Krishi Yantra: अब खुरपी छोड़िए! खेती के इस नए आधुनिक यंत्र से महिलाएं भी आसानी से करेंगी काम

Krishi Yantra: खेती में दिनभर खुरपी और हल के साथ मेहनत करने का दौर अब पुराना हो रहा है। उत्तर प्रदेश के बिरौली में कृषि विज्ञान केंद्र ने अनुसूचित जाति की महिला किसानों के लिए एक खास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें उन्हें आधुनिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल सिखाया गया। इस प्रशिक्षण का मकसद महिलाओं को कम लागत और कम मेहनत में ज्यादा पैदावार देने वाली तकनीकों से जोड़ना है। वैज्ञानिकों ने बताया कि छोटे और सस्ते यंत्रों की मदद से महिला किसान न सिर्फ अपनी खेती को आसान बना सकती हैं, बल्कि अपनी आय को भी बढ़ा सकती हैं। यह कदम गाँव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

छोटे यंत्र से बड़ा बदलाव

प्रशिक्षण में महिलाओं को साइकिल वीडर, ग्रबर, रोटरी डिबलर, ट्यूबलर मक्का सेलर, पावर वीडर, और सोलर ड्रायर जैसे यंत्रों के बारे में बताया गया। साइकिल वीडर सब्जियों की खेती में खरपतवार हटाने का काम आसान करता है, जिससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है। रोटरी डिबलर मक्का, राजमा, चना, और मटर जैसी फसलों की बुवाई में मदद करता है। यह यंत्र बीजों को सही दूरी और गहराई पर बोता है, जिससे फसल की गुणवत्ता बढ़ती है और पैदावार में इजाफा होता है। बाराबंकी की एक महिला किसान, राधा देवी, ने बताया कि साइकिल वीडर ने उनकी सब्जी खेती को इतना आसान कर दिया कि अब वे पहले से दोगुना मुनाफा कमा रही हैं।

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समय और लागत की बचत

आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल न सिर्फ मेहनत कम करता है, बल्कि खेती की लागत भी घटाता है। सोलर ड्रायर की मदद से फसल और सब्जियों को सुखाना आसान हो गया है, जिससे बरसात में भी नुकसान नहीं होता। पावर वीडर खेत की जुताई और खरपतवार नियंत्रण में कारगर है, जिससे किसानों को बार-बार मजदूरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। प्रशिक्षकों ने बताया कि ये यंत्र छोटे और मझोले किसानों, खासकर महिलाओं के लिए बनाए गए हैं, ताकि वे कम संसाधनों में ज्यादा उत्पादन कर सकें। इससे न सिर्फ उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि वे अपने परिवार और गाँव की दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनेंगी।

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कृषि यंत्र बैंक की राह

कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली की वैज्ञानिक विनीता कश्यप ने सुझाव दिया कि महिला किसान गाँव में “कृषि यंत्र बैंक” शुरू कर सकती हैं। इस बैंक के जरिए वे यंत्रों को किराए पर दे सकती हैं, जिससे दूसरी महिलाएँ भी इनका इस्तेमाल कर सकें। यह न सिर्फ उनकी आय का नया जरिया बनेगा, बल्कि पूरे गाँव में खेती को आधुनिक बनाने में मदद करेगा। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि बदलते मौसम और जलवायु की चुनौतियों से निपटने के लिए अब यंत्रों का इस्तेमाल जरूरी है। ये यंत्र खेती को सिर्फ जीविका का साधन नहीं, बल्कि एक मुनाफेदार कारोबार बना सकते हैं।

महिला किसानों के लिए नया जोश

यह प्रशिक्षण महिला किसानों को नई दिशा दे रहा है। परंपरागत खेती में घंटों मेहनत करने वाली महिलाएँ अब तकनीक की मदद से कम समय में ज्यादा काम कर सकती हैं। बिरौली की एक किसान, सुनीता, ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद उन्होंने रोटरी डिबलर का इस्तेमाल शुरू किया, जिससे उनकी मटर की फसल की पैदावार 15 प्रतिशत बढ़ गई। अगर आप भी इस तरह के प्रशिक्षण या यंत्रों के बारे में जानना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। यह कदम महिला किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के साथ-साथ गाँवों में हरित क्रांति लाएगा।

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  • Shashikant

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