भारत में टमाटर की खेती लगातार विकसित हो रही है और किसान अब हाइब्रिड किस्में अपनाकर अधिक पैदावार और मुनाफा कमा रहे हैं। नामधारी 5037 इस दिशा में एक प्रमुख हाइब्रिड किस्म है, जिसे नामधारी सीड्स प्राइवेट लिमिटेड ने खासतौर पर उच्च उत्पादन और गुणवत्ता के लिए विकसित किया है। इसकी खासियत है तेज वृद्धि, जल्दी फलन, रोग सहनशीलता और लंबी शेल्फ लाइफ। यही कारण है कि किसान इसे तेजी से अपना रहे हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपनी निजी खेती में नामधारी 5037 को अपनाया और सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करते हुए बताया कि एक महीने में ही पौधे स्वस्थ और फलों से लदे नजर आ रहे हैं। यह उदाहरण किसानों के लिए भरोसेमंद है कि यह किस्म व्यावहारिक रूप से सफल है।
आज अपने खेत पहुंचकर टमाटर की फसल देखी। यह टमाटर की वैरायटी नामधारी 5037 है, इसके पौधे एकदम स्वस्थ हैं। इसको लगाए हुए एक महीना हुआ है और अब इसमें टमाटर भी लगने शुरू हो गए हैं। लगभग एक महीने बाद ये टमाटर बाजार में उपलब्ध होंगे।
अगर सही वैरायटी का चुनाव कर समय पर न्यूट्रिएंट दिए… pic.twitter.com/ky5k4OsWDP
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 28, 2025
तेज वृद्धि और जल्दी फलन
नामधारी 5037 की सबसे बड़ी ताकत इसकी तेज वृद्धि और जल्दी फलन है। रोपाई के 25 से 30 दिन बाद ही पौधे मजबूत होकर खड़े हो जाते हैं और प्रत्यारोपण के 65 से 70 दिन बाद पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है। पारंपरिक किस्मों की तुलना में यह अवधि 20 से 30 दिन कम है। इस किस्म के फल गोल, चमकदार लाल और एकसमान आकार के होते हैं जिनका औसत वजन 80 से 100 ग्राम तक होता है। लंबे समय तक ताजगी बनाए रखने की क्षमता भी इसे खास बनाती है, क्योंकि यह 7 से 10 दिन तक बिना खराब हुए बाजार में टिक सकती है।
फल की गुणवत्ता और बाजार में मांग
नामधारी 5037 के फल देखने में आकर्षक होते हैं। इनके गोल आकार, लाल रंग और चमकदार सतह के कारण उपभोक्ता इन्हें आसानी से पसंद करते हैं। वजन और मोटाई के कारण ये पैकेजिंग और ढुलाई के लिए भी उपयुक्त हैं। लंबी शेल्फ लाइफ के कारण किसान इन्हें दूर-दराज के बाजारों तक भी भेज सकते हैं। इसकी औसत उपज 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँचती है और बाजार में 15 से 25 रुपये प्रति किलो की दर मिलने पर किसान आसानी से 3.75 से 7.5 लाख रुपये की आय प्राप्त कर सकते हैं। यदि सीजन में दाम बढ़कर 30 रुपये किलो तक पहुँच जाएँ तो मुनाफा दोगुना भी हो सकता है।
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खेती की विधि और खेत की तैयारी
नामधारी 5037 की खेती के लिए दोमट या बलुई-दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है जिसका pH 6.0 से 7.5 के बीच हो। खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, जिसमें बीज बोने के 25 से 30 दिन बाद पौध तैयार होकर खेत में रोपाई के लिए उपयुक्त हो जाती है। नर्सरी में मिट्टी को गोबर की खाद और नमी के साथ तैयार करना जरूरी है। खेत की तैयारी करते समय 2 से 3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी करें और 10 से 12 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ खेत में मिला दें।
इसके बाद पौधों को 90 से 100 सेंटीमीटर की कतार दूरी और 45 से 60 सेंटीमीटर पौधा दूरी पर लगाना चाहिए। रोपाई हमेशा शाम को करनी चाहिए ताकि पौधों पर धूप का झटका न लगे और उसी समय हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए।
