रबी मौसम में मटर की खेती किसानों के लिए कमाई का सुनहरा मौका लाती है, और भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), बेंगलुरु की अर्का प्रगति मटर की अगेती किस्म इस मौके को और शानदार बनाती है। यह किस्म सिर्फ 55 से 60 दिन में तैयार होकर चमकीली हरी, मीठी और मोटी फलियाँ देती है, जो ताजा बाजार और प्रोसेसिंग उद्योग में खूब पसंद की जाती हैं। उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक, यह किस्म किसानों की जेब भर रही है। कम समय, कम लागत, और बंपर मुनाफे के साथ अर्का प्रगति मटर की खेती एक नया क्रांति ला रही है।
वैज्ञानिक रिसर्च से जन्मी खास किस्म
अर्का प्रगति मटर को IIHR, बेंगलुरु ने हाइब्रिड सिलेक्शन तकनीक से विकसित किया है, जिसे विशेष रूप से अगेती खेती और प्रोसेसिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी फलियाँ चमकीली हरी, गोल, मोटी, और कुरकुरी होती हैं, जिनका स्वाद मिठास से भरा होता है। एक पौधे पर 10 से 12 फलियाँ लगती हैं, और प्रति हेक्टेयर 90 से 120 क्विंटल हरी फलियाँ मिल सकती हैं।
IIHR के वैज्ञानिक डॉ. प्रभाकर राव बताते हैं कि अर्का प्रगति की तेज़ अंकुरण क्षमता और रोग सहनशीलता इसे छोटे और बड़े किसानों के लिए आदर्श बनाती है। यह किस्म दिसंबर-जनवरी में बाजार की ऊँची माँग को पूरा करती है, जब हरी मटर का भाव 25 से 50 रुपये प्रति किलो तक होता है।
बुवाई का सही समय और तरीका
अर्का प्रगति मटर की बुवाई उत्तर भारत में अगस्त के अंत से सितंबर मध्य तक, दक्षिण भारत में सितंबर से अक्टूबर तक, और पहाड़ी क्षेत्रों में अक्टूबर से नवंबर तक करें। प्रति हेक्टेयर 40 से 45 किलोग्राम बीज पर्याप्त हैं। बुवाई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा (5 ग्राम प्रति किलो) या थायरम (2.5 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें, ताकि फफूंद रोगों से बचाव हो। कतारों में बुवाई करें, जिसमें पंक्तियों के बीच 30 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 10 सेंटीमीटर की दूरी रखें। फूल आने पर बाँस या तार से सहारा देना फलियों की गुणवत्ता और तुड़ाई को आसान बनाता है।
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खाद और पानी का प्रबंधन
खेत में 20 से 25 टन गोबर की खाद, 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश डालें। सूक्ष्म तत्व जैसे बोरॉन और जिंक सल्फेट की सिफारिश स्थानीय मृदा जाँच के आधार पर करें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी फूल आने से पहले दें। पहली सिंचाई बुवाई के 7 से 10 दिन बाद करें, फिर फूल और फलियाँ बनने के समय हर 10 से 12 दिन पर पानी दें। IIHR की 2024 की रिसर्च के अनुसार, ड्रिप सिंचाई से पानी की 25 प्रतिशत बचत होती है और फलियाँ ज्यादा रसीली और मोटी बनती हैं, जो प्रोसेसिंग उद्योग के लिए आदर्श हैं।
रोग और कीटों से सुरक्षा
अर्का प्रगति मटर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, लेकिन पाउडरी मिल्ड्यू और झुलसा रोग का खतरा रह सकता है। पाउडरी मिल्ड्यू के लिए सल्फर (3 ग्राम प्रति लीटर) और झुलसा रोग के लिए मैनकोजेब (2.5 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। तेला (एफिड) और थ्रिप्स के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली प्रति लीटर) और फली छेदक कीट के लिए स्पाइनोसैड (0.5 मिली प्रति लीटर) का इस्तेमाल करें। IIHR की एक हालिया स्टडी में पाया गया कि नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर) और जैविक कीटनाशकों का मिश्रित उपयोग रासायनिक खर्च को 20 प्रतिशत तक कम कर सकता है। नियमित खेत जाँच और रोगग्रस्त पौधों को हटाना भी जरूरी है।
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कितना देती है मुनाफा
अर्का प्रगति मटर से प्रति हेक्टेयर 90 से 120 क्विंटल हरी फलियाँ मिलती हैं, जो ताजा बाजार और फ्रोजन प्रोसेसिंग उद्योग में खूब बिकती हैं। दिसंबर-जनवरी में हरी मटर का भाव 25 से 50 रुपये प्रति किलो रहता है, जिससे 2.5 से 5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। खेती की लागत, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है, 60,000 से 80,000 रुपये आती है।
इस हिसाब से शुद्ध मुनाफा 1.8 से 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर हो सकता है। कर्नाटक के एक किसान, रमेश गौड़ा, ने बताया कि अर्का प्रगति की खेती ने उनकी फसल को फ्रोजन मटर कंपनियों के साथ जोड़ा, जिससे उनकी आय 30 प्रतिशत बढ़ी। IIHR की रिसर्च के अनुसार, अर्का प्रगति की माँग प्रोसेसिंग उद्योग में 12 प्रतिशत सालाना बढ़ रही है।
क्यों है अर्का प्रगति खास?
अर्का प्रगति मटर की अगेती परिपक्वता (55-60 दिन) और मिठास भरी फलियाँ इसे ताजा और प्रोसेसिंग दोनों बाजारों में लोकप्रिय बनाती हैं। यह उत्तर भारत (यूपी, बिहार, पंजाब), दक्षिण भारत (कर्नाटक, महाराष्ट्र), और पहाड़ी क्षेत्रों (हिमाचल, उत्तराखंड) के लिए अनुशंसित है। इसकी तेज़ अंकुरण और रोग सहनशीलता छोटे किसानों के लिए भी इसे आसान बनाती है। अगर आप इस किस्म की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो IIHR, बेंगलुरु या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से प्रमाणित बीज और तकनीकी सलाह लें। अर्का प्रगति न सिर्फ खेतों को हरा-भरा करता है, बल्कि किसानों की जिंदगी को भी समृद्ध बनाता है।
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FAQ:
Q1. अर्का प्रगति मटर कितने दिनों में तैयार होती है?
Ans: यह किस्म 55–60 दिनों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती है।
Q2. अर्का प्रगति से कितनी उपज मिलती है?
Ans: प्रति हेक्टेयर 90 से 120 क्विंटल हरी मटर की उपज मिलती है।
Q3. अर्का प्रगति किस मौसम में बोई जाती है?
Ans: अगेती बुवाई अगस्त के अंत से सितंबर मध्य (उत्तर भारत) और अक्टूबर तक (दक्षिण भारत) की जाती है।
Q4. अर्का प्रगति बीज कहाँ से लें?
Ans: IIHR, बेंगलुरु या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से प्रमाणित बीज उपलब्ध कराए जाते हैं।
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