shimla mirch ki kheti kaise karen: सहारनपुर जैसे क्षेत्रों में शिमला मिर्च की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। हरी, लाल या पीली – इनकी विविधताएं बाजार में अच्छी कीमत दिलाती हैं। लेकिन फसल में फफूंदी और बीमारियां किसानों की परेशानी का सबब बन जाती हैं। अच्छी बात यह है कि कृषि विशेषज्ञों की सलाह से इन समस्याओं से आसानी से बचा जा सकता है। सही तरीके अपनाकर किसान कम खर्च में मजबूत पौधे उगा सकते हैं और बंपर उत्पादन लेकर मुनाफा कमा सकते हैं।
नाजुक पौधों की खास देखभाल
शिमला मिर्च का पौधा संवेदनशील होता है, इसलिए इसे खुले खेत में सीधे न लगाएं। नर्सरी तैयार करने से पहले खेत की मिट्टी में सड़ी गोबर खाद अच्छी तरह मिलाएं। साथ ही, ट्राइकोडर्मा जैसी मित्र फफूंदी का छिड़काव करें। इससे पौधे की जड़ें मजबूत बनेंगी और बीमारियों का खतरा कम हो जाएगा। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. आई.के. कुशवाहा सलाह देते हैं कि कलर वाली शिमला मिर्च की किस्में चुनें, क्योंकि इनकी बाजार में मांग और कीमत ज्यादा रहती है।
नर्सरी और बुवाई के आसान तरीके
नर्सरी बोने का यह सही समय है। ग्रीन नेट हाउस में पौधे तैयार करें, जिसकी ऊंचाई कम से कम 6 फीट हो। इससे पौधे सुरक्षित रहेंगे और तेजी से बढ़ेंगे। बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करें। बुवाई के दौरान लाइनों के बीच 6 इंच की दूरी रखें और दूसरे दिन हल्का पानी छिड़कें ताकि नमी बनी रहे। खेत में घास-फूस न होने दें, वरना पौधे कमजोर पड़ जाएंगे। इन छोटी-छोटी सावधानियों से फसल की शुरुआत मजबूत होगी।
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पौधों को मजबूत बनाने वाली दवाएं
बीज अंकुरित होने के बाद पौधों पर कार्बेन्डाजिम और मैनकोजेब का मिश्रण (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) तथा थाइमैथोक्सम (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। यह जड़ों को पोषण देगा और फफूंदी को जड़ से खत्म कर देगा। डॉ. कुशवाहा कहते हैं कि इन उपायों से पौधा तंदुरुस्त बनेगा और बाद में रोगों से लड़ सकेगा। नियमित जांच और समय पर छिड़काव से फसल स्वस्थ रहेगी।
बंपर पैदावार के लिए अंतिम सुझाव
इन तरीकों को अपनाने से शिमला मिर्च की फसल बीमारियों से मुक्त रहेगी और प्रति हेक्टेयर 20-25 टन तक उत्पादन संभव है। कम लागत में शुरू होने वाली यह खेती किसानों के लिए आय का मजबूत स्रोत बन सकती है। स्थानीय कृषि केंद्र से संपर्क कर बीज और सलाह लें। सफल किसान बनने के लिए छोटे बदलाव बड़े नतीजे देते हैं।
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