FPO News: अब किसान खुद तय करेंगे फसल का दाम, फ्यूचर्स ट्रेडिंग के नए नियम लागू

भारत में खेती-किसानी अब सिर्फ़ खेतों तक सीमित नहीं रही। किसान उत्पादक संगठन (FPOs) अब फ्यूचर्स ट्रेडिंग यानी वायदा व्यापार के जरिए बाजार में अपनी फसलों को बेहतर दाम पर बेच रहे हैं। यह नया तरीका न सिर्फ़ किसानों की जेब भर रहा है, बल्कि खेती को और पारदर्शी और सुरक्षित बना रहा है। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) पर इस साल की पहली तिमाही में 702 FPOs ने व्यापार किया, जो देश भर के 11.6 लाख से ज्यादा किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आइए जानें कि फ्यूचर्स ट्रेडिंग किसानों के लिए कैसे फायदेमंद है और सरकार इसे कैसे बढ़ावा दे रही है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग से ज्यादा दाम

फ्यूचर्स ट्रेडिंग का मतलब है अपनी फसल को पहले से तय दाम पर भविष्य में बेचने का समझौता करना। इससे किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव का डर नहीं रहता। राजस्थान के जोधपुर में मंडोर किसान FPO के सीईओ गणपत राम चौधरी बताते हैं कि उन्होंने NCDEX पर जीरा और अरंडी के बीज बेचकर पारंपरिक व्यापारियों की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा दाम पाए। इस वित्तीय वर्ष में उनके संगठन ने 2.25 करोड़ रुपये की बिक्री में से 1.5 करोड़ रुपये का व्यापार NCDEX पर किया। अब उनका लक्ष्य 4 करोड़ रुपये की बिक्री का है, जिसमें पहली तिमाही में ही 1.5 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है।

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NCDEX: किसानों का भरोसेमंद मंच

NCDEX एक ऐसा मंच है जो किसानों को उनकी फसलों के लिए सही दाम और जोखिम से बचाव की सुविधा देता है। इस मंच पर जीरा, अरंडी, धनिया, हल्दी, कपास, कपास खली और ग्वार बीज जैसी फसलों का व्यापार हो रहा है। NCDEX के प्रबंध निदेशक अरुण रस्ते का कहना है कि यह एक रेगुलेटेड मार्केट है, जो पारदर्शी और सुरक्षित व्यापार सुनिश्चित करता है। गुजरात के जामनगर में रणमल FPO के निदेशक महेश करंजिया बताते हैं कि उन्होंने इस साल 2.5 करोड़ रुपये की बिक्री NCDEX पर की है और आगे इसे और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। यह मंच छोटे किसानों को भी बड़े बाजारों तक पहुँचने का मौका देता है।

सरकारी योजनाएँ दे रही हैं हौसला

केंद्र सरकार किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए FPOs को बढ़ावा दे रही है। पिछले कुछ सालों में 10,000 नए FPOs बनाए गए हैं, जिन्हें 3 साल तक 18 लाख रुपये की वित्तीय मदद दी जा रही है। हर FPO को मार्केटिंग के लिए 5 साल तक 25 लाख रुपये तक की सहायता मिल रही है। इसके अलावा, प्रत्येक किसान सदस्य के लिए 2,000 रुपये तक की इक्विटी ग्रांट और 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर क्रेडिट गारंटी भी दी जा रही है। सरकार ने इस योजना के लिए 2021 से 2026 तक 6865 करोड़ रुपये का बजट रखा है। इस मदद से FPOs अपनी फसलों को NCDEX जैसे मंचों पर बेचकर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।

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डिजिटल प्लेटफॉर्म पर FPOs की धमक

FPOs अब डिजिटल दुनिया में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। सरकार के ई-कॉमर्स मंच ONDC पर 9,450 से ज्यादा FPOs पंजीकृत हैं। 200 से अधिक FPOs ने GeM (Government e-Marketplace) पर अपने उत्पाद बेचना शुरू किया है। इसके अलावा, Amazon और Flipkart जैसे निजी मंचों पर भी FPOs अपनी फसलों को बेच रहे हैं। यह डिजिटल उपस्थिति किसानों को स्थानीय मंडियों से बाहर निकालकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक ले जा रही है।

कुछ फसलों पर प्रतिबंध का असर

हालांकि, फ्यूचर्स ट्रेडिंग में अभी कुछ चुनौतियाँ भी हैं। सेबी (SEBI) ने धान (नॉन-बासमती), गेहूँ, चना, सरसों, सोयाबीन, क्रूड पाम ऑयल और मूंग जैसी सात प्रमुख फसलों पर मार्च 2026 तक वायदा व्यापार पर रोक लगा रखी है। फिर भी, इस साल 340 FPOs ने 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार किया, और 1,100 से अधिक FPOs ने 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री की। कुल मिलाकर, FPOs की बिक्री 15,282 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है। यह दिखाता है कि फ्यूचर्स ट्रेडिंग किसानों के लिए कितना फायदेमंद साबित हो रहा है।

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  • Shashikant

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