देश के गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में राजस्थान में एक बड़ी घोषणा की दलहन फसलों की 100 प्रतिशत सरकारी खरीद की गारंटी। यह खबर सुनकर हर किसान के चेहरे पर मुस्कान आ गई, लेकिन जब इस घोषणा का बारीकी से विश्लेषण हुआ, तो किसानों के बीच नाराजगी और निराशा दोनों बढ़ गईं।
सिर्फ तीन फसलों तक सिमटी गारंटी
गृह मंत्री की इस घोषणा में केवल अरहर, उड़द और मसूर को शामिल किया गया है। जबकि मूंग और चना, जो राजस्थान की प्रमुख दलहन फसलें हैं, इस सूची से बाहर रखी गई हैं।
राजस्थान पूरे देश में मूंग उत्पादन में पहले स्थान पर है और इसका योगदान कुल राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग 49% है। वहीं, चना उत्पादन में तीसरे स्थान पर है, जिसका हिस्सा करीब 18% है। ऐसे में इन दोनों फसलों को बाहर रखना किसानों के लिए “कटे घाव पर नमक” जैसा साबित हुआ है।
राजस्थान में दलहन की असली तस्वीर
राजस्थान देश का दलहन भंडार माना जाता है। यहाँ मूंग, चना और उड़द प्रमुख रूप से उगाई जाती हैं। राज्य का कृषि विभाग मानता है कि दलहन उत्पादन से किसानों की आय में सबसे बड़ा योगदान मूंग और चना का है। फिर भी, इन्हें गारंटी खरीद योजना से बाहर रखे जाने को किसान भेदभाव मान रहे हैं।
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पुरानी घोषणा को नए रूप में दोहराया गया
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घोषणा हुई हो। पहले सरकार ने दलहन और तिलहन की खरीद सीमा 25% से बढ़ाकर 40% कर दी थी। फिर अप्रैल 2023 में अरहर, उड़द और मसूर की 100% खरीद का ऐलान किया गया।
अब गृह मंत्री ने उसी पुरानी घोषणा को नई योजना के रूप में दोहराया है। किसानों का कहना है कि यह “नई उम्मीद के नाम पर पुराना वादा” है।
किसान संगठनों का रोष
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि यह घोषणा किसानों के साथ अन्याय है। उन्होंने बताया कि बीते छह वर्षों से राजस्थान के किसान मूंग और चना की एमएसपी पर 100% खरीद की मांग कर रहे हैं। कृषि मंत्रालय से कई दौर की बातचीत के बावजूद आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
घोषणा के दौरान मंच पर कई बड़े नेता और राज्य के मुख्यमंत्री मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी यह नहीं पूछा कि राजस्थान की दो मुख्य दलहन फसलें इस योजना से बाहर क्यों रखी गईं। यह चुप्पी किसानों की निराशा और बढ़ा रही है।
देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की बात तो सरकार करती है, लेकिन मूंग और चना जैसे मुख्य उत्पादकों को खरीद गारंटी से बाहर रखना इस नीति की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।
राजस्थान के किसान अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार उनकी आवाज़ सुनेगी और सभी दलहन फसलों की एमएसपी पर 100% खरीद की गारंटी देगी।
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