Dhaan line ropai method: किसान भाईयों, आज हम एक ऐसी तकनीक की बात करेंगे जो आपके खेतों में धान की पैदावार को दोगुना कर सकती है। जनपद वाराणसी के ग्राम सभा मंगलवीर में आत्मा खरीफ फार्म स्कूल के तहत किसान मोहन प्रसाद जी धान की रोपाई को लाइन शोइंग विधि से कर रहे हैं। यह तरीका उनकी मेहनत को कम करता है और फसल को हवा, धूप, और पोषण देता है। मोहन जी के खेत में पंक्तियों में लगे धान के पौधे उनकी मेहनत का जीवंत उदाहरण हैं। आइए, जानते हैं कि यह तकनीक आपके लिए कितनी फायदेमंद हो सकती है और इसे कैसे अपनाया जा सकता है।
मोहन प्रसाद जी की मेहनत की कहानी
मोहन प्रसाद जी वाराणसी के एक समर्पित किसान हैं, जिन्होंने आत्मा खरीफ फार्म स्कूल के प्रशिक्षण से प्रेरणा लेकर लाइन रोपाई शुरू की। उनके खेत में धान के पौधे व्यवस्थित पंक्तियों में लगे हैं, जहाँ हर पौधे को सही दूरी और देखभाल मिल रही है। मोहन जी कहते हैं, “पहले हम धान को बेतरतीब रोपते थे, लेकिन अब लाइन शोइंग से फसल स्वस्थ और पैदावार बेहतर हो रही है।” उनकी मेहनत से आसपास के किसान भी इस तरीके को अपनाने के लिए उत्साहित हैं। यह तकनीक खेत को अनुशासित और उत्पादक बनाती है।
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लाइन शोइंग की खासियत समझें
लाइन शोइंग एक आधुनिक रोपाई विधि है, जिसमें धान के पौधों को सीधी पंक्तियों में बराबर दूरी पर लगाया जाता है। इससे पौधों को पर्याप्त हवा, धूप, और पानी मिलता है, जो उनकी वृद्धि के लिए जरूरी है। मोहन जी अपने खेत में 20-25 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियाँ बनाते हैं, और हर पौधे के बीच 15 सेंटीमीटर का अंतर रखते हैं। यह तरीका मिट्टी की उर्वरता को बेहतर करता है और कीटों के हमले को कम करता है, क्योंकि हवा का प्रवाह अच्छा रहता है। आत्मा के विशेषज्ञों का मानना है कि यह खेती को वैज्ञानिक बना रहा है।
पैदावार में आश्चर्यजनक बदलाव
लाइन रोपाई से मोहन जी के खेत में साफ बदलाव दिख रहा है। पौधों को धूप और हवा से पूरा पोषण मिल रहा है, जिससे वे मजबूत हो रहे हैं। आत्मा के विशेषज्ञों के अनुसार, यह तरीका प्रति हेक्टेयर पैदावार को 10-15% तक बढ़ा सकता है, जो पारंपरिक रोपाई से कहीं बेहतर है। हवा के संचरण से कीटों का असर कम होता है और घास निकालना आसान हो जाता है, जिससे रासायनिक दवाओं की जरूरत भी घटती है। यह बदलाव न केवल उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि लागत भी कम करता है।
खेत तैयार करने की कला
लाइन रोपाई के लिए खेत की सही तैयारी जरूरी है। मोहन जी ने अपने खेत को पहले जोता और समतल किया। इसके लिए उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले धान के बीज, जैसे स्वर्णा या सरजू-52, चुने और 20-25 दिन पहले नर्सरी में तैयार किए। प्रति हेक्टेयर 100 किलो यूरिया और 50 किलो DAP डालकर मिट्टी को पोषित किया। रस्सी और लकड़ी के मार्कर से पंक्तियाँ बनाईं, जो रोपाई को आसान बनाती हैं। यह तैयारी खेत को उत्पादक बनाने का आधार है।
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रोपाई तरीका और देखभाल
मोहन जी पौधों को हाथ से रोपते हैं, जो उनके मेहनत को दर्शाता है। सही प्रक्रिया में पंक्तियों के बीच 20-25 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 15 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है। पौधे को 2-3 सेंटीमीटर गहराई तक रोपना चाहिए ताकि जड़ें मजबूत हों। रोपाई के बाद 2-3 सेंटीमीटर पानी रखें और धीरे-धीरे कम करें। खरीफ सीजन की शुरुआत, यानी जुलाई-अगस्त, रोपाई के लिए बेस्ट समय है।
रोपाई के बाद देखभाल से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है। मोहन जी खरपतवार नियमित हटाते हैं और पौधों की ऊँचाई 30-40 सेंटीमीटर होने पर नाइट्रोजन युक्त खाद देते हैं। जल प्रबंधन भी जरूरी है ज्यादा पानी से पौधे कमजोर हो सकते हैं। इस देखभाल से प्रति हेक्टेयर 50-60 क्विंटल धान की पैदावार संभव है, जो पारंपरिक तरीके से ज्यादा है।
साथियों के लिए प्रेरणा का स्रोत
मोहन जी की कहानी आपके लिए प्रेरणा हो सकती है। उन्होंने कहा, “लाइन शोइंग से मेरी मेहनत कम हुई और फसल की उम्मीद बढ़ गई।” छोटे खेतों के लिए यह तरीका जगह का बेहतर उपयोग करता है। आत्मा खरीफ फार्म स्कूल ऐसे प्रशिक्षण से किसानों को नई दिशा दे रहा है। आप भी इस तकनीक को अपनाकर अपने खेतों में बदलाव ला सकते हैं। नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें।
लाइन रोपाई खेती को आधुनिक और लाभकारी बना रही है। मोहन जी का खेत आज एक मिसाल है, जहाँ धान की पंक्तियाँ हवा और धूप से लहलहा रही हैं। यह तरीका न केवल पैदावार बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। वाराणसी के किसान इस तकनीक को अपनाकर अपने खेतों को नई सफलता की ओर ले जा सकते हैं।
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