सहरसा के किसान भाइयों के लिए बड़ी खुशखबरी है। 17 साल बाद जिले में बांस की खेती फिर से शुरू हो रही है, और बिहार सरकार इसे बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है। जिले में 19 हेक्टेयर में बांस की खेती का लक्ष्य रखा गया है, और किसानों को 50% तक अनुदान मिलेगा। यह अनुदान तीन किस्तों में दिया जाएगा, ताकि छोटे और मझोले किसानों पर आर्थिक बोझ न पड़े। राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत शुरू इस योजना से न सिर्फ आपकी जेब भरेगी, बल्कि पर्यावरण भी हरा-भरा होगा। आइए, देसी अंदाज में जानें कि सहरसा में बांस की खेती कैसे बन सकती है आपकी कमाई का नया रास्ता।
मुनाफा और पर्यावरण का दोस्त
सहरसा में बांस की खेती छोटे किसानों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है। जिला उद्यान विभाग के सहायक निदेशक शैलेंद्र कुमार बताते हैं कि बांस कम पानी और कम मेहनत में बढ़िया मुनाफा देता है। यह खेत की मिट्टी को कटाव से बचाता है, हवा को साफ रखता है, और जैव विविधता को बढ़ाता है। बांस की मांग फर्नीचर, चटाई, टोकरी, और सजावटी सामान बनाने में बढ़ रही है, जो देश-विदेश में बिकता है। सहरसा के किसानों के लिए यह मौका 17 साल बाद आया है, जब बांस की खेती फिर से शुरू हो रही है। सरकार का मकसद है कि इस योजना से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो और किसानों की कमाई बढ़े।
50% अनुदान
बिहार सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत सहरसा के किसानों को बांस की खेती के लिए 50% अनुदान देने का ऐलान किया है। यह अनुदान टिश्यू कल्चर तकनीक से बांस की खेती के लिए दिया जाएगा। पहले साल में प्रति एकड़ 11,500 रुपये, दूसरे साल 7,000 रुपये, और तीसरे साल 7,000 रुपये मिलेंगे, यानी कुल 25,500 रुपये प्रति एकड़। यह राशि बीज, खाद, सिंचाई उपकरण, और अन्य जरूरी चीजों के लिए दी जाएगी। सहरसा में 19 हेक्टेयर के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार किसानों से जल्द आवेदन करने की अपील कर रही है। अनुदान का पैसा सीधे आपके बैंक खाते में आएगा, जिससे खेती का खर्चा आधा हो जाएगा।
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आवेदन का आसान तरीका
बांस की खेती के लिए अनुदान पाने का तरीका बहुत आसान है। आपको अपने जिले के उद्यान विभाग या वन विभाग कार्यालय जाना होगा। वहाँ से आवेदन फॉर्म लें और उसमें अपनी जानकारी भरें। जरूरी कागजात जैसे आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक की कॉपी, और खेत के कागजात (खसरा-खतौनी) जमा करें। आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना चाहिए। फॉर्म और कागजात जमा करने के बाद विभाग आपका आवेदन जांचेगा और अनुदान मंजूर करेगा। सहरसा के उद्यान विभाग के सहायक निदेशक शैलेंद्र कुमार का कहना है कि अनुसूचित जाति, जनजाति, और महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। आप बिहार सरकार की बागवानी वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर भी जानकारी ले सकते हैं।
सहरसा के लिए बांस की खेती क्यों खास
सहरसा में बांस की खेती 17 साल पहले बंद हो गई थी, जिससे कई किसानों की कमाई पर असर पड़ा। अब राष्ट्रीय बांस मिशन और बिहार सरकार की इस योजना से नई उम्मीद जगी है। बांस की खेती कम लागत में लंबे समय तक मुनाफा देती है। एक एकड़ में बांस की खेती से डेढ़ से दो लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। बांस की फसल को बेचने की भी चिंता नहीं, क्योंकि सरकार MSP पर खरीद की सुविधा दे रही है। साथ ही, बांस के पौधे मुफ्त में दिए जाएँगे, और आपको सिर्फ रोपण और सिंचाई का इंतजाम करना होगा। यह खेती न सिर्फ आपकी जेब भरेगी, बल्कि सहरसा की मिट्टी और पर्यावरण को भी मजबूत करेगी।
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