महाराष्ट्र की राजनीति में किसानों के मुद्दे पर तनाव बढ़ गया है। राज्य सरकार में सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने किसानों को लेकर ऐसा बयान दिया है, जो बेहद विवादास्पद साबित हो रहा है। जलगांव की एक जनसभा में पाटिल ने कहा कि विपक्ष वाले कर्जमाफी की मांग करते रहते हैं, क्योंकि किसानों को इसकी लत लग गई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि चुनाव जीतने के लिए नेता वादे करते हैं, जैसे किसी गाँव में नदी लाने का वादा। यह बयान बाढ़ और भारी बारिश से तबाह हुई फसलों के बीच आया है, जब किसान पहले से ही परेशान हैं। अब इस पर पूरे राज्य में सियासी हंगामा मच गया है।
सुप्रिया सुले का जोरदार हमला
मंत्री पाटिल का यह बयान चोपड़ा में दीपज बैंक शाखा के उद्घाटन के दौरान आया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्रियों की यह असंवेदनशीलता शर्मनाक है। किसानों ने बहुत कष्ट झेले हैं और अब उनका मजाक उड़ाया जा रहा है। सुले ने कहा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में सभ्य लोग तो बहुत हैं, लेकिन सरकार को क्या हो गया है? यह बयान विपक्ष को एकजुट करने का काम कर रहा है, और किसानों के बीच भी नाराजगी बढ़ा रहा है।
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मंत्री पाटिल का किसान परिवार से रिश्ता
विवाद बढ़ने के बाद मंत्री पाटिल के तेवर नरम पड़ गए हैं। वे खुद को किसान का बेटा बताते हैं, जिनके पिता भी विधायक रह चुके हैं। सतारा जिले से छह बार विधायक चुने जाने वाले पाटिल दूसरी बार मंत्री बने हैं। लेकिन बयान के बाद विपक्ष ने उन पर हमला बोला है। राज्य में हाल की बाढ़ और बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। विपक्ष फडणवीस सरकार पर कर्जमाफी को लेकर लगातार दबाव डाल रहा है, और यह बयान आग में घी का काम कर रहा है।
उद्धव ठाकरे का ‘इशारा मोर्चा’
बीते दिनों छत्रपति संभाजीनगर में शिवसेना (यूबीटी) ने ‘हंबरडा मोर्चा’ निकाला। यह मराठवाड़ा में मूसलाधार बारिश से बर्बाद फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर था। सभा में उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने कहा कि हर मुश्किल में शिवसेना किसानों के साथ खड़ी रही है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधा कि मुख्यमंत्री के 31,000 करोड़ के राहत पैकेज के दावे सिर्फ कागजों पर हैं, किसानों को अभी तक पैसे नहीं मिले।
उद्धव ने याद दिलाया कि जब वे मुख्यमंत्री थे, तब कर्जमाफी के तहत सीधे खातों में पैसे डाले गए थे। उन्होंने मांग की कि प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। ठाकरे ने चेतावनी दी कि यह ‘जय अंबाडा मोर्चा’ नहीं, बल्कि ‘इशारा मोर्चा’ है। अगर कर्जमाफी नहीं हुई, तो मराठवाड़ा ही नहीं, पूरा महाराष्ट्र सड़कों पर उतरेगा।
किसानों की पीड़ा और राजनीतिक दबाव
महाराष्ट्र में किसानों की हालत गंभीर है। बाढ़ से फसलें बर्बाद हो गईं, और कर्जमाफी की मांग तेज हो गई है। विपक्ष का कहना है कि सरकार किसानों की बजाय चुनावी वादों पर ध्यान दे रही है। मंत्री पाटिल का बयान इस आग को और भड़का रहा है। अब सवाल यह है कि सरकार इस दबाव को कैसे संभालेगी। किसान भाइयों को चाहिए कि वे अपनी आवाज बुलंद रखें, क्योंकि उनकी मेहनत ही राज्य की ताकत है। यह विवाद आने वाले दिनों में और तेज हो सकता है।
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