Nandita variety of Bitter Gourd: बिहार के छपरा जिले के गाँवों में आजकल किसान खेती को नए मुकाम पर ले जा रहे हैं। यहाँ के किसान ऐसी सब्जियाँ उगा रहे हैं, जिनका स्वाद और आकार इतना शानदार है कि उत्तर प्रदेश के व्यापारी भी ट्रक लेकर छपरा पहुँच रहे हैं। खासकर मांझी इलाके में हर दिन 5 से 10 लाख रुपये की सब्जियाँ बिक रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा रौनक है नंदिता वैरायटी के करेले की, जो न सिर्फ बिहार बल्कि यूपी के बाजारों में भी धूम मचा रहा है। यहाँ के किसान अपनी मेहनत से खेती को व्यापार का नया रास्ता दे रहे हैं।
नंदिता करेले का अनोखा स्वाद
छपरा के सारण जिले में नंदिता वैरायटी का करेला खूब उगाया जा रहा है। इस करेले का वजन 200 से 250 ग्राम तक होता है, और इसका स्वाद और आकार इसे बाजार में खास बनाता है। चाहे बिहार हो या उत्तर प्रदेश, इस करेले की मांग इतनी है कि व्यापारी इसे ट्रकों में भरकर ले जाते हैं। मांझी के किसान बताते हैं कि इस वैरायटी की फसल इतनी अच्छी होती है कि हर दिन लाखों रुपये का कारोबार हो रहा है। यह करेला न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है, जिसकी वजह से इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है।
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मचान विधि से बंपर फसल
छपरा के किसान करेले की खेती के लिए मचान विधि का इस्तेमाल करते हैं, जो इसकी सफलता का बड़ा राज है। इस तरीके में करेले की बेलों को जमीन से ऊपर लकड़ी या बाँस के मचान पर चढ़ाया जाता है। इससे बरसात का पानी फसल को नुकसान नहीं पहुँचाता, और फल भी बड़े और स्वस्थ निकलते हैं। मांझी के किसान धर्मेंद्र साह, जो 30 साल से सब्जियाँ उगा रहे हैं, बताते हैं कि मचान विधि से नंदिता करेले की फसल दोगुनी हो जाती है। इस विधि से मेहनत तो थोड़ी ज्यादा लगती है, लेकिन फायदा इतना कि लागत कई गुना वापस मिल जाती है।
जून-जुलाई में शुरू करें खेती
छपरा में करेले की खेती का सही समय जून और जुलाई का महीना है। इस दौरान किसान नंदिता वैरायटी के बीज बोते हैं, जो तेजी से बढ़ते हैं और जल्दी फल देते हैं। यहाँ के किसान न सिर्फ करेला, बल्कि दूसरी हरी सब्जियाँ भी बड़े पैमाने पर उगाते हैं। धर्मेंद्र साह जैसे अनुभवी किसान बताते हैं कि अच्छी फसल के लिए मिट्टी की जाँच और सही समय पर खाद डालना जरूरी है। अगर आप भी इस खेती को शुरू करना चाहते हैं, तो अपने खेत की मिट्टी को तैयार करें और मचान विधि अपनाकर देखें।
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सरकार से मदद की जरूरत
छपरा के किसानों का कहना है कि उनकी मेहनत तो रंग ला रही है, लेकिन अगर सरकार की तरफ से थोड़ी मदद मिले, तो वे अपनी खेती को और बड़ा कर सकते हैं। अभी तक उन्हें फसल के नुकसान पर कोई मुआवजा नहीं मिलता, और न ही कोई बड़ी सरकारी योजना का फायदा मिल रहा है। अगर सरकार बीज, खाद या मचान बनाने के लिए अनुदान दे, तो किसान और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। फिर भी, छपरा के किसान अपनी मेहनत और नंदिता करेले की ताकत से हर दिन लाखों रुपये का व्यापार कर रहे हैं।
अगर आप छपरा या आसपास के इलाके में खेती करते हैं, तो नंदिता वैरायटी के करेले की खेती जरूर आजमाएँ। मचान विधि को अपनाकर आप अपनी फसल को बारिश और कीटों से बचा सकते हैं। साथ ही, स्थानीय मंडी और यूपी के व्यापारियों से सीधे संपर्क करें ताकि आपको अपनी फसल का सही दाम मिले। गाँव के दूसरे किसानों को भी इस वैरायटी और मचान विधि के बारे में बताएँ, ताकि सभी मिलकर ज्यादा मुनाफा कमा सकें।
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