रबी सीजन की शुरुआत में गेहूं की बुवाई करने वाले किसान भाई अब ऐसी किस्म की तलाश में हैं जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार दे सके। ऐसे में DBW 296 करन ऐश्वर्या नाम की ये उन्नत किस्म एक बेहतरीन विकल्प साबित हो रही है, जो सीमित सिंचाई वाले इलाकों में 56 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज देती है। भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIWBR), करनाल द्वारा विकसित ये किस्म दिसंबर 2021 में केंद्रीय वेरायटी रिलीज कमिटी (CVRC) द्वारा अधिसूचित हुई थी, और ये ब्रेड व्हीट (ट्रिटिकम एस्टिवम) की हाई यील्डिंग वैरायटी है।
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा-उदयपुर संभाग को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश के ऊना-पांवटा घाटी, उत्तराखंड के तराई क्षेत्र और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में ये खासतौर पर फिट बैठती है। अच्छे मानसून के बाद मिट्टी में बनी नमी इस बुवाई को और आसान बना रही है, लेकिन पानी की किल्लत वाले इलाकों में ये किस्म जैसे बनी-बनाई है। ये न सिर्फ पैदावार बढ़ाती है बल्कि मिट्टी की सेहत को भी मजबूत रखती है, जो जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
ICAR-IIWBR के वैज्ञानिकों ने इसे क्लाइमेट रेजिलिएंट बनाने के लिए सालों की मेहनत की है, ताकि छोटे किसान भी बिना ज्यादा संसाधनों के अच्छी फसल काट सकें। इस किस्म का नाम ‘करन ऐश्वर्या’ रखा गया है, जो करनाल के नाम पर है और ऐश्वर्या का मतलब समृद्धि से है बिल्कुल सही, क्योंकि ये किसानों को समृद्धि ही तो लाती है।
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DBW 296 करन ऐश्वर्या की खासियतें जो इसे बनाती हैं किसानों की पसंद
DBW 296 करन ऐश्वर्या की सबसे बड़ी ताकत ये है कि ये पीले रतुआ (येलो रस्ट), झुलसा (स्पॉट ब्लॉच) और काले रतुआ (ब्लैक रस्ट) जैसे प्रमुख रोगों के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधी है। इसमें कई प्रभावी रतुआ रोधी जीन मौजूद हैं, जो फसल को शुरुआती हमलों से बचाते हैं। फफूंदी या पाउडरी मिल्ड्यू की शुरुआती अवस्था में 0.1 प्रतिशत घुलनशील सल्फर का छिड़काव करने से ये समस्या भी दूर रहती है, लेकिन इसकी जेनेटिक रेसिस्टेंस की वजह से दवाओं की जरूरत कम पड़ती है। दाने मजबूत ग्लूटेन वाले होते हैं, जो बिस्किट, ब्रेड और चपाती बनाने के लिए उपयुक्त हैं।
बिस्किट स्प्रेड फैक्टर 9.5 से 10 तक रहता है, जबकि ब्रेड गुणवत्ता स्कोर 8.2 है। हेक्टोलिटर वजन 78.6 होने से ये व्यावसायिक उपयोग के लिए भी आकर्षक है, यानी मिलों और बेकरी उद्योगों में इसकी डिमांड ज्यादा रहेगी। पौधे का कद मध्यम रहता है, जो हवा से गिरने का खतरा कम करता है, और पत्तियां हरी-भरी लंबे समय तक बनी रहती हैं। ये किस्म टाइमली सोइंग (समय पर बुवाई) के लिए डिजाइन की गई है, जहां देरी होने पर भी उपज में ज्यादा गिरावट नहीं आती।
वैज्ञानिक ट्रायल्स में ये अन्य किस्मों जैसे HD 3043 और पंजाब सिंच से बेहतर साबित हुई है, खासकर लिमिटेड वॉटर कंडीशंस में। छोटे किसान भाई जो पानी की कमी से जूझते हैं, उनके लिए ये किस्म नई उम्मीद जगाती है, क्योंकि ये न सिर्फ पैदावार बढ़ाती है बल्कि लागत भी कम रखती है। इसके अलावा, ये बायोफोर्टिफाइड कैटेगरी में आती है, यानी दानों में आयरन और जिंक जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा ज्यादा है, जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
इस किस्म के फायदे जो किसानों की आय दोगुनी करेंगे
DBW 296 करन ऐश्वर्या के फायदे गिनाने बैठें तो लिस्ट लंबी हो जाएगी। सबसे पहले, ये सीमित सिंचाई में भी हाई यील्ड देती है, जो सूखा प्रभावित इलाकों के किसानों के लिए गेम चेंजर है। औसत उपज 56.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, लेकिन सही प्रबंधन से 83.3 क्विंटल तक पहुंच सकती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता से दवाओं पर होने वाला खर्च 20-30 प्रतिशत तक बच जाता है, जो छोटे किसानों की जेब के लिए राहत है। दाने की क्वालिटी इतनी ऊंची है कि बाजार में प्रीमियम प्राइस मिलता है चपाती सॉफ्ट बनेगी, ब्रेड फूली हुई और बिस्किट क्रिस्पी।
