गुजरात में नारियल की खेती ने किसानों की किस्मत चमकाई, 10 साल में 27% बढ़ा रकबा, सरकार दे रही 90% सब्सिडी

गुजरात के तटीय इलाकों में नारियल की खेती अब किसानों के लिए कमाई का सबसे मजबूत जरिया बन गई है। पहले जहां पारंपरिक फसलें ही चलती थीं, वहां अब नारियल के बागान हर तरफ नजर आ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दस सालों में नारियल के खेती के क्षेत्र में 27 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी हुई है।

राज्य में हर साल 23.60 करोड़ से ज्यादा हरे नारियल का उत्पादन हो रहा है, जो किसानों की मेहनत का फल साफ दिखा रहा है। कृषि विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि ये फसल न सिर्फ कम पानी में उगती है बल्कि साल भर बाजार में बिकाव भी सुनिश्चित करती है। छोटे किसान भाई जो सीमित जमीन पर खेती करते हैं, उनके लिए ये एक सुनहरा अवसर साबित हो रहा है।

नारियल उत्पादन में गुजरात का नया रिकॉर्ड, बाजार की डिमांड ने दी रफ्तार

गुजरात सरकार के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य के कुल नारियल उत्पादन का 20 प्रतिशत हिस्सा हरे नारियल के रूप में काटा जाता है, जबकि 42 प्रतिशत पके नारियल के तौर पर बाजार में जाता है। इसके अलावा करीब 33 प्रतिशत नारियल दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों को निर्यात किए जाते हैं। नारियल पूरे साल उपलब्ध रहता है, लेकिन गर्मियों में मार्च से जून तक इसकी मांग सबसे ज्यादा चढ़ जाती है, जब कीमतें 20-25 रुपये प्रति नारियल तक पहुंच जाती हैं।

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वर्तमान में उत्पादन मुख्य रूप से गिर-सोमनाथ, जूनागढ़, भावनगर, वलसाड, कच्छ, नवसारी और देवभूमि द्वारका जैसे सात तटीय जिलों से हो रहा है। इन इलाकों के किसान बताते हैं कि एक एकड़ से सालाना 50-60 हजार नारियल आसानी से निकल आते हैं, जो 2-3 लाख की कमाई का सबब बन जाता है।

90% तक अनुदान से किसानों को मिल रही मजबूती

गुजरात सरकार अब बाकी तटीय जिलों में भी नारियल की खेती को फैलाने के लिए किसानों को भारी भरकम सहायता दे रही है। नारियल विकास योजना के तहत बीज, खाद और ड्रिप इरिगेशन पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल रही है, जिससे छोटे किसान बिना ज्यादा खर्च के बागान लगा पा रहे हैं।

कृषि अधिकारियों का मानना है कि ये प्रयास न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे बल्कि राज्य को नारियल उत्पादन में शीर्ष राज्यों की सूची में ला देंगे। एक किसान ने बताया कि सब्सिडी की वजह से हमने 5 एकड़ पर नारियल लगाया, और पहली ही फसल से लागत वसूल हो गई। ये योजना किसानों को नई तकनीक से जोड़ रही है, जैसे ऊतियों का इस्तेमाल और रोग नियंत्रण, ताकि फसल हमेशा स्वस्थ रहे।

नारियल की खेती ने गुजरात के तटीय किसानों को नई जिंदगी दी है, और आने वाले दिनों में ये और फैलेगी। कम रखरखाव वाली ये फसल जलवायु परिवर्तन के दौर में भी सुरक्षित साबित हो रही है। अगर आप भी तटीय इलाके में हैं तो लोकल कृषि केंद्र से संपर्क करें और योजना का लाभ लें।

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  • Shashikant

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