बरसीम को पीछे छोड़ने आई “मक्खन घास”, किसानों की नई पसंद

Makhan Ghas Ki Kheti: सर्दियों का मौसम आते ही पशुपालकों की सबसे बड़ी चिंता होती है – हरा चारा। बरसीम तो सभी उगाते हैं, लेकिन कीट लगने, कम पौष्टिकता और कम कटाई की समस्या से जूझते हैं। लेकिन एक ऐसी घास है जो इन सब पर फतह पा लेती है मक्खन घास। ये पशुओं के लिए उत्तम चारा है, जो दूध उत्पादन को 20-25% तक बढ़ा देती है। नाम से ही लगता है, जैसे मक्खन जितनी नरम और पौष्टिक। वैज्ञानिक नाम पेन्निसेटम अमेरिकेनम, ये शीतकालीन चारा फसल है, जिसकी बुवाई नवंबर से दिसंबर में की जाती है। मैदानी और पहाड़ी इलाकों दोनों में उगती है, और एक बार लगाकर 5-6 कटाई देती है।

मक्खन घास की विशेषताएं- Makhan Ghas Ki Kheti

मक्खन घास की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें कीट लगने का खतरा न के बराबर होता है। बरसीम में एफिड्स या अन्य कीटों की समस्या आम है, लेकिन ये घास रोग मुक्त रहती है। इसमें 14-15% प्रोटीन होता है, जो पशुओं की हड्डियां मजबूत करता है, वजन बढ़ाता है और दूध की गुणवत्ता (फैट प्रतिशत) सुधारता है। पशु इसे खाने के बाद ज्यादा तृप्त महसूस करते हैं, क्योंकि ये नरम और स्वादिष्ट होती है। एक स्वस्थ गाय या भैंस को रोज 5-10 किलो हरा चारा चाहिए मक्खन घास से ये आसानी से मिल जाता है। लुधियाना के पशु विशेषज्ञ कहते हैं, “अगर बरसीम की जगह मक्खन घास खिलाएं, तो दूध 20-25% बढ़ जाता है।

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बुवाई का सही समय

उत्तर भारत में मक्खन घास की शीतकालीन बुवाई नवंबर से दिसंबर तक करें। इस समय तापमान 15-25 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो अंकुरण के लिए आदर्श है। अगर अक्टूबर के अंत में बोएं, तो पहली कटाई 35-40 दिनों में मिल जाती है। दिसंबर में बोने पर जनवरी में कटाई शुरू हो जाएगी। ग्रीष्मकालीन बुवाई मार्च-अप्रैल में भी संभव है, लेकिन सर्दियों में ये ज्यादा फायदेमंद है। पहाड़ी इलाकों में थोड़ा पहले (अक्टूबर अंत) बोएं। मौसम ऐप जैसे मेघदूत से चेक करें बारिश की संभावना न हो।

सभी मिट्टी में उगती है ये घास

मक्खन घास सभी प्रकार की मिट्टी में उगती है दोमट, रेतीली या लाल मिट्टी। लेकिन pH 6.5 से 7 वाली मिट्टी सबसे अच्छी। अम्लीय मिट्टी में चूना मिलाएं। ये सूखा सहनशील है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में जड़ें मजबूत होती हैं। तापमान 10-30 डिग्री तक सह लेती है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा जैसे मैदानी इलाकों के लिए बिलकुल फिट।

खेत तैयार करने के लिए 2-3 जुताई करें। 10-15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर मिलाएं। बीज दर 1 किलो प्रति हेक्टेयर प्रमाणित बीज लें, आप ADVANTA का मक्खन घास ऑनलाइन मंगा सकते हैं। (बिगहाट या लोकल स्टोर से ₹200-300/किलो)। बीज को थिरम से उपचारित करें। ड्रिल विधि से बोएं पंक्तियों की दूरी 20-25 सेमी, गहराई 1-2 सेमी। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें। अगर खेत में नमी हो, तो पानी न डालें।

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ज्यादा उपज के टिप्स

खाद: बुवाई पर 20-30 किग्रा नाइट्रोजन, 40 किग्रा फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर। जैविक खाद जैसे वर्मीकम्पोस्ट से मिट्टी स्वस्थ रहेगी। सिंचाई: 10-15 दिन के अंतराल पर कुल 4-5 सिंचाई। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है। कटाई: पहली 35-40 दिन बाद, फिर हर 20-25 दिन पर। कुल 5-6 कटाई। हर कटाई में 20-25 क्विंटल हरा चारा प्रति हेक्टेयर। कुल उपज 100-150 क्विंटल/हेक्टेयर। मक्खन घास को ताजा काटकर 4-5 घंटे छाया में सुखाएं। रोज 10-15 किलो प्रति पशु दें। इसे बरसीम या मक्का के साथ मिलाकर खिलाएं पाचन बेहतर होगा। दूध में फैट 0.5-1% बढ़ जाता है। कीट न लगने से पशु स्वस्थ रहते हैं।

किसान और पशुपालक दोनों के लिए वरदान

  • दूध उत्पादन: 20-25% वृद्धि।
  • कीट मुक्त: रसायन की जरूरत नही।
  • कम लागत: 1 हेक्टेयर पर ₹10,000-15,000 खर्च, ₹30,000-40,000 कमाई।
  • बहुमुखी: साइलेज या हाय बनाएं। सरकारी योजना: चारा विकास कार्यक्रम से सब्सिडी मिलेगी।

खरपतवार: बुवाई के 20 दिन बाद निराई। सूखा: ड्रिप इरिगेशन। छोटे खेत: मेड़ पर लगाएं।

नवंबर-दिसंबर की बुवाई से मक्खन घास आपके पशुओं का सुपरफूड बनेगी। दूध बढ़ेगा, लागत कम। किसान भाइयों, बीज लाएं और शुरू करें। स्वस्थ पशु, समृद्ध खेत!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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