गेहूं की बुवाई का सही समय कब है? 22 डिग्री में बंपर उपज का वैज्ञानिक रहस्य

गेहूं की फसल बोने का सही समय कब है?: भारत में गेहूं सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की आजीविका का आधार है। देश की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आमदनी दोनों ही इस फसल पर निर्भर करते हैं। रबी सीजन में गेहूं की खेती सबसे बड़ी भूमिका निभाती है, लेकिन बंपर पैदावार पाने के लिए इसका सही समय पर बोना बेहद जरूरी है। अगर किसान भाई बुवाई के सही समय और वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाएँ, तो आसानी से 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है।

बुवाई का सही समय और तापमान का महत्व

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषक जगत के अनुसार, गेहूं की बुवाई अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर के अंत तक सबसे उपयुक्त होती है। इस समय औसत तापमान लगभग 20-25 डिग्री सेल्सियस दिन का और 10-15 डिग्री रात का होना चाहिए। इस अवधि में बुवाई करने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं, पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं और कल्ले अधिक निकलते हैं।

अगेती और सामान्य किस्मों जैसे श्रीराम 303, पूसा 372, HD 2967, DBW 187 आदि के लिए 25 अक्टूबर से 25 नवंबर तक बुवाई आदर्श मानी जाती है। वहीं, पछेती किस्में जैसे पूसा 359, HD 3086, श्रीराम सुपर 1-SR-14 उन किसानों के लिए बेहतर हैं जिनके खेतों में खरीफ फसल देर से कटती है। इनकी बुवाई 25 नवंबर से 25 दिसंबर तक की जा सकती है।

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नवंबर बुवाई से उपज में 15-20% अधिक वृद्धि देखी गई है।

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मिट्टी और खेत की तैयारी: पैदावार की नींव

गेहूं की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट या बलुई दोमट होती है, जिसका pH 6.5-7.5 हो। खेत की गहरी जुताई 3-4 बार करके मिट्टी को भुरभुरा और समतल बनाना चाहिए। इसमें 80-100 क्विंटल सड़ी गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाना फायदेमंद रहता है।

खेत तैयार करने से पहले मिट्टी परीक्षण करवाना जरूरी है, ताकि जिंक, सल्फर और बोरॉन की कमी को पूरा किया जा सके। ये सूक्ष्म पोषक तत्व दाने को भारी और चमकदार बनाते हैं। खेत में समुचित जल निकासी होनी चाहिए ताकि जड़ों में पानी जमकर पौधे को नुकसान न पहुँचा सके।

ICAR के एक अध्ययन के अनुसार, अच्छी तरह तैयार खेत में बुवाई करने से पैदावार 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ जाती है।

बुवाई की तकनीक

गेहूं की बुवाई के लिए सीड ड्रिल विधि सबसे उत्तम है। इसमें पंक्तियों के बीच 20-22 सेंटीमीटर की दूरी और बीज की गहराई 2-3 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

बीज दर: प्रति हेक्टेयर 100-120 किलोग्राम बीज पर्याप्त है।
बीज उपचार: बोने से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किलो बीज) या विटावैक्स (2.5 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें ताकि रोग न लगें।

उर्वरक प्रबंधन:

  • नाइट्रोजन: 120 किलोग्राम/हेक्टेयर

  • फॉस्फोरस: 60 किलोग्राम/हेक्टेयर

  • पोटाश: 40 किलोग्राम/हेक्टेयर

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बुवाई के समय आधी नाइट्रोजन और पूरा फॉस्फोरस-पोटाश डालें। बाकी नाइट्रोजन को 25 और 50 दिन बाद दो हिस्सों में दें। इसके अलावा जिंक सल्फेट (20 किलो/हेक्टेयर) और बोरॉन (5 किलो/हेक्टेयर) दाने की गुणवत्ता बढ़ाते हैं।

सिंचाई और फसल प्रबंधन

गेहूं की फसल को 5-6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।

  • पहली सिंचाई: बुवाई के 20-25 दिन बाद (3-4 पत्तियों की अवस्था में)

  • दूसरी सिंचाई: कल्ले निकलने के समय (45-50 दिन)

  • तीसरी सिंचाई: फूल आने पर (60-70 दिन)

  • चौथी सिंचाई: दाना बनते समय (90-100 दिन)

सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम अपनाना बेहतर है, जिससे पानी की बचत होती है और जड़ों में गलन नहीं होती।

खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के 20-30 दिन बाद पेंडीमेथालिन (1 किलो सक्रिय तत्व/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।

रोग व कीट नियंत्रण:

  • भूरा रतुआ व स्मट के लिए मैनकोजेब (2 किलो/हेक्टेयर)

  • एफिड्स जैसे कीटों के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.2 लीटर/हेक्टेयर)

  • जैविक खेती में नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) उपयोगी है।

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पछेती बुवाई: देरी करने वालों के लिए विकल्प

पछेती किस्में उन किसानों के लिए वरदान हैं, जिनके खेतों में धान या कपास की कटाई देर से होती है। 25 नवंबर से 25 दिसंबर तक पछेती गेहूं बोया जा सकता है। इस समय बुवाई करने से उपज थोड़ी कम होती है (60-70 क्विंटल/हेक्टेयर), लेकिन ठंडक की वजह से रोगों का खतरा घट जाता है।

ICAR की सलाह है कि पछेती बुवाई में उर्वरक की मात्रा 10-15% बढ़ानी चाहिए ताकि पौधों का विकास तेजी से हो सके।

मुनाफे की गणना

गेहूं की खेती में प्रति हेक्टेयर लागत 50-60 हजार रुपये आती है। अगर औसतन 70-80 क्विंटल उपज मिले और बाजार भाव 2400-2600 रुपये प्रति क्विंटल हो, तो कुल आय 1.7 से 2 लाख रुपये हो सकती है। इसमें से शुद्ध मुनाफा 1.1-1.5 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर बचता है।

सही समय पर बुवाई और वैज्ञानिक तकनीक अपनाने से मुनाफा 20% तक और बढ़ सकता है।

गेहूं की बुवाई का सही समय यानी 25 अक्टूबर से 25 नवंबर (पछेती के लिए 25 दिसंबर तक) और वैज्ञानिक खेती के तरीकों को अपनाकर किसान भाई न सिर्फ उपज बढ़ा सकते हैं, बल्कि लागत घटाकर मुनाफा भी दोगुना कर सकते हैं। इस रबी सीजन में सही तकनीक अपनाएँ और अपने खेत को समृद्धि का केंद्र बनाएँ।

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  • Shashikant

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