UP Fertilizer Distribution Issue: लखीमपुर खीरी जिले में एक सघन सहकारी समिति पर एक बोरी यूरिया खाद लेने गए एक किसान को यूरिया खाद की जगह पुलिस ने उसकी लाठियों से पिटाई कर दी, भदूरा सहकारी समिति पर सुबह से किसानों की भीड़ जमा थी, लेकिन जितेंद्र और राजकिशोर को खाद नहीं मिली। स्थानीय लोगों का कहना है कि रसूखदारों को प्राथमिकता दी गई, जिससे नाराजगी बढ़ी। बहस के दौरान फरधान थाने की पुलिस ने हस्तक्षेप किया और जितेंद्र-राजकिशोर को उनकी मां के सामने पीटा। मां राजकुमारी ने बचाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें भी धक्का देकर हटा दिया।
इस घटना का वीडियो वहां मौजूद लोगों ने बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया, जिससे गुस्सा चारों तरफ फैल गया। देहाती किसान कहते हैं कि खाद की किल्लत और भेदभाव ने उनकी जिंदगी मुश्किल कर दी है।
डीएम का बयान और खाद वितरण की स्थिति
लखीमपुर खीरी की डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है। जून के अंत और जुलाई के पहले हफ्ते में आपूर्ति में रुकावट आई थी, जिससे भ्रम फैला, लेकिन अब कोऑपरेटिव और प्राइवेट डीलरों के पास पर्याप्त स्टॉक है। उन्होंने बताया कि पुलिस की निगरानी में खाद वितरित की जा रही है और खतौनी के आधार पर निर्धारित मात्रा में दी जा रही है, ताकि सभी किसानों को बराबर मौका मिले। डीएम ने माना कि भेदभाव की शिकायतों से तनाव बढ़ता है, और उसी वजह से यह घटना हुई। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सभी एसडीएम, जिला कृषि अधिकारी और गन्ना अधिकारियों को निर्देश दिए कि खाद का वितरण निरंतर और निष्पक्ष हो।
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कालाबाजारी और छोटे किसानों की चिंता
डीएम ने यह भी कहा कि कुछ लोग खाद स्टॉक कर रहे हैं, जिससे दिक्कतें आ रही हैं। छोटे किसानों को वंचित न करने के लिए हर फसल और रकबे के हिसाब से मानक तय किए गए हैं। कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त नियम लागू हैं, और अधिकारियों को समय पर वितरण सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं। देहाती भाइयों का कहना है कि अगर खतौनी चेक करके खाद बांटी जाए, तो उनकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। 18 जुलाई 2025, सुबह 7:23 AM IST के इस बारिश के मौसम में खेत तैयार हैं, लेकिन खाद की सही व्यवस्था नहीं होने से चिंता बढ़ रही है।
कृषि मंत्री का रुख और जांच
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने 17 जुलाई 2025 को लखीमपुर का दौरा किया और अधिकारियों से लिखित में खाद स्टॉक की जानकारी ली। मीडिया से बातचीत में उन्होंने शक जताया कि भारत-नेपाल सीमा से सटे जिलों में खाद की तस्करी हो रही हो सकती है। आज तक से बातचीत में उन्होंने कहा कि लखीमपुर, पीलीभीत, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जैसे जिलों में रिटेलरों के स्टॉक की जांच होगी। यह भी देखा जाएगा कि कितने किसानों को खाद मिली और किन-किन को वंचित रखा गया। उनकी यह पहल खाद वितरण में पारदर्शिता लाने की कोशिश है।
देहाती किसान सुझाव देते हैं कि अगर पुलिस को खाद वितरण में शामिल करना ही है, तो उसे किसानों के साथ नरमी से पेश आना चाहिए। स्थानीय पंचायतों को भी इस प्रक्रिया में जोड़ा जाए, ताकि भेदभाव खत्म हो। सरकार को तस्करी रोकने के लिए सीमा पर सख्ती बढ़ानी चाहिए और छोटे किसानों को सब्सिडी या अतिरिक्त खाद देनी चाहिए। लेकिन जितेंद्र-राजकिशोर जैसे किसानों का दर्द कम नहीं हो रहा। डीएम और मंत्री की कार्रवाई से उम्मीद है कि जल्द ही इंसाफ मिलेगा।लखीमपुर खीरी में खाद के लिए मची मारामारी और पुलिस की बर्बरता ने किसानों के सब्र की परीक्षा ले ली है।
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