धान के बाद लगा दें सरसों की ये नई किस्म, 100 दिन में खेतों में उगलेगी किसानों के लिए पीला सोना

New mustard variety DRMR-150-35: छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक नई उम्मीद जगी है। धान की फसल कटाई के बाद अगर खेत खाली पड़े रहते हैं, तो अब सरसों की एक उन्नत किस्म से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल सकता है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. मुकेश कुमार पांडेय ने बताया कि सरसों की खेती अब सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि एक मजबूत व्यवसाय बन सकती है। यह नई किस्म DRMR-150-35 राज्य के मौसम और मिट्टी के लिए बिल्कुल फिट बैठती है, और कम पानी में ज्यादा उपज देकर किसानों की आय को दोगुना करने का दम रखती है।

15 अक्टूबर से पहले बोयें, मिलेगी शानदार पैदावार

डॉ. पांडेय ने सलाह दी है कि सरसों की बुवाई 15 अक्टूबर से पहले ही कर लें। खासकर उन खेतों में जहाँ सितंबर में धान की जल्दी कटाई हो जाती है या खेत खाली हो जाते हैं। इस किस्म की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह सिर्फ 100 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तक की उपज आसानी से मिल सकती है, जो छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में किसानों के लिए वाकई एक बड़ा फायदा साबित हो रहा है। अगर सही समय पर बुवाई की जाए, तो दिसंबर-जनवरी तक फसल कटाई के लिए तैयार हो जाएगी, और किसान बिना इंतजार के अगली कमाई शुरू कर सकेंगे।

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कतार विधि अपनाएँ, पौधों की ग्रोथ रहेगी बेहतर

सरसों की खेती में बुवाई का तरीका बहुत मायने रखता है। विशेषज्ञों का कहना है कि छिड़काव विधि से बचें, क्योंकि इससे पौधों की दूरी बराबर नहीं रहती और फसल घनी हो जाती है, जिससे विकास रुक जाता है। इसके बजाय कतारों में बुवाई करें। कतार से कतार की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर रखें और पौधे से पौधे के बीच 15 से 20 सेंटीमीटर का फासला बनाए रखें। इस तरीके से पौधे मजबूती से बढ़ेंगे, हवा और रोशनी का अच्छा प्रवाह होगा, और उपज में इजाफा होगा। यह छोटा-सा बदलाव किसानों को लंबे समय तक फायदा पहुँचाएगा।

कम पानी में उगाएँ, मिट्टी की सेहत भी बनी रहेगी

इस किस्म DRMR-150-35 की एक और खास बात है कि यह ज्यादा पानी की मांग नहीं करती। खेत में मौजूद प्राकृतिक नमी ही काफी है इसकी अच्छी ग्रोथ के लिए। सिंचाई पर कम खर्च होने से किसानों का बोझ हल्का होगा, खासकर उन इलाकों में जहाँ पानी की किल्लत रहती है। डॉ. पांडेय ने जोर देकर कहा कि वैज्ञानिक तरीके से खेती अपनाने से न सिर्फ आय बढ़ेगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बरकरार रहेगी। धान के बाद सरसों लगाने से खेतों को नई जान मिलेगी और अगली फसल के लिए जमीन तैयार हो जाएगी।

बीज कहाँ से लें, विशेषज्ञ से संपर्क करें

किसान भाई अगर इस नई किस्म को आजमाना चाहते हैं, तो बीज कृषि विज्ञान केंद्र, रायपुर से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. मुकेश कुमार पांडेय से सीधे संपर्क करने के लिए उनका मोबाइल नंबर 79740 63876 है। वे न सिर्फ बीज उपलब्ध कराएँगे, बल्कि खेती के गुर भी सिखाएँगे। यह मौका हाथ से न जाने दें, क्योंकि सरसों का पीला सोना आपकी मेहनत को सच्चा इनाम देगा।

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  • Shashikant

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