High Yield Mustard Variety: किसान भाईयों, सर्दी की ठंडक आते ही सरसों के पीले खेत खेतों को सजाते हैं। सरसों न सिर्फ तेल का बेहतरीन स्रोत है, बल्कि सब्जी और हरी खाद के रूप में भी उपयोगी है। इसमें पूसा सरसों-30 नाम की किस्म ने किसानों का दिल जीत लिया है। यह आईएआरआई, पूसा द्वारा विकसित उन्नत किस्म है, जो 2015 में रिलीज़ हुई। कम एरूसिक एसिड (LES-43) वाली यह किस्म सेहतमंद तेल देती है और 137 दिनों में 18.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। कम पानी और रोग प्रतिरोधी क्षमता के साथ यह सूखा प्रभावित इलाकों के लिए आदर्श है। आजकल सरसों के अच्छे दाम मिल रहे हैं, तो यह किस्म कमाई का बड़ा सौदा साबित हो सकती है।
पूसा सरसों-30 की अनोखी खूबियाँ
पूसा सरसों-30 की ताकत है इसकी ऊँची उपज और गुणवत्ता। जहाँ साधारण सरसों 12-15 क्विंटल देती है, यह 18.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच जाती है। फसल की अवधि 137 दिन है, जो मध्यम अवधि की फसल बनाती है। पौधे 160-170 सेंटीमीटर ऊँचे होते हैं, जो तेज हवा में भी नहीं झुकते। दाने मोटे, चमकीले पीले और तेल की मात्रा 37.7 प्रतिशत होती है, जो बाजार में प्रीमियम कीमत दिलाती है। यह एलिसिम (जंग) और अल्टरनेरिया (झुलसा) जैसे रोगों से लड़ने में माहिर है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान के लिए यह खासतौर पर उपयुक्त है।
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बुआई का सही मुहूर्त
पूसा सरसों-30 की बुआई समय पर हो तो उपज दोगुनी हो जाती है। उत्तर भारत में 15 अक्टूबर से 5 नवंबर तक बुआई सबसे सही रहती है। देरी से बुआई पर उपज 15-20 प्रतिशत गिर सकती है। खेत को 3-4 बार जुताई देकर भुरभुरा बनाएँ, ताकि जड़ें फैल सकें। प्रति हेक्टेयर 8-10 किलो ट्रुथफुल बीज इस्तेमाल करें। बोने से पहले बीज को थिराम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें, रोगों से बचाव के लिए। पंक्तियाँ 30 सेंटीमीटर दूर रखें और पौधे 10-15 सेंटीमीटर अंतर पर बोएँ। रबी मौसम में गेहूँ या चना के साथ मिश्रित खेती भी संभव है। समय पर बुआई से पौधा ताकतवर होता है और दाने भरे-पूरे रहते हैं।
मिट्टी और खाद का संतुलन
पूसा सरसों-30 को जल निकासी वाली दोमट मिट्टी पसंद है, जहाँ पीएच 7.0-8.0 हो। रेतीली मिट्टी में भी ठीक चलती है, लेकिन भारी मिट्टी में जलभराव न होने दें। बुआई से 15 दिन पहले 10-12 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। उर्वरकों में पूरी फॉस्फोरस (60 किलो) और पोटाश (40 किलो) बुआई पर दें। नाइट्रोजन (120 किलो) को तीन भागों में बाँटें—एक तिहाई बुआई पर, एक तिहाई 30 दिन बाद और बाकी फूल आने पर। जैविक तरीके से गोमूत्र या वर्मी कम्पोस्ट घोल डालें, मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी। 25-30 दिन बाद हल्की नीराई-गुड़ाई करें। ये छोटे प्रयास उपज को 15-20 प्रतिशत बढ़ा देते हैं।
पानी और फसल की देखभाल
पूसा सरसों-30 कम पानी माँगती है, जो इसे कम सिंचाई वाले इलाकों के लिए फिट बनाती है। बुआई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई करें। कुल 3-4 सिंचाई काफी—पहली वृद्धि पर, दूसरी फूल आने पर और तीसरी दाने भरने पर। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है। सब्जी के लिए 45-50 दिन में कटाई करें, लेकिन तेल के लिए 137 दिन इंतजार करें। कीटों से बचाव के लिए नीम तेल छिड़कें। रोग दिखे तो मैनकोजेब घोल डालें। दाने सुखाकर रखें, ताकि तेल की गुणवत्ता बनी रहे। ये सरल उपाय कम लागत में ज्यादा लाभ देते हैं।
पूसा सरसों-30 रोग प्रतिरोधी है, लेकिन सावधानी बरतें। एलिसिम या अल्टरनेरिया के लक्षण पर बोर्डो मिश्रण स्प्रे करें। एफिड्स या चाफर बीटल लगे तो इमिडाक्लोप्रिड का हल्का घोल लगाएँ। जैविक किसान नीम खली पसंद करते हैं। खरपतवार के लिए 20 दिन बाद पेंडीमेथालिन छिड़काव करें। ये देसी-वैज्ञानिक तरीके फसल को हरा-भरा रखते हैं।
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एनएससी, बीजों का भरोसेमंद स्रोत
राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) 1963 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक प्रमुख संस्था है। यह सर्टिफाइड और ट्रुथफुल लेबल बीजों का उत्पादन, प्रसंस्करण व वितरण करती है। सरसों, गेहूँ, चावल जैसी फसलों की 100 से अधिक किस्में एनएससी उपलब्ध कराती है। मुख्यालय नई दिल्ली में है, और देश में 100 से ज्यादा केंद्र हैं। एनएससी के बीज 90% से ऊपर अंकुरण दर वाले, शुद्ध और रोगमुक्त होते हैं, जो 20-30% ज्यादा उपज देते हैं। ऑनलाइन स्टोर myStore.in से पूसा सरसों-30 के 1 किलो ट्रुथफुल लेबल बीज मात्र 175 रुपये में मँगवा सकते हैं। एनएससी सरकारी योजनाओं से जुड़ी है और किसानों को ट्रेनिंग व सब्सिडी देती है। यह आत्मनिर्भर खेती का मजबूत स्तंभ है।
मुनाफे का सुनहरा मौका
पूसा सरसों-30 से 18.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है, बाजार भाव 5000-6000 रुपये प्रति क्विंटल। कुल मुनाफा 80,000-1 लाख रुपये तक। तेल निकालकर और कमाई। राष्ट्रीय तिलहन मिशन से बीज सब्सिडी मिलती है। सब्जी बाजार में भी डिमांड। पूसा सरसों-30 कम एरूसिक तेल और ऊँची उपज वाली फसल है। एनएससी के ट्रुथफुल बीज से शुरू करें, सही बुआई और देखभाल अपनाएँ। यह खेत को हरा-भरा और जेब को भरा देगी।
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