इस सरसों की किस्म ने मचाया धमाल! जो दे रही है 37.7% तेल और दोगुनी उपज, घर बैठे ऑर्डर करें

सरसों की फसल उत्तर भारत के किसानों की रीढ़ है। सर्दियों में ये न सिर्फ खेत को हरा-भरा रखती है, बल्कि तेल, हरी खाद और सब्जी के रूप में साल भर फायदा देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सही किस्म चुनने से आपकी उपज 20% बढ़ सकती है? आज बात करते हैं PM-30 सरसों की – एक ऐसी किस्म जो औसतन 37.7% तेल सामग्री वाली है। ये ICAR-IARI द्वारा विकसित निम्न एरूसिक एसिड (LES-43) वाली भारतीय सरसों है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर तेल देती है। औसत उपज 18.24 क्विंटल/हेक्टेयर, और ये 137 दिनों में पक जाती है। दिल्ली, हरियाणा, जम्मू, पंजाब और उत्तरी राजस्थान के लिए ये बिलकुल फिट है। 2025 की बुवाई के लिए अगर आप उच्च गुणवत्ता वाली फसल चाहते हैं, तो NSC (नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन) से शुद्ध बीज लें।

PM-30 की विशेषताएं, क्यों है ये किसानों की पहली पसंद

PM 30 Mustard Variety को पूसा सरसों-30 भी कहते हैं। इसके बीज गहरे भूरे रंग के, मध्यम आकार (5.38 ग्राम/1000 बीज) के होते हैं। ये सामान्य सरसों से एक हफ्ता पहले पकती है, जिससे आप जल्दी बाजार में बेच सकते हैं। तेल की मात्रा 37.7% होने से मिलर को ज्यादा मुनाफा, और किसान को बेहतर दाम मिलते हैं। एरूसिक एसिड <2% होने से ये तेल हृदय के लिए सुरक्षित है – WHO मानकों पर खरा उतरता है। उपज में ये पारंपरिक किस्मों से 15-20% बेहतर है। रोग प्रतिरोधी होने से रस्ट, अल्टरनेरिया जैसी बीमारियां कम लगती हैं। अगर आपका खेत 2-5 एकड़ का है, तो ये किस्म आय को दोगुना कर देगी। बाजार में तेल ₹120-140/लीटर चल रहा है, तो 18 क्विंटल से ₹2-2.5 लाख की कमाई संभव।

ये भी पढ़ें – यूपी के लिए बेस्ट सरसों की किस्में, जो देती हैं सबसे ज्यादा उपज और तेल

बुवाई का सही समय, नवंबर का सुनहरा मौसम

उत्तर भारत में PM-30 की बुवाई 15 नवंबर तक करें। इस साल 2025 में मानसून अच्छा रहा, तो मिट्टी में नमी होगी – बिलकुल सही समय। देर से बुवाई करने पर उपज 10% घट सकती है। प्रति हेक्टेयर 4-5 किलो बीज लगता है। बीज दर ज्यादा रखने से पौधे घने हो जाते हैं, लेकिन खरपतवार बढ़ते हैं। NSC के बीज प्रमाणित हैं, इसलिए अंकुरण दर 90%+ रहती है।

मिट्टी और जलवायु: PM-30 की पसंद

PM-30 को दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी भाती है, जहां जल निकासी अच्छी हो। pH 6.5-7.5 होना चाहिए। अम्लीय मिट्टी में चूना मिलाएं। तापमान 10-25°C आदर्श – सर्दियों की ठंड में ये फलती-फूलती है। 800-1000 मिमी वर्षा वाले इलाकों में बिना सिंचाई के भी चल जाती है, लेकिन 2-3 सिंचाई से उपज बढ़ जाती है।

बुवाई से 15 दिन पहले गहरी जुताई करें। पुरानी फसलें साफ करें। 5-10 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर मिलाएं – ये जैविक पोषण देगी। मिट्टी परीक्षण करवाएं; N:P:K का अनुपात 100:50:50 किग्रा/हेक्टेयर रखें। आधा नाइट्रोजन बुवाई पर, बाकी दो टॉप ड्रेसिंग में। जस्ता की कमी हो तो 25 किग्रा जिंक सल्फेट डालें। लेजर लेवलिंग से पानी समान बंटेगा।

ये भी पढ़ें – आ गयी सरसों की नयी वैरायटी बंजर ज़मीन भी उगलेगी काला सोना, जानें डिटेल

बुवाई विधि और सिंचाई

बीज को थिरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें – रोग से बचाव। सीड ड्रिल से बोएं, पंक्तियों की दूरी 30 सेमी, पौधों की 10 सेमी। गहराई 2-3 सेमी रखें। अगर हाथ से बो रहे हैं, तो 8-10 किग्रा/हेक्टेयर बीज लें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।

PM-30 को 4-5 सिंचाई चाहिए – बुवाई पर, 20-25 दिन बाद (टिलरिंग), फूल आने पर, और दाना बनने पर। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है। खरपतवार के लिए बुवाई के 20 दिन बाद पेंडीमेथालिन स्प्रे करें। दो-तीन निराई-गुड़ाई से खेत साफ रहेगा।

रोग-कीट नियंत्रण: PM-30 की ताकत

ये किस्म रोग प्रतिरोधी है, लेकिन एफिड्स और पाउडरी मिल्ड्यू पर नजर रखें। नीम तेल (5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। जैविक तरीके अपनाएं – ट्राइकोडर्मा से बीज उपचार।

पत्तियां पीली पड़ने पर (फरवरी-मार्च) कटाई करें। उपज 18-20 क्विंटल/हेक्टेयर। कटाई के बाद सुखाएं, फिर मंडी में बेचें। तेल निकालने पर 6-7 क्विंटल तेल मिलेगा।

NSC से बीज खरीदें, शुद्धता की गारंटी

NSC (नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन) सरकारी एजेंसी है, जो उच्च गुणवत्ता वाले बीज देती है। PM-30 के 1 किलो बीज पैक मात्र ₹112 में उपलब्ध। ऑनलाइन स्टोर https://mystore.in पर ऑर्डर करें – डिलीवरी तेज, और प्रमाणन के साथ। (नोट: वेबसाइट पर चेक करें, क्योंकि कुछ लिंक पैडी से रिलेटेड दिखे, लेकिन NSC सरसों के लिए जाना जाता है।) ये बीज अंकुरण और शुद्धता में बेस्ट हैं।

PM-30 से न सिर्फ उपज बढ़ेगी, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक तेल मिलेगा। कम एरूसिक एसिड से हृदय रोग का खतरा कम। किसानों को सरकारी योजनाओं जैसे PMFBY बीमा का फायदा। 2025 में सरसों की कीमतें ₹5000-6000/क्विंटल रहेंगी, तो मुनाफा शानदार। यह सरसों उच्च तेल और उपज वाली किस्म है, जो उत्तर भारत के किसानों के लिए वरदान। NSC से बीज लें, वैज्ञानिक तरीके अपनाएं, और देखें कैसे खेत सोना उगलने लगे। 2025 की रबी फसल में ये आपकी सफलता की कहानी बनेगी।

ये भी पढ़ें – RH-1706 सरसों की किस्म बनी किसानों की पहली पसंद, दे रही है रिकॉर्ड तोड़ उपज

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment