूद हैं। फिर भी, भारत में हर साल सिर्फ 25,000 टन टूना ही पकड़ी जाती है, जो कुल संभावित मात्रा का छोटा हिस्सा है। भारतीय बाजारों में टूना 150 से 500 रुपये प्रति किलो तक बिकती है, जबकि अटलांटिक ब्लूफिन टूना जैसे प्रीमियम प्रकार 10-12 लाख रुपये प्रति किलो तक के दाम पर बिक सकते हैं।
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लक्षद्वीप: टूना का गढ़
लक्षद्वीप में टूना पकड़ने के लिए पोल-एंड-लाइन तकनीक का इस्तेमाल होता है, जो पर्यावरण के लिए अनुकूल है। यहाँ 80% पकड़ स्किपजैक टूना की होती है, जो छोटे आकार और तेज प्रजनन के कारण टिकाऊ है। येलोफिन टूना भी पकड़ी जाती है, लेकिन गहरे समुद्र में होने के कारण आधुनिक उपकरणों की कमी है। लक्षद्वीप का पारंपरिक उत्पाद ‘मासमिन’ (सूखा टूना) श्रीलंका, जापान, और खाड़ी देशों में लोकप्रिय है। मिनिकॉय में टूना कैनिंग फैक्ट्री है, जिसे और आधुनिक करने की योजना है।
पकड़ने और ताजा रखने की चुनौती
टूना को गहरे समुद्र से पकड़ना और ताजा रखना बड़ी चुनौती है। मछली पकड़ने में 6-7 दिन लगते हैं, जिससे ताजगी कम हो जाती है। मालदीव की टूना को 8 डॉलर प्रति किलो मिलते हैं, लेकिन भारत में कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण कम दाम मिलते हैं। ओवरफिशिंग से येलोफिन टूना का स्टॉक भी खतरे में है। इसे बचाने के लिए टिकाऊ प्रबंधन जरूरी है।
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निर्यात की बढ़ती संभावनाएँ
2023-24 में भारत ने 51,626 टन टूना निर्यात किया, जिसकी कीमत 87.96 मिलियन डॉलर थी। वैश्विक टूना मार्केट 41.94 बिलियन डॉलर का है, और भारत 21% हिस्सा देता है। यूरोप, अमेरिका, और जापान में पोल-एंड-लाइन टूना की माँग बढ़ रही है। सरकार लक्षद्वीप और अंडमान को निर्यात हब बनाने पर काम कर रही है। 2025-26 के बजट में समुद्री क्षेत्र के लिए बड़ा निवेश है।
टूना कारोबार को बढ़ाने के लिए बड़ी नावें, लॉन्ग लाइन गियर, और कोल्ड स्टोरेज चाहिए। MPEDA ने नावों को लॉन्ग लाइनर में बदलने की योजना शुरू की है। मछुआरों को प्रशिक्षण और बेहतर प्रोसेसिंग यूनिट की जरूरत है। WWF-India और IPNLF लक्षद्वीप में टिकाऊ मछली पकड़ने पर काम कर रहे हैं।
टूना के स्वास्थ्य लाभ
टूना में कैल्शियम, विटामिन-डी, और ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर हैं, जो हड्डियों, दिल, और आँखों के लिए फायदेमंद हैं। यह वजन घटाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है। इसकी माँग कैनिंग और साशिमी में बढ़ रही है।
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