हरी मटर की खेती PSM-3 बीजों से करें – ज्यादा पैदावार और मीठे दाने पाएं, घर बैठे आनलाइन आर्डर करें

 मटर की खेती की तैयारी शुरू हो जाती है। ताजी, हरी और मीठी मटर न सिर्फ खाने में स्वाद देती है, बल्कि बाजार में अच्छी कीमत भी दिलाती है। PSM-3 नाम की ये खास किस्म अपने मोटे दाने और रोगों से लड़ने की ताकत के लिए जानी जाती है। हमारे गाँव के कई किसान भाई इसकी तारीफ करते हैं, क्योंकि ये कम पानी और कम मेहनत में भी शानदार फसल देती है। आइए, जानते हैं कि PSM-3 बीजों से मटर की खेती कैसे करें, ताकि आपका खेत भी लहलहाए।

PSM-3 किस्म की खासियत

PSM-3 मटर की एक ऐसी किस्म है, जो सर्दियों में हमारे खेतों के लिए बिल्कुल मुफीद है। इसके पौधे मध्यम ऊँचाई के होते हैं और फलियाँ लंबी, मोटी और हरी-हरी निकलती हैं। दाने मीठे और रसीले होते हैं, जो बाजार में सबको पसंद आते हैं। ये किस्म फफूंदी और झुलसा रोग से अच्छा बचाव करती है, जिससे फसल खराब होने का डर कम रहता है। हमारे गाँव के श्यामलाल जी ने पिछले साल PSM-3 बोया, और उनकी मटर की फसल ने पूरे बाजार में धूम मचा दी। ये किस्म रेतीली दोमट मिट्टी और ठंडे मौसम में खूब जमती है। अगर आप इसे सही समय पर बोएँ, तो 60-70 दिन में फलियाँ तैयार हो जाती हैं।

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बुआई का सही समय और तरीका

मटर की बुआई के लिए सही समय अक्टूबर के आखिर से नवंबर का मध्य है। हमारे गाँव में किसान भाई इस समय खेत तैयार करते हैं, ताकि ठंड में पौधे अच्छे से बढ़ें। खेत की दो-तीन बार हल से जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। बीज बोने की गहराई 3-4 सेंटीमीटर रखें, और पंक्तियों के बीच 30 सेंटीमीटर का फासला छोड़ें। अगर आपके पास सिंचाई की सुविधा है, तो बुआई से पहले हल्का पानी दे दें। हमारे गाँव के रामू भाई कहते हैं कि वो बीज बोने से पहले गोबर की खाद अच्छे से मिलाते हैं, जिससे अंकुरण तेज होता है। एक हेक्टेयर में 80-100 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, और PSM-3 के बीजों से 10-12 क्विंटल फलियाँ मिल सकती हैं।

मिट्टी और खाद की तैयारी

मटर की फसल को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चाहिए। रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी है। अगर आपके खेत में पानी रुकता है, तो थोड़ा ऊँचा बेड बनाकर बुआई करें। बुआई से पहले 8-10 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। अगर रासायनिक खाद इस्तेमाल कर रहे हैं, तो 20 किलो नाइट्रोजन और 50 किलो फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर काफी है। हमारे गाँव में कई किसान अब जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। वर्मी कम्पोस्ट या नीम की खली डालने से मिट्टी की ताकत बढ़ती है, और फसल भी स्वादिष्ट होती है। अगर टिड्डी या कीटों का डर हो, तो बीज को जैविक कीटनाशक से उपचारित करें।

NSC से बीज कैसे प्राप्त करें

राष्ट्रीय बीज निगम यानी NSC किसानों का पुराना साथी है। ये 1963 से सत्यापित और अच्छी क्वालिटी के बीज दे रहा है। NSC के पास पूरे देश में अपने केंद्र और फार्म हैं, जहाँ से 80 से ज्यादा फसलों के बीज मिलते हैं। PSM-3 मटर के बीज आप उनके ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं। 1 किलो का पैक सिर्फ 190 रुपये में उपलब्ध है। ऑर्डर करने के लिए बस ऑनलाइन स्टोर पर जाएँ, PSM-3 बीज चुनें, कार्ट में डालें और पेमेंट करें। ये बीज सत्यापित हैं, यानी शुद्धता और अंकुरण की गारंटी है। अगर ऑनलाइन खरीदना मुश्किल हो, तो अपने नजदीकी NSC डीलर या कृषि केंद्र से संपर्क करें। हमारे गाँव के कई किसान NSC के बीजों पर भरोसा करते हैं, क्योंकि इनसे फसल हमेशा अच्छी आती है।

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फसल की देखभाल और कटाई

मटर की फसल को शुरुआती दिनों में खरपतवार से बचाना जरूरी है। बुआई के 20-25 दिन बाद एक बार निराई-गुड़ाई करें। अगर कीट दिखें, तो नीम का तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें। मटर को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, लेकिन फूल और फली बनने के समय हल्की सिंचाई करें। हमारे गाँव में किसान फलियाँ हरी और कोमल रहने पर तोड़ लेते हैं, क्योंकि बाजार में ऐसी मटर की माँग ज्यादा है। PSM-3 की फसल 60-70 दिन में तैयार हो जाती है, और अगर सही देखभाल करें, तो मार्च तक कई बार तुड़ाई हो सकती है। ये फसल न सिर्फ खाने में स्वाद देती है, बल्कि मुनाफा भी अच्छा दिलाती है।

हरी मटर की खेती न सिर्फ आसान है, बल्कि कम लागत में अच्छा मुनाफा भी देती है। PSM-3 जैसे सत्यापित बीजों का इस्तेमाल करके आप अपनी फसल को रोगमुक्त और लहलहाती बना सकते हैं। सही समय पर बुआई, अच्छी खाद और थोड़ी देखभाल से आपका खेत ताजी और मीठी मटर से भर जाएगा। चाहे घर में खाना हो या बाजार में बेचना, ये फसल हर तरह से फायदेमंद है। तो देर न करें, अपने नजदीकी NSC केंद्र से PSM-3 बीज लें और इस सर्दी में अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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