गेहूं की नई पछेती किस्म WH-1309, गर्मी सहनशील और पैदावार 64.5 क्विंटल/हेक्टेयर

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU) हिसार के वैज्ञानिकों ने रबी 2025-26 के लिए गेहूं की एक शानदार पछेती किस्म WH-1309 विकसित की है। यह किस्म मार्च-अप्रैल की बढ़ती गर्मी को अच्छी तरह सहन कर लेती है और देर से बोने पर भी उपज नहीं गिरने देती। राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की ताजा परीक्षण रिपोर्ट्स के अनुसार WH-1309 सिंचित देर से बोई जाने वाली स्थितियों के लिए विशेष रूप से बनाई गई है।

हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में जहां किसान धान या कपास की कटाई देर से करते हैं वहाँ यह किस्म वरदान साबित हो रही है। औसत उपज 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा और अच्छी देखभाल में 64 क्विंटल तक मिल सकती है।

WH-1309 गर्मी सहनशील और उच्च उपज वाली

WH-1309 गेहूं की पछेती बुवाई के लिए डिज़ाइन की गई है, जो हरियाणा के 15-20% क्षेत्रों में धान की देरी से कटाई, जलभराव, या अन्य कारणों से विलंबित बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म गर्मी के प्रति अन्य सभी किस्मों से ज्यादा सहनशील है। सिंचित परिस्थितियों में किए गए परीक्षणों में इसकी औसत उपज 55.4 क्विंटल/हेक्टेयर रही, जबकि अधिकतम उपज 64.5 क्विंटल/हेक्टेयर तक दर्ज की गई। किसानों के खेतों पर परीक्षणों में इसने 54.3 क्विंटल/हेक्टेयर की औसत उपज दी, जो चेक किस्म डब्ल्यू एच 1124 (48.2 क्विंटल/हेक्टेयर) से 12.7% अधिक है।

गर्मी सहन करने की खास क्षमता

मार्च में तापमान 35-40 डिग्री तक पहुंचने पर भी यह किस्म उपज नहीं गिरने देती। अन्य किस्मों में गर्मी से दाने सिकुड़ जाते हैं लेकिन WH-1309 में ऐसा नहीं होता। लवणीय जमीन और जैविक खेती में भी यह अच्छा परिणाम देती है। रोगों के प्रति भी मजबूत है – पत्ता मुरझाना भूरा रतुआ और कर्नाल बंट जैसे रोग कम लगते हैं।

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बुवाई का सही समय और बीज दर

इस किस्म की बुवाई 1 दिसंबर से 20 दिसंबर तक करें तो सबसे अच्छा रिजल्ट मिलता है। बीज दर 50 किलोग्राम प्रति एकड़ या 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। लाइन से लाइन 20 सेंटीमीटर दूरी रखें। बीज को कार्बेंडाजिम या टेबुकोनाजोल से उपचारित जरूर करें ताकि शुरुआती रोग न लगें।

खाद और सिंचाई का प्रबंधन

अधिक उपज के लिए नाइट्रोजन 150 किलोग्राम फास्फोरस 60 किलोग्राम पोटाश 30 किलोग्राम और जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालें। आधी नाइट्रोजन और पूरी फास्फोरस-पोटाश बुवाई के समय तथा बाकी दो बार ऊपरी ड्रेसिंग में दें। सिंचाई 4-5 बार करें – पहली क्राउन रूट स्टेज पर और बाकी बाल आने दूधिया अवस्था में। ड्रिप या स्प्रिंकलर से पानी बचाएं।

कीट-रोग नियंत्रण

थ्रिप्स या माहू लगे तो इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें। रतुआ दिखे तो प्रोपीकोनाजोल या टेबुकोनाजोल स्प्रे करें। जैविक खेती में नीम तेल और ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करें।

किसानों के लिए फायदे

  • उच्च पैदावार: 55.4 क्विंटल/हेक्टेयर औसत और 64.5 क्विंटल/हेक्टेयर अधिकतम उपज।

  • गर्मी सहनशीलता: मार्च के बढ़ते तापमान में भी स्थिर उत्पादन।

  • पछेती बुवाई के लिए उपयुक्त: धान की देर से कटाई वाले क्षेत्रों में बेस्ट।

  • बेहतर मुनाफा: चेक किस्म से 12.7% ज्यादा उपज, यानी ज्यादा आय।

किसान भाइयों, WH-1309 गेहूं की इस नई किस्म को अपनाएं, खासकर अगर आप पछेती बुवाई करते हैं। अपने नजदीकी कृषि केंद्र या HAU से बीज और तकनीकी सलाह लें। खेत की मिट्टी की जांच करें और संतुलित उर्वरक (120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश/हेक्टेयर) का उपयोग करें। समय पर सिंचाई और कीट प्रबंधन करें। यह किस्म आपकी पैदावार और मुनाफे को बढ़ाने का शानदार मौका देगी।

WH-1309 पछेती बोने वाले किसानों के लिए गेम चेंजर साबित हो रही है। गर्मी से उपज नहीं गिरेगी और कमाई बढ़ेगी। इस बार रबी में इसे जरूर आजमाएं।

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