Beans ki organic kheti: बीन्स (फलियाँ) एक पौष्टिक और प्रोटीन से भरपूर फसल है, जिसकी खेती पूरे भारत में की जाती है। इसे सब्जी और दाल दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। मार्च का महीना बीन्स की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इस समय तापमान मध्यम होता है और मौसम फसल के विकास के लिए अनुकूल होता है। यदि आप बीन्स की ऑर्गेनिक खेती करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा।
मिट्टी की तैयारी- Beans ki organic kheti
बीन्स की खेती (Beans ki organic kheti) के लिए उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की अच्छी तरह जुताई करें और उसमें से खरपतवार और पत्थरों को हटा दें। ऑर्गेनिक खेती में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता, इसलिए मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करें। प्रति हेक्टेयर लगभग 10-15 टन गोबर की खाद डालें।
बीज का चयन और बुवाई
बीन्स की ऑर्गेनिक खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। बीजों को बुवाई से पहले जैविक फफूंदनाशक से उपचारित करें ताकि बीमारियों से बचाव हो सके। मार्च के महीने में बुवाई करते समय बीजों को 2-3 सेमी की गहराई पर बोएं। पंक्तियों के बीच की दूरी 30-45 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेमी रखें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
सिंचाई
बीन्स की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है। मार्च के महीने में तापमान बढ़ने लगता है, इसलिए सिंचाई का विशेष ध्यान रखें। फसल को पहली सिंचाई बुवाई के 5-7 दिन बाद करें और उसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो, क्योंकि इससे जड़ सड़न की समस्या हो सकती है।
खरपतवार और रोग प्रबंधन
खरपतवार फसल की पैदावार को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इन्हें नियंत्रित करना जरूरी है। ऑर्गेनिक खेती में रासायनिक खरपतवारनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए, खरपतवार को हाथ से निकालें या खुरपी का उपयोग करें। बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें और दूसरी निराई फूल आने से पहले करें।
बीन्स की फसल को कई तरह के कीट और रोग प्रभावित कर सकते हैं, जैसे एफिड्स, थ्रिप्स, और फलियों की सूंडी। ऑर्गेनिक खेती में कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करें। नीम का तेल, गौमूत्र, और लहसुन का घोल कीटों को नियंत्रित करने में मददगार होता है। रोगों से बचाव के लिए फसल चक्र अपनाएं और स्वस्थ बीजों का उपयोग करें।
फसल की कटाई
बीन्स की फसल बुवाई के 60-70 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यदि आप हरी फलियों की कटाई कर रहे हैं, तो फलियों को कोमल और हरे रंग में होने पर तोड़ें। यदि दाल के लिए फसल उगाई गई है, तो फलियों को पूरी तरह से पकने दें और उसके बाद कटाई करें। कटाई के बाद फलियों को अच्छी तरह से सुखाएं और भंडारण करें।
ऑर्गेनिक खेती के लाभ
बीन्स की ऑर्गेनिक खेती (Beans ki organic kheti) न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि यह किसानों को अच्छा मुनाफा भी देती है। ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिलती है। इसके अलावा, ऑर्गेनिक खेती मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है और जल संसाधनों को प्रदूषित होने से बचाती है।
मार्च में बीन्स की ऑर्गेनिक खेती करना एक लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है। सही तकनीक और प्रबंधन के साथ आप इस फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। ऑर्गेनिक खेती न केवल आपकी आय को बढ़ाती है, बल्कि यह प्रकृति और मानव स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसलिए, बीन्स की ऑर्गेनिक खेती को अपनाकर आप एक स्थायी और स्वस्थ कृषि प्रणाली का हिस्सा बन सकते हैं।
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