EGG Production: उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अंडों की खपत हमेशा से ही ऊंची रही है। रोजमर्रा की थाली से लेकर बाजार तक, अंडे हर जगह की जरूरत हैं। लेकिन जैसे ही सर्दी की ठंडक हवा में घुलने लगती है, यह डिमांड और तेजी से बढ़ जाती है। किसान भाई बताते हैं कि ठंड के दिनों में लोग गर्माहट के लिए अंडों का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं चाहे उबले अंडे हों या सब्जियों में मिलाकर।
यूपी पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली की मानें तो सर्दी में रोजाना 5.5 करोड़ अंडों की जरूरत पड़ती है, जबकि गर्मी में यह 3 से 3.5 करोड़ तक सिमट जाती है। लेकिन दुख की बात, यूपी का अपना उत्पादन इस मांग को पूरा करने से कोसों पीछे है।
उत्पादन में कमी
यूपी में अंडों का उत्पादन औसतन 1.5 से 1.7 करोड़ तक ही पहुंच पाता है। कभी-कभी यह 2 करोड़ तक भी छू लेता है, लेकिन यह स्थिर नहीं रहता। वजह साफ है नए पोल्ट्री फार्म वाले किसान बाजार में उतरते हैं, लेकिन एक-दो सीजन में घाटा होने पर दुकानें बंद कर देते हैं। मुर्गी पालन में शुरुआती खर्च ज्यादा होता है, और बाजार की कीमतें अस्थिर रहती हैं। ऐसे में किसान हतोत्साहित हो जाते हैं। यूपी सरकार ने 2022 में कुक्कुट नीति लॉन्च की, जो अंडा और ब्रॉयलर मुर्गे के उत्पादन को बढ़ावा देने का वादा करती है। लेकिन जमीन पर इसका असर कम दिख रहा है। नई लेयर फार्में खुलने की बजाय, पुरानी फार्में ही जूझ रही हैं।
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दूसरे राज्यों पर निर्भरता
जब यूपी की अपनी फसल कम पड़ती है, तो ट्रेडर्स दूसरे राज्यों से अंडे मंगाते हैं। हरियाणा के बरवाला से लेकर राजस्थान, तेलंगाना, आंध्रा प्रदेश, चेन्नई और बंगाल तक की सप्लाई आती है। दक्षिण भारत के राज्य इस मामले में आगे हैं, जहां बड़े पैमाने पर पोल्ट्री फार्म चलते हैं। लेकिन यह आयात यूपी के किसानों के लिए नुकसानदेह है। वे अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं पा पाते। नवाब अली कहते हैं कि दूसरे राज्यों से आने वाले अंडे सस्ते पड़ते हैं, लेकिन गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं। यूपी को अपनी जरूरत खुद पूरी करने की क्षमता बनानी होगी, ताकि स्थानीय किसान मजबूत हों।
परिवहन नियमों का पालन क्यों जरूरी
सरकार ने अंडों के परिवहन के लिए सख्त नियम बनाए हैं। 150 किलोमीटर से ज्यादा दूरी से आने वाले अंडों को एसी वाहनों में लाना अनिवार्य है, ताकि वे ताजा रहें। कोल्ड स्टोरेज में रखने-निकालने के भी दिशानिर्देश हैं। इनका फायदा दोहरा है – किसानों को सही दाम मिलेंगे और उपभोक्ताओं को स्वस्थ अंडे। लेकिन अफसरी अमल नहीं करा रही, जिससे हर तरह के अंडे बाजार में घुस आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये नियम सख्ती से लागू हों, तो यूपी के पोल्ट्री किसान आत्मनिर्भर बन सकेंगे। केज फ्री पोल्ट्री फार्मिंग जैसी नई तकनीकों को अपनाकर भी उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
पोल्ट्री को नया रूप दें
यूपी के किसानों को चाहिए कि वे छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से मुर्गी पालन शुरू करें। सरकारी सब्सिडी और ट्रेनिंग का फायदा उठाएं। सर्दी से पहले ही फार्म की तैयारी करें, ताकि डिमांड के समय कमी न पड़े। अगर उत्पादन बढ़ा, तो न केवल आय दोगुनी होगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत बनेगी। नवाब अली जैसे विशेषज्ञों की सलाह मानें और बाजार की मांग के हिसाब से काम करें। यूपी में अंडों का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है, बस थोड़ी सी मेहनत और सरकारी सहयोग चाहिए।
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