सर्दी के मौसम में पालक की खेती किसानों की कमाई का बड़ा स्रोत बनती है, लेकिन कई बार पत्तों पर दाग-धब्बे और पीले पड़ने की समस्या फसल को बर्बाद कर देती है। सहारनपुर जैसे इलाकों में किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. आई.के. कुशवाहा बताते हैं कि सही पोषक तत्वों और छिड़काव से फसल हरी-भरी और चमकदार बन सकती है। इससे न सिर्फ उपज बढ़ती है, बल्कि मंडी में अच्छे दाम भी मिलते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे इन समस्याओं से निपटा जाए।
कीटों से पत्तों का नुकसान, ग्रोथ रुकना
पालक एक पत्तेदार सब्जी है, जो चूसक और छेदक कीटों का शिकार आसानी से बन जाती है। ये कीट पत्तों को चबाते या चूसते हैं, जिससे पौधे की बढ़ोतरी रुक जाती है और पत्ते पीले पड़ने लगते हैं। फसल का वजन कम होने से मंडी में दाम गिर जाते हैं। डॉ. कुशवाहा की सलाह है कि बुवाई से पहले ही मिट्टी में पोषक तत्व डालें। फसल बढ़ने पर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का छिड़काव करें। कीटों से बचाव के लिए खेत में लाइट ट्रैप लगाएँ और समय-समय पर सल्फर का छिड़काव करें। इससे पत्ते स्वस्थ रहेंगे और फसल की गुणवत्ता ऊँची बनेगी।
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फास्फोरस और पोटाश से मजबूत जड़ें
पालक की फसल को स्वस्थ रखने के लिए फास्फोरस और पोटाश सबसे जरूरी हैं। फास्फोरस के लिए सुपर फॉस्फेट और पोटाश के लिए MOP यानी म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल करें। अगर फसल की ग्रोथ धीमी लग रही हो, तो NPK घुलनशील उर्वरक को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसमें चेलेटेड जिंक और सल्फर जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मिलाएँ। बुवाई के समय बेसल डोज में जिंक सल्फेट, पोटाश और सल्फर डालें। यह मिट्टी को पोषित करेगा और पौधों की जड़ें मजबूत होंगी।
हरी-भरी फसल से मंडी में ऊँचे दाम
स्वस्थ पालक के पत्ते मोटे, चमकदार और बिना दाग के होते हैं, जिससे उनका वजन बढ़ता है और मंडी में अच्छा मूल्य मिलता है। सही समय पर पोषक तत्व देने, कीटों पर नजर रखने और संतुलित खाद से किसान अपना उत्पादन दोगुना कर सकते हैं। डॉ. कुशवाहा कहते हैं कि नियमित निगरानी से फसल की गुणवत्ता बनी रहेगी। सर्दी में पालक की बुवाई कर रहे किसान इन उपायों को अपनाकर अपनी कमाई को नई ऊँचाई दे सकते हैं।
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