ये किस्म मिट्टी की सेहत सुधारती है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन फिक्सिंग की क्षमता ज्यादा है, जो अगली फसल के लिए फायदा देगी। जलवायु परिवर्तन के दौर में, जहां अनियमित बारिश आम है, ये किस्म स्थिर पैदावार का भरोसा दिलाती है। किसान भाई जो मिश्रित खेती करते हैं, उनके लिए ये परफेक्ट है, क्योंकि ये अन्य फसलों के साथ इंटरक्रॉपिंग में भी अच्छा प्रदर्शन करती है। कुल मिलाकर, ये न सिर्फ आय बढ़ाती है बल्कि खेती को टिकाऊ बनाती है, जो लंबे समय के लिए फायदेमंद है।
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बुवाई से कटाई तक, आसान खेती के टिप्स
DBW 296 करन ऐश्वर्या की बुवाई 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक करें, ताकि फसल ठंड के मौसम में मजबूत हो सके। खेत तैयार करने के लिए सिंचाई के बाद डिस्क हैरो, लेवलर और रोटावेटर से जुताई करें, जिससे मिट्टी समतल और भुरभुरी बने। अगर हाल ही में बारिश हुई हो तो अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं। प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज इस्तेमाल करें, और पंक्तियों के बीच 20 सेंटीमीटर दूरी रखें। बीजों को कार्बोक्सिन और थीरम जैसे कवकनाशी से उपचारित करना न भूलें, ताकि शुरुआती रोगों से बचाव हो। बुवाई के समय ही उर्वरक डालें प्रति हेक्टेयर 90 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश।
नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय, और बाकी पहली गांठ बनने की अवस्था (45-50 दिन बाद) में दें। ये संतुलन रखने से पौधे की ग्रोथ तेज होती है। सिंचाई सीमित रखें बुवाई से पहले एक सिंचाई और 45-50 दिन बाद दूसरी पर्याप्त है। ज्यादा पानी न दें, वरना जड़ें कमजोर पड़ सकती हैं और रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए संकरी पत्ती वाले खरपतवारों पर आईसोप्रोट्यूरॉन, क्लोडिनाफॉप, पिनोक्साडेन या फेनोक्साप्रॉप जैसे हर्बिसाइड्स का इस्तेमाल करें।
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को 30-35 दिन बाद 2,4-डी या मेटसल्फ्यूरॉन से काबू करें, लेकिन मिट्टी में नमी होने पर ही। रतुआ रोगों से बचाव के लिए जीन की वजह से चिंता कम है, लेकिन फफूंदी पर शुरुआत में ही 0.1% सल्फर स्प्रे करें। कटाई मार्च के आखिर या अप्रैल की शुरुआत में करें, जब नमी 12-14% रह जाए। थ्रेशिंग के बाद दाने को साफ करें और स्टोरेज में रखें। ये सभी टिप्स अपनाने से फसल न सिर्फ सुरक्षित रहेगी बल्कि उपज भी अधिकतम हो जाएगी। किसान भाई लोकल कृषि केंद्र से बीज और सलाह लें, ताकि शुरुआत मजबूत हो।
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उपज और गुणवत्ता का राज जो किसानों को मालामाल बनाएगा
सीमित सिंचाई में औसतन 56.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है, जबकि अधिकतम क्षमता 83.3 क्विंटल तक है। ये आंकड़े एचडी 3043 और पंजाब सिंच जैसी अन्य किस्मों से बेहतर हैं, जहां ये 10-15% ज्यादा पैदावार देती है। दाने की गुणवत्ता इतनी ऊंची है कि बाजार में प्रीमियम प्राइस मिलता है चपाती सॉफ्ट बनेगी, ब्रेड फूली हुई और बिस्किट क्रिस्पी। छोटे किसान भी इसे अपना सकेंगे, क्योंकि कम पानी और मजबूत रोग प्रतिरोध से खर्च बचता है।
उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में अपनाएं ये किस्म
DBW 296 करन ऐश्वर्या उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए बनी है, जहां पानी की किल्लत आम है। पंजाब, हरियाणा से लेकर मध्य प्रदेश तक के किसान इसे आजमा सकते हैं। लोकल कृषि केंद्र से बीज लें और ट्रायल शुरू करें।
DBW 296 करन ऐश्वर्या से बदलें अपनी गेहूं खेती की तस्वीर
DBW 296 करन ऐश्वर्या जैसी उन्नत किस्में रबी सीजन को किसानों के लिए सोने का मौका बना देती हैं। कम पानी में हाई यील्ड, रोग प्रतिरोध और अच्छी क्वालिटी ये सब मिलकर आय को दोगुना कर देगा। सही टिप्स अपनाकर आप न सिर्फ पैदावार बढ़ा सकेंगे बल्कि खेती को टिकाऊ भी बना सकेंगे। अगर आपके इलाके में पानी की समस्या है तो ये किस्म जरूर आजमाएं। कृषि विशेषज्ञों की सलाह मानें और छोटे स्तर से शुरू करें—नतीजे आपको हैरान कर देंगे।
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