पशुओं को खुरपका-मुंहपका से बचाएँ, सरकार ने शुरू किया निःशुल्क टीकाकरण अभियान

भारत में पशुपालन किसानों की आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और पशुओं की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। खुरपका और मुंहपका (Foot and Mouth Disease – FMD) जैसी बीमारी पशुओं के लिए घातक हो सकती है, जिससे दूध उत्पादन कम होने के साथ-साथ बैलों की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। अच्छी खबर यह है कि भारत सरकार के राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत खरगोन जिले में गाय और भैंस जैसे पशुओं के लिए निःशुल्क टीकाकरण अभियान चल रहा है। यह अभियान 1 अक्टूबर 2025 से शुरू हो चुका है और 15 नवंबर 2025 तक चलेगा। आइए जानते हैं कि यह अभियान कैसे काम कर रहा है और पशुपालकों को क्या करना चाहिए।

खुरपका-मुंहपका बीमारी: खतरा और नुकसान

खुरपका और मुंहपका एक विषाणु जनित बीमारी है, जो गाय, भैंस और अन्य खुर वाले पशुओं को प्रभावित करती है। इस बीमारी में पशुओं के मुँह और खुरों में छाले, घाव और सूजन हो जाती है। इससे दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन काफी कम हो जाता है, और बैलों के खुर खराब होने से खेती-बाड़ी का काम प्रभावित होता है।

पशु चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी तेजी से फैलती है और पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। लेकिन समय पर टीकाकरण से इस बीमारी को रोका जा सकता है। इस अभियान के तहत पशुओं को मुफ्त टीके लगाए जा रहे हैं, ताकि उनकी सेहत सुरक्षित रहे और किसानों की आय पर असर न पड़े।

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टीकाकरण अभियान: हर गाँव तक पहुँच

खरगोन जिले में यह निःशुल्क टीकाकरण अभियान सभी गाँवों और शहरी क्षेत्रों में चलाया जा रहा है। पशु चिकित्सा विभाग के सहायक क्षेत्राधिकारी, गौ सेवक, मैत्री और अन्य कर्मचारी इस काम में जुटे हैं। अभियान का लक्ष्य है कि जिले के हर गाय और भैंस को टीका लगाया जाए। उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ. जी.एस. सोलंकी ने बताया कि सभी पशु चिकित्सा संस्थानों में टीके की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है। यह टीका 4 महीने से अधिक उम्र के सभी गाय और भैंस वंशीय पशुओं के लिए है। पशुपालकों से अपील है कि वे अपने पशुओं को नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र ले जाएँ और टीकाकरण करवाएँ। यह सुविधा पूरी तरह मुफ्त है, और इसके लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।

पशुपालकों के लिए जरूरी सलाह

पशु चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के साथ-साथ कुछ और बातों का ध्यान रखने से पशुओं को इस बीमारी से बचाना आसान हो सकता है। सबसे पहले, पशुओं के बाड़े को साफ-सुथरा रखें और नमी से बचाएँ, क्योंकि नम वातावरण में यह विषाणु तेजी से फैलता है। दूसरा, अगर किसी पशु में बीमारी के लक्षण, जैसे मुँह में छाले या लंगड़ापन, दिखें, तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें।

तीसरा, पशुओं को नियमित रूप से संतुलित आहार दें, ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे। अगर आप नए पशुपालक हैं, तो स्थानीय पशु चिकित्सक से सलाह लें और टीकाकरण के समय का सख्ती से पालन करें। यह अभियान हर छह महीने में चलता है, इसलिए अगले चरण में भी अपने पशुओं को टीका जरूर लगवाएँ।

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आर्थिक लाभ और भविष्य की संभावनाएँ

यह टीकाकरण अभियान न केवल पशुओं की सेहत के लिए जरूरी है, बल्कि यह पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करता है। खुरपका-मुंहपका बीमारी के कारण दूध की मात्रा में 20-50% तक की कमी आ सकती है, जो डेयरी किसानों के लिए बड़ा नुकसान है। समय पर टीकाकरण से यह जोखिम कम हो जाता है, और पशुपालक अपनी आय को सुरक्षित रख सकते हैं।

इसके अलावा, भारत सरकार की योजनाएँ, जैसे राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, पशुपालकों को मुफ्त संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। अगर आप डेयरी व्यवसाय को बढ़ाना चाहते हैं, तो स्थानीय डेयरी कोऑपरेटिव या पशु चिकित्सा केंद्रों से संपर्क करें। ये संस्थान नई तकनीकों, जैसे बेहतर चारा प्रबंधन और पशु स्वास्थ्य निगरानी, की जानकारी भी देते हैं।

पशुपालकों के लिए एक अवसर

यह अभियान पशुपालकों के लिए एक सुनहरा अवसर है। मुफ्त टीकाकरण से न केवल पशुओं को बीमारी से बचाया जा सकता है, बल्कि किसानों की मेहनत भी सुरक्षित रहती है। खरगोन जिले के पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे इस अभियान का पूरा लाभ उठाएँ। अगर आपके गाँव में अभी टीकाकरण नहीं हुआ है, तो नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें और अपने पशुओं का टीका लगवाएँ। यह छोटा सा कदम आपके पशुओं की सेहत और आपकी आय को बड़ा सुरक्षा कवच दे सकता है।

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  • Shashikant

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