HD 3388 Wheat Variety: रबी सीजन की बुवाई का वक्त शुरू हो चुका है और किसान भाई गेहूं के बीज चुनने में लगे हैं। इस बार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR-IARI) ने एक ऐसी किस्म पेश की है जो न सिर्फ जल्दी तैयार होती है, बल्कि कम पानी और कम देखभाल में भी भरपूर पैदावार देती है। नाम है HD 3388।
यह किस्म 125 दिनों में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जबकि पुरानी किस्मों को 145 से 160 दिन तक लगते हैं। इससे किसानों का इंतजार कम होता है और बाजार में जल्दी फसल बेचने का मौका मिलता है। खास बात यह है कि यह गर्मी को अच्छी तरह झेल लेती है और रोगों से भी लड़ती है, जिससे दवाइयों का खर्च बचता है।
कम दिन में ज्यादा उपज – पूर्वी राज्यों के लिए खास
HD 3388 को खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के किसानों के लिए विकसित किया गया है। इन इलाकों में अक्सर देर से ठंड पड़ती है, लेकिन यह किस्म गर्म मौसम में भी पनपती है। ICAR के आंकड़ों के मुताबिक, अच्छी सिंचाई वाली जमीन में प्रति हेक्टेयर 52 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। कम पानी वाली जगहों पर भी यह चल जाती है, लेकिन समय पर पानी न मिले तो पौधों की बढ़त थोड़ी कम हो सकती है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म मिट्टी की सेहत बनाए रखती है और अगली फसल के लिए खेत को तैयार छोड़ती है। कम समय में तैयार होने से किसान भाई एक ही खेत में साल में दो फसलें ले सकते हैं, जिससे आय अपने आप दोगुनी हो जाती है।
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गेहूं की फसल में अक्सर कंडवा, करनाल बंट और पत्ती झुलसा जैसे रोग लगते हैं, जिसके लिए किसान हजारों रुपये की दवाइयां डालते हैं। लेकिन HD 3388 में प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है। इससे कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का इस्तेमाल आधा रह जाता है। ICAR-IARI के शोध बताते हैं कि इस किस्म पर रोगों का असर 60-70 प्रतिशत तक कम रहता है। नतीजा यह होता है कि उत्पादन लागत घटती है और फसल की गुणवत्ता ऊंची रहती है। बाजार में भी इस गेहूं का आटा खास पसंद किया जा रहा है, क्योंकि इससे बनी रोटी नरम और स्वाद में बेहतर होती है। मंडियों में इसकी मांग बढ़ने की पूरी संभावना है, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी।
बीज कहां से लें, बुवाई का सही तरीका
इस किस्म के प्रमित बीज पूसा नई दिल्ली स्थित ICAR-IARI केंद्र, नेशनल सीड कॉरपोरेशन (NSC) और आपके नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्रों से मिल जाएंगे। बुवाई का सही समय अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर का पहला पखवाड़ा है। खेत को अच्छी तरह जोतकर भुरभुरा बनाएं और गोबर खाद जरूर मिलाएं। बीज की मात्रा 40-50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। सिंचाई का ध्यान रखें, खासकर फूल आने और दाना बनने के समय। अगर मौसम सूखा हो तो हल्की-हल्की पानी दें, ज्यादा न डालें वरना जड़ें सड़ सकती हैं। वैज्ञानिक सलाह है कि नीम का तेल या जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करें, ताकि फसल पूरी तरह जैविक रहे और बाजार में प्रीमियम दाम मिले।
HD 3388 जैसी आधुनिक किस्में किसानों के लिए नया रास्ता खोल रही हैं। कम समय, कम खर्च और ज्यादा कमाई का यह फॉर्मूला अपनाकर हर खेतिहर भाई आगे बढ़ सकता है। अपने इलाके के कृषि केंद्र से संपर्क करें और इस मौसम में HD 3388 जरूर आजमाएं।
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