सूक्ष्म सिंचाई और फर्टीगेशन, किसानों के लिए पानी बचाने और मुनाफा बढ़ाने का फार्मूला

किसान भाइयों के लिए खेती को आसान और फायदेमंद बनाने की नई तकनीक आ चुकी है। मध्य प्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई और सेंसर-बेस्ड ऑटोमेशन फर्टीगेशन सिस्टम उद्यानिकी फसलों, जैसे फल और सब्जियों, के लिए वरदान साबित हो रहा है। यह तकनीक पानी और खाद का सही प्रबंधन करती है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है और खेती की लागत कम होती है। भोपाल के बरखेड़ी में आयोजित एक कार्यशाला में मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन ने बताया कि यह तकनीक किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ पानी की बचत भी करती है। हमारे किसानों को इस तकनीक को अपनाकर खेती में नए आयाम स्थापित करने चाहिए।

सूक्ष्म सिंचाई और फर्टीगेशन की खासियत

सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) में ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम के जरिए पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है। सेंसर-बेस्ड फर्टीगेशन सिस्टम में पानी के साथ खाद भी सही मात्रा में पौधों को मिलती है। यह तकनीक मिट्टी की नमी और पौधों की जरूरत के हिसाब से पानी और खाद को नियंत्रित करती है। मध्य प्रदेश में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पूरे प्रदेश में लागू किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 50-60% पानी बचाती है और खाद का सही इस्तेमाल होने से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है। यह तकनीक टमाटर, मिर्च, भिंडी, और फलों की खेती के लिए खास तौर पर फायदेमंद है।

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खेत में कैसे शुरू करें यह तकनीक

इस तकनीक को शुरू करने के लिए सबसे पहले अपने खेत में ड्रिप या स्प्रिंकलर सिस्टम लगवाएं। ड्रिप सिस्टम में पाइपों के जरिए पानी और खाद पौधों की जड़ों तक पहुंचती है। सेंसर मिट्टी की नमी को मापते हैं और ऑटोमेशन सिस्टम अपने आप पानी और खाद की सप्लाई को नियंत्रित करता है। मध्य प्रदेश में सितंबर से फरवरी का समय उद्यानिकी फसलों के लिए सबसे अच्छा है। खेत की मिट्टी को भुरभुरा करें और 10-15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद मिलाएं। अगर आपके पास वर्मीकम्पोस्ट है, तो उसे भी इस्तेमाल करें। ड्रिप लाइनें पौधों की कतारों के पास लगाएं और सेंसर को सही जगह पर फिट करें।

पानी और खाद की बचत का देसी नुस्खा

यह तकनीक पानी और खाद की बर्बादी रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। पारंपरिक खेती में पानी खेत में बिखर जाता है, लेकिन ड्रिप सिस्टम में पानी सीधे जड़ों तक जाता है। सेंसर यह सुनिश्चित करते हैं कि पौधों को जरूरत से ज्यादा या कम पानी न मिले। खाद को पानी में घोलकर देने से पौधे उसे पूरी तरह सोख लेते हैं, जिससे खाद की बर्बादी नहीं होती। हमारे गाँव के किसान भाई इसे अपनाकर न सिर्फ पानी बचाएंगे, बल्कि 20-30% तक पैदावार भी बढ़ा सकते हैं। यह तकनीक छोटे खेतों और बगीचों में भी आसानी से लगाई जा सकती है।

कीटों और रोगों से बचाव के लिए सावधानी

सूक्ष्म सिंचाई से मिट्टी में ज्यादा नमी नहीं रहती, जिससे फफूंदी और जड़ सड़न जैसे रोग कम होते हैं। फिर भी, लाही और थ्रिप्स जैसे कीट उद्यानिकी फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके लिए नीम के तेल का हल्का घोल बनाकर छिड़काव करें। यह देसी नुस्खा कीटों को दूर रखता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। अगर फसल में कोई रोग दिखे, तो नजदीकी कृषि केंद्र से सलाह लेकर जैविक फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें। ड्रिप लाइनों की नियमित जांच करें, ताकि रिसाव या रुकावट न हो। इससे फसल स्वस्थ रहेगी और पैदावार बढ़ेगी।

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लागत कम, मुनाफा ज्यादा

सूक्ष्म सिंचाई और फर्टीगेशन सिस्टम की शुरुआती लागत थोड़ी ज्यादा हो सकती है, लेकिन यह लंबे समय में फायदेमंद है। एक एकड़ के लिए ड्रिप और सेंसर सिस्टम लगाने में 50,000-70,000 रुपये का खर्च आता है। लेकिन यह तकनीक पानी और खाद की बचत करती है, जिससे खेती की लागत 30-40% तक कम हो जाती है। उद्यानिकी फसलों, जैसे टमाटर और मिर्च, से प्रति एकड़ 10-15 टन की पैदावार मिल सकती है। बाजार में इनका भाव 30-50 रुपये प्रति किलो रहता है, जिससे 2-3 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा आसानी से कमाया जा सकता है।

सरकारी मदद से शुरू करें यह तकनीक

मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए कई सब्सिडी योजनाएं चला रही हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) और राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम पर 50-70% तक सब्सिडी मिल सकती है। अपने नजदीकी उद्यानिकी विभाग या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें और इन योजनाओं की जानकारी लें। मध्य प्रदेश में इस तकनीक को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया है, और सरकार लगातार फीडबैक लेकर इसे बेहतर बना रही है। साथ ही, कृषि विश्वविद्यालयों की ट्रेनिंग में हिस्सा लें, ताकि आप इस तकनीक को आसानी से समझ सकें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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