ICAR ने पहाड़ी इलाकों के लिए विकसित की मक्के की नई वैरायटी VL त्रिपोषी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कल, 05 नवंबर 2025 को मक्का की एक नई हाइब्रिड वैरायटी ‘VL त्रिपोषी (FQPLH 20)’ लॉन्च की है, जो उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के लिए खास तौर पर तैयार की गई है। यह जल्दी पकने वाली और पोषक तत्वों से भरपूर हाइब्रिड किस्म सिर्फ 0.72% लाइसिन और 6.2 मिग्रा/ग्राम प्रोटीन के साथ आती है, जो आम मक्का से कहीं बेहतर है।

इसके 275 ग्राम/1000 दाने का वजन और अच्छी भूसी कवर इसे मौसम की मार से बचाने में मदद करते हैं। अगर आप उत्तराखंड में मक्का की खेती करते हैं या सोच रहे हैं, तो VL त्रिपोषी आपके खेतों को समृद्ध और परिवार को सेहतमंद बना सकती है। आइए, इस वैरायटी की खासियत, खेती के तरीके और फायदों को विस्तार से जानते हैं।

VL त्रिपोषी की खासियत

VL त्रिपोषी (FQPLH 20) एक बायो-फोर्टिफाइड हाइब्रिड है, जो जल्दी पकने वाली है और 0.72% लाइसिन, 0.29% ट्रिप्टोफैन के साथ प्रोटीन से भरपूर है। ICAR के मुताबिक, यह मक्का बुवाई के 60-65 दिन में तैयार हो जाता है, जो पहाड़ी क्षेत्रों के छोटे मौसम के लिए परफेक्ट है। इसके दाने पीले, मोटे और 275 ग्राम/1000 दाने वजन के होते हैं, जो अच्छी भूसी कवर के साथ कीटों और मौसम से सुरक्षित रहते हैं। यह वैरायटी तुर्किकम लीफ ब्लाइट (TLB) जैसे रोगों के खिलाफ मध्यम प्रतिरोध रखती है, जो उत्तराखंड में पिछले 5 सालों में 10% बढ़ा है और फसल को 20-30% नुकसान पहुंचाता है।

इसके अलावा, यह कम नाइट्रोजन वाली मिट्टी में भी अच्छी पैदावार देती है, जो पहाड़ी किसानों के लिए वरदान है। एक 2023 के Frontiers in Nutrition अध्ययन के अनुसार, बायो-फोर्टिफाइड फसलों से कुपोषण 15% तक कम हो सकता है, और VL त्रिपोषी इस मिशन को पूरा करती है। किसान भाई इसे अपने खेतों में आजमाकर सेहत और मुनाफे दोनों का फायदा उठा सकते हैं।

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खेती कैसे शुरू करें

ICAR-Vivekananda Parvatiya Krishi Anusandhan Sansthan, अल्मोड़ा से इस बीज की जानकारी ली जा सकती है। अभी तक यह बीज सीधे बाजार में उपलब्ध नहीं है, लेकिन ICAR के स्थानीय केंद्रों या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करके किसान इसे हासिल कर सकते हैं। बुवाई के लिए नवंबर 2025 का पहला पखवाड़ा सबसे अच्छा समय है, जब तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस रहता है। रेतीली दोमट मिट्टी चुनें, जो अच्छी जल निकासी वाली हो, और खेत की 2-3 बार जुताई करें। प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज बोएं, और 5-7 टन गोबर की खाद मिलाएं।

बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर लाइनों में बोएं, लाइनों के बीच 60 सेंटीमीटर दूरी रखें। पहली सिंचाई बुवाई के बाद तुरंत करें, और फिर हर 10-12 दिन में हल्की सिंचाई दें। नाइट्रोजन 80-100 किलो, फॉस्फोरस 40 किलो प्रति हेक्टेयर डालें। TLB से बचाव के लिए जैविक स्प्रे जैसे नीम का घोल इस्तेमाल करें। सही देखभाल से प्रति हेक्टेयर 40-50 क्विंटल उपज मिल सकती है।

VL त्रिपोषी खेती के फायदे

VL त्रिपोषी मक्का की खेती सेहत और कमाई दोनों के लिए फायदेमंद है। इसका उच्च लाइसिन और प्रोटीन कंटेंट बच्चों और वयस्कों के पोषण को बढ़ाता है, जो पहाड़ी इलाकों में कुपोषण की समस्या को कम कर सकता है। बाजार में मक्के की मांग चारे, आटा और पशु आहार के लिए बढ़ रही है, और 2025 के अनियमित मॉनसून ने उत्तर भारत में मक्का की पैदावार 12% घटा दी है, जिससे इसकी कीमतें ऊंची हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 1850 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन बाजार में 2000-2200 रुपये तक मिल सकते हैं। एक हेक्टेयर में खेती का खर्च 15-20 हजार रुपये आता है, लेकिन मुनाफा 60-80 हजार तक हो सकता है। रोग प्रतिरोधकता से कीटनाशकों पर खर्च कम होता है, जो मिट्टी की सेहत को भी बचाता है। पहाड़ी किसानों के लिए यह वैरायटी सस्टेनेबल खेती का रास्ता खोलती है।

क्यों चुनें VL त्रिपोषी

05 नवंबर को लॉन्च हुई यह वैरायटी भारत की आत्मनिर्भरता और सस्टेनेबल खेती के मिशन का हिस्सा है। मौसम में बदलाव और TLB जैसे रोगों के बढ़ते खतरे को देखते हुए VL त्रिपोषी एक मजबूत विकल्प है। ICAR के प्रयास से पहाड़ी किसानों को उन्नत बीज मिल रहे हैं, जो उनकी आय और सेहत दोनों को बेहतर करेंगे। अगर आप उत्तराखंड में मक्का की खेती करना चाहते हैं, तो आज ही अपने नजदीकी ICAR केंद्र से संपर्क करें। यह आपके खेतों को हरा-भरा करेगी और परिवार को पोषण देगी।

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  • Shashikant

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