मध्य प्रदेश के खेतों में धान और गेहूं की कटाई के बाद पराली जलाने की पुरानी आदत अब किसानों के लिए सिरदर्द बन गई है, लेकिन अच्छी खबर ये है कि राज्य सरकार ने स्ट्रॉ रीपर मशीन पर भारी सब्सिडी की योजना शुरू कर दी है। ये आधुनिक यंत्र फसल अवशेषों को आसानी से इकट्ठा कर लेगा, जिससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा बल्कि खेत जल्दी अगली फसल के लिए तैयार हो जाएंगे।
कृषि विभाग के अनुसार, 3 अक्टूबर से ही ई-कृषि यंत्र पोर्टल पर आवेदन शुरू हो चुके हैं, और किसान भाई जो पराली प्रबंधन की मुश्किल से जूझ रहे हैं, उनके लिए ये योजना किसी वरदान से कम नहीं। सही समय पर आवेदन करें तो 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिल जाएगी, जो छोटे किसानों की जेब पर बोझ कम कर देगी।
स्ट्रॉ रीपर सब्सिडी योजना से किसानों को मिलेगी दोगुनी राहत
मध्य प्रदेश सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए स्ट्रॉ रीपर पर सब्सिडी की ये योजना लाई है, जो पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आय दोनों को मजबूत बनाएगी। सामान्य वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के भाइयों को 50 प्रतिशत तक का फायदा होगा। ये सब्सिडी मशीन की कुल लागत पर दी जाएगी, जिससे खरीदना आसान हो जाएगा। विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है और जुर्माना भी लगता है, लेकिन स्ट्रॉ रीपर से अवशेषों को चारे या खाद में बदला जा सकता है। आवेदनों की संख्या ज्यादा होने पर लॉटरी से चयन होगा, इसलिए देर न करें।
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आवेदन की आसान प्रक्रिया, डिमांड ड्राफ्ट जरूर जमा करें
आवेदन के लिए सबसे पहले farmer.mpdage.org पोर्टल पर जाएं और आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन पूरा करें। इसके बाद मांगे गए दस्तावेज जैसे बैंक पासबुक, खतौनी, किसान पंजीयन संख्या और 10 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट अपलोड करें ये ड्राफ्ट जिला सहायक कृषि यंत्री के नाम से होना चाहिए। बिना इसके आवेदन अमान्य हो जाएगा। चयनित किसानों को पोर्टल पर सूचना और एसएमएस दोनों से मिलेगी, फिर मशीन खरीदकर सब्सिडी का लाभ उठाएं। कृषि विभाग ने साफ कहा है कि ये प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है, और छोटे-बड़े सभी किसान इसमें शामिल हो सकते हैं।
स्ट्रॉ रीपर से खेतों को बनाएं प्रदूषण मुक्त और उपजाऊ
स्ट्रॉ रीपर एक ऐसा यंत्र है जो कटाई के बाद बचे पराली को तेजी से काटकर इकट्ठा कर लेता है, जिससे खेत साफ हो जाते हैं और अगली बुवाई में देरी नहीं होती। इससे मिट्टी की सेहत बनी रहती है, क्योंकि अवशेषों को जलाने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पशु चारे की कमी दूर होगी, जैविक खाद बनेगी और ऊर्जा उत्पादन में भी इस्तेमाल हो सकेगा। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये मशीन न सिर्फ समय बचाती है बल्कि किसानों को जुर्माने से भी बचाती है। मध्य प्रदेश जैसे राज्य में जहां पराली जलाना आम समस्या है, ये यंत्र खेती को नया आयाम देगा।
मध्य प्रदेश सरकार की ये सब्सिडी योजना किसानों को आधुनिक खेती की ओर ले जाएगी, और पराली जलाने की बुराई को जड़ से खत्म कर देगी। अगर आप भी शामिल होना चाहते हैं तो आज ही पोर्टल पर चेक करें और दस्तावेज तैयार रखें।
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