Top 5 Berseem Varieties: बरसीम भारत में सबसे अधिक उगाई जाने वाली चारा फसलों में से एक है। इसे “हरी चारे की रानी” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन और पचने योग्य तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। बरसीम की खेती खासकर डेयरी किसानों के लिए बहुत लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि यह पशुओं को लंबे समय तक हरा चारा उपलब्ध कराती है। किसानों की जरूरत और जलवायु के अनुसार कई किस्में विकसित की गई हैं। इनमें से कुछ किस्में अधिक उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च गुणवत्ता वाले चारे के लिए जानी जाती हैं। आइए जानते हैं बरसीम की टॉप 5 किस्मों की खासियत।
1. जे.बी.-1 (JB-1)
जे.बी.-1 बरसीम की सबसे पुरानी और लोकप्रिय किस्मों में से एक है। किसानों के बीच इसकी मांग हमेशा से बनी रही है। यह किस्म 5 से 6 बार तक कटाई देने में सक्षम है और हरे चारे की अच्छी पैदावार देती है। हालाँकि, नई किस्मों की तुलना में इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता थोड़ी कम है। फिर भी, छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए यह अब भी एक भरोसेमंद विकल्प बनी हुई है।
2. बी.एल.-10 (BL-10)
पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में BL-10 किस्म बेहद लोकप्रिय है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जून तक लगातार हरा चारा देती रहती है। पौधे लंबे और पत्तेदार होते हैं, जिससे चारे की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है। डेयरी किसानों के लिए यह किस्म बहुत उपयोगी है, क्योंकि इससे लंबे समय तक पशुओं के लिए ताज़ा और पोषक चारा उपलब्ध होता है।
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3. बी.एल.-42 (BL-42)
BL-42 किस्म की बढ़वार तेज़ होती है और इसमें अधिक शाखाएँ निकलती हैं। यही वजह है कि इस किस्म से हरे चारे की अधिक पैदावार मिलती है। यह किस्म तना सड़न (Stem rot) जैसी बीमारी के प्रति कुछ हद तक प्रतिरोधक है, जिससे किसान भाई लंबे समय तक सुरक्षित खेती कर सकते हैं। इसकी पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाती है।
4. बी.एल.-43 (BL-43)
BL-43 किस्म लंबे समय तक हरा चारा उपलब्ध कराती है। इसकी एक खासियत यह भी है कि इसमें बीज उत्पादन की अच्छी क्षमता होती है। इस किस्म से जून तक लगातार हरा चारा मिलता है, जिससे किसानों को चारा खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती। जो किसान लंबे समय तक बरसीम से फायदा लेना चाहते हैं, उनके लिए BL-43 एक अच्छा विकल्प है।
5. हाडू (Haadu)
हाडू बरसीम की नई और उन्नत किस्म है। इसे उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए विकसित किया गया है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा लगभग 22 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह पचने योग्य चारा देने में भी बेहतर है। चूँकि यह देर से पकने वाली किस्म है, इसलिए इससे अधिक बार कटाई की जा सकती है। लंबे समय तक हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए यह किस्म किसानों के लिए बेहद उपयोगी है।
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किसानों के लिए सही चुनाव
बरसीम की किस्म चुनते समय किसानों को अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखना चाहिए।
पूर्वी भारत जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में BL-42, BL-43 और Haadu किस्में अधिक फायदे की साबित होंगी।
डेयरी किसानों के लिए BL-10 और JB-1 उपयुक्त हैं, क्योंकि ये लंबे समय तक लगातार हरा चारा उपलब्ध कराती हैं।
किसानों को हमेशा विश्वसनीय स्रोत से ही प्रमाणित बीज लेना चाहिए, ताकि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों सुनिश्चित हो सके।
बरसीम की खेती भारत में पशुपालन और डेयरी व्यवसाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सही किस्म चुनकर किसान न केवल अधिक हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं बल्कि पशुओं को बेहतर पोषण भी दे सकते हैं। JB-1, BL-10, BL-42, BL-43 और Haadu जैसी किस्में किसानों को उनकी आवश्यकता और क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार बेहतरीन विकल्प प्रदान करती हैं। सही प्रबंधन और सही किस्म का चयन करके किसान भाई बरसीम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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