खाद और पोषण प्रबंधन
उच्च उत्पादन के लिए खाद और उर्वरकों का संतुलन जरूरी है। नामधारी 5037 में प्रति हेक्टेयर लगभग 120 से 130 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 60 किलो पोटाश की जरूरत होती है। उर्वरकों को तीन भागों में बाँटना चाहिए। पहला भाग रोपाई के समय, दूसरा 30 दिन बाद और तीसरा 60 दिन बाद डालना बेहतर रहता है। जिंक, बोरॉन और कैल्शियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी फलों की गुणवत्ता और चमक बढ़ाने में मदद करते हैं।
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सिंचाई और फसल प्रबंधन
नामधारी 5037 के पौधों को नमी की लगातार जरूरत होती है। टपक सिंचाई प्रणाली इसके लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इससे पानी की बचत भी होती है और जड़ों तक नमी बराबर पहुँचती रहती है। फल बनने के समय खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना बेहद जरूरी है। खरपतवारों को समय पर निकालना चाहिए ताकि पौधों को पर्याप्त पोषण मिल सके।
रोग और कीट प्रबंधन
यह किस्म सामान्य रोगों के प्रति अपेक्षाकृत सहनशील है, लेकिन सावधानी रखना जरूरी है। लीफ कर्ल वायरस से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव कारगर होता है। फफूंद रोगों जैसे झुलसा रोग से बचाव के लिए मैनकोजेब या कार्बेन्डाजिम का उपयोग करना चाहिए। फ्रूट बोरर की समस्या आने पर स्पिनोसैड या इंडोक्साकार्ब उपयोगी साबित होते हैं। जैविक खेती करने वाले किसान नीम तेल का छिड़काव करके भी इनसे बचाव कर सकते हैं।
कटाई
नामधारी 5037 की पहली कटाई रोपाई के 65 से 70 दिन बाद शुरू हो जाती है। फल हल्के हरे से लाल रंग आते ही तोड़ने चाहिए ताकि ढुलाई और भंडारण में नुकसान कम हो। कटाई के बाद फलों को ठंडी और हवादार जगह पर रखें। चूँकि इसकी शेल्फ लाइफ 7 से 10 दिन है, इसलिए यह दूरस्थ बाजारों तक भी आसानी से पहुँचाई जा सकती है।
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लागत और मुनाफा
नामधारी 5037 की खेती में प्रति हेक्टेयर लागत लगभग 1 से 1.5 लाख रुपये आती है। इसमें बीज, खाद, सिंचाई, श्रम और दवाओं का खर्च शामिल है। औसतन 250 से 300 क्विंटल उपज मिलने पर 3.75 से 7.5 लाख रुपये की आय होती है। लागत निकालने के बाद किसान को 2 से 2.5 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा मिलता है। यदि बाजार भाव अनुकूल हो तो यह मुनाफा और बढ़ सकता है।
बीज कहाँ से लें?
नामधारी 5037 का बीज केवल नामधारी सीड्स प्राइवेट लिमिटेड के अधिकृत डीलरों से ही लेना चाहिए। प्रमाणित बीज से ही उपज बेहतर मिलती है और रोगों का खतरा भी कम रहता है। किसान अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से भी बीज उपलब्धता और खेती की तकनीकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
नामधारी 5037 हाइब्रिड टमाटर किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसकी तेज वृद्धि, जल्दी फलन, रोग सहनशीलता और उच्च उत्पादन क्षमता किसानों की आय को दोगुना करने की क्षमता रखती है। यदि किसान वैज्ञानिक तरीकों से इसकी खेती करें और बाजार की मांग को ध्यान में रखें, तो यह किस्म खेतों से लेकर मंडियों तक सफलता का नया रास्ता खोल सकती है।
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