किसान भाइयों, गन्ना हमारी खेती का ऐसा सितारा है, जो मेहनत को मिठास भरे मुनाफे में बदल देता है। और जब बात हो को. शा. 18231 जैसी उन्नत गन्ना किस्म की, तो ये हमारे खेतों में सोने की तरह चमकती है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद द्वारा विकसित ये किस्म न सिर्फ़ जल्दी पकती है, बल्कि बंपर पैदावार और रोगों से लड़ने की ताकत भी रखती है। चाहे आप उत्तर प्रदेश, बिहार, या हरियाणा में खेती करते हों, ये किस्म आपके लिए कमाई का नया रास्ता खोल सकती है। आइए, जानें कि को. शा. 18231 क्या खास बनाता है और इसकी खेती कैसे करें।
को. शा. 18231 का कमाल
co sha 18231 Sugarcane गन्ना की एक शीघ्र पकने वाली किस्म है, जो 10 से 11 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने इसे खास तौर पर उन किसानों के लिए विकसित किया है, जो कम समय में ज़्यादा पैदावार चाहते हैं। इसकी औसत उपज 90.16 टन प्रति हेक्टेयर है, जो सामान्य किस्मों से 11.36 से 27.92 प्रतिशत ज़्यादा है। इतना ही नहीं, इस किस्म में शर्करा और पोल प्रतिशत भी सामान्य किस्मों से बेहतर है, जिससे चीनी मिलों को 13.84 प्रतिशत ज़्यादा चीनी निकालने में मदद मिलती है।
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खेत की तैयारी, मुनाफे की नींव
गन्ने की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना ज़रूरी है। दोमट या चिकनी मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी है, जो पानी और पोषक तत्वों को अच्छे से रोके। खेत की गहरी जुताई करें और फिर 2-3 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। प्रति हेक्टेयर 15-20 टन सड़ी हुई गोबर खाद या वर्मी कंपोस्ट डालें। अगर मिट्टी की जाँच करवाएँ, तो और बेहतर होगा, क्योंकि इससे आपको नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की सही मात्रा का पता चल जाएगा। खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें, ताकि बारिश का पानी जमा न हो। बुवाई के लिए जून-जुलाई (वसंतकालीन) या सितंबर-अक्टूबर (शरदकालीन) सबसे अच्छा समय है।
बीज और बुवाई का सही तरीका
इस किस्म की खेती के लिए स्वस्थ और रोगमुक्त बीज चुनना ज़रूरी है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के मुताबिक, को. शा. 18231 के लिए प्रति हेक्टेयर 4.90 लाख बड्स (बीज) चाहिए। बीज को शाहजहाँपुर या मुजफ्फरनगर के अनुसंधान केंद्रों से खरीदें। बुवाई से पहले बीज को 0.2% बाविस्टिन या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें, ताकि फफूंद से बचा जा सके। गन्ने को 60-75 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में लगाएँ। हर पंक्ति में 2-3 आँखों वाले बीज टुकड़े (सेट्स) डालें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी नम रहे। अगर आप ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करते हैं, तो पानी की बचत होगी और पौधे बेहतर बढ़ेंगे।
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देखभाल में रखें ये सावधानियाँ
को. शा. 18231 की देखभाल में ज्यादा मेहनत नहीं लगती, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। बुवाई के बाद पहले 2-3 महीने में खरपतवार को नियमित रूप से निकालें। इसके लिए नीम आधारित कीटनाशक या जैविक खाद का इस्तेमाल करें। गन्ने को रेड रॉट रोग से बचाने के लिए पौधों पर 0.1% डाइथेन एम-45 का छिड़काव करें। पानी की कमी न हो, खासकर गर्मियों में, हर 10-12 दिन में सिंचाई करें। अगर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो, तो 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। कीटों जैसे टॉप बोरर या शूट बोरर से बचाने के लिए क्लोरपायरीफॉस (2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
कटाई और मुनाफे का हिसाब
इसकी कटाई 10-11 महीने बाद शुरू करें, जब पत्तियाँ पीली पड़ने लगें। एक हेक्टेयर से 90 से 92 टन तक गन्ना मिल सकता है। कटाई के बाद गन्ने को जल्दी चीनी मिल तक पहुँचाएँ, ताकि शर्करा की मात्रा कम न हो। इसकी लागत 30-40 हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर आती है, जिसमें बीज, खाद, और सिंचाई का खर्च शामिल है। अगर गन्ना 350 रुपये प्रति क्विंटल बिकता है, तो 3 से 4 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। अगर आप जूस या गुड़ बनाकर बेचते हैं, तो मुनाफा और बढ़ सकता है। सूखे अवशेष को चारे के रूप में बेचकर अतिरिक्त कमाई भी की जा सकती है।
मिठास भरा मुनाफा, खेतों की शान
इसकी गन्ना की किस्म किसान भाइयों के लिए एक वरदान है। ये न सिर्फ़ जल्दी पकती है, बल्कि बंपर पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ चीनी मिलों के लिए भी फायदेमंद है। सही खेत तैयारी, बीज उपचार, और देखभाल से आप अपने खेतों को समृद्ध बना सकते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, या हरियाणा के किसान भाई इस किस्म को अपनाएँ और अपनी कमाई को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ। Krishitak पर ऐसी ही और खेती की जानकारी के लिए बने रहें।
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