CAZRI Moth Bean-7 (CZMO-18-4) एक ऐसी फसल है, जो भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों के लिए आशा की किरण बन रही है। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) द्वारा विकसित यह मोट बीन्स की उन्नत किस्म न केवल सूखे को सहन करने में सक्षम है, बल्कि कम लागत में उच्च उपज और पोषण प्रदान करती है। खरीफ सीजन के लिए आदर्श, यह फसल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रही है। आइए, इसकी खेती की तकनीक, फायदे, और इसे अपनाने के तरीकों को विस्तार से जानते हैं!
सूखे का योद्धा की खासियत
CAZRI Moth Bean-7 (CZMO-18-4) मोट बीन्स एक उन्नत किस्म है, जो भारत के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए खास तौर पर तैयार की गई है। यह फसल 24-32°C के औसत तापमान और 200-750 मिमी वार्षिक वर्षा में अच्छी तरह उगती है, और 50-60 मिमी की न्यूनतम वर्षा में भी कुछ उपज दे सकती है। इसकी खासियत यह है कि यह कम पानी और बिना उर्वरक के भी स्वस्थ रूप से बढ़ती है, जो इसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाता है। 60-65 दिनों में पकने वाली यह किस्म तेज गर्मी (45°C तक) और मिट्टी की नमी की कमी को सहन कर सकती है।
ये भी पढ़ें – तिखुर (सफेद हल्दी) की खेती से करें तगड़ी कमाई! जानें उगाने का तरीका, फायदे और बाजार मूल्य
पोषण और उपयोगिता
इस फसल के बीजों में लगभग 22-24% प्रोटीन होता है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाता है। हरे और अपरिपक्व फली प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं, जबकि सूखे बीज पापड़, मंगोरी, भुजिया, और अन्य व्यंजनों के लिए उपयोगी हैं। इसके पौधे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी मदद करते हैं और पशुओं के लिए चारा के रूप में इस्तेमाल हो सकते हैं। इसके औषधीय गुण रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में सहायक हैं, जो इसे स्वास्थ्यवर्धक बनाते हैं।
खेती की तकनीक
- जलवायु और मिट्टी: गर्म और शुष्क जलवायु के साथ अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी (pH 6.0-7.5) इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। ऊंचाई 1300 मीटर तक उगाई जा सकती है।
- बुवाई का समय: मई-जून सबसे अच्छा समय है, हालांकि जुलाई मध्य तक देर से बुवाई भी संभव है।
- बीज दर और दूरी: अनाज के लिए 10-15 किग्रा/हेक्टेयर, चारे के लिए 20-25 किग्रा/हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है। कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10-20 सेमी रखें। चौड़ी कतार (40 सेमी) मिट्टी की नमी बचाने में मदद करती है।
- बीज उपचार: बोने से पहले थिरम या कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम/किग्रा) से बीजोपचार करें। वैकल्पिक रूप से ट्राइकोडर्मा (4 ग्राम/किग्रा) का उपयोग करें।
- सिंचाई और उर्वरक: फूल आने और दाना भरने के समय हल्की सिंचाई लाभकारी है, लेकिन सामान्य रूप से अतिरिक्त पानी या उर्वरक की जरूरत नहीं।
फसल संरक्षण
खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के बाद पेडीमेथालिन का उपयोग करें। तना और फल सड़न से बचाव के लिए थायोफेनेट मिथाइल या कार्बेन्डाजिम, और पत्ती झुलसा रोग के लिए मैनकोजेब का छिड़काव करें। कीटों (जैसे मुनगबीन्स येलो मोसाइक वायरस) से बचाव के लिए क्विनालफाक्स या डाइमेथोएट का छिड़काव केवल जरूरत पड़ने पर करें।
ये भी पढ़ें – कम पानी, कम खर्च… ज्यादा मुनाफा! इन खरीफ फसलों की वैज्ञानिकों ने बताई वैरायटी
कटाई और उपज
75-90 दिनों में पकने वाली इस फसल की कटाई तब करें जब 70-80% फलियां पीली पड़ जाएं। सिकल से काटकर पौधों को एक सप्ताह धूप में सुखाएं और फिर मड़ाई करें। पारंपरिक तरीके से 70-270 किग्रा/हेक्टेयर उपज होती है, जबकि वैज्ञानिक विधि और उपयुक्त परिस्थितियों में 2600 किग्रा/हेक्टेयर तक संभव है। CAZRI Moth-7 इसकी उपज को और बढ़ाने में मदद करती है।
आर्थिक लाभ
CAZRI Moth-7 की खेती से किसानों को प्रति हेक्टेयर 10,000-11,000 रुपये तक की आय संभव है, जिसमें लागत-लाभ अनुपात 1:2.78 से 1:2.92 तक हो सकता है। यह बंजर जमीनों पर अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है, खासकर जहां अन्य फसलें मुश्किल से उगती हैं। इसको को अपनाएं और अपनी खेती को नया आयाम दें। कम पानी और कम निवेश में शुरू करें, और अपनी मेहनत को मुनाफे में बदलें। नजदीकी कृषि केंद्र या CAZRI से बीज और तकनीकी सहायता लें।
ये भी पढ़ें – कीजिए इस गुच्छे वाली सरसों की खेती, एक हेक्टेयर में 25 कुंतल उत्पादन, झड़ने का भी टेंशन नही