Strawberry Organic Farming: स्ट्रॉबेरी एक लोकप्रिय और मुनाफे वाली फसल है, जिसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। ऑर्गेनिक तरीके से स्ट्रॉबेरी की खेती करने से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा होता है, बल्कि किसानों को अच्छी कीमत भी मिलती है। अगर आप भी स्ट्रॉबेरी की ऑर्गेनिक खेती शुरू करना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है।
ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी खेती (Strawberry Organic Farming) क्या है?
ऑर्गेनिक खेती का मतलब है बिना रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्राकृतिक तरीके से फसल उगाना। स्ट्रॉबेरी की ऑर्गेनिक खेती में जैविक खाद, कम्पोस्ट, और प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे फल की गुणवत्ता बेहतर होती है और बाजार में इसकी कीमत भी ज्यादा मिलती है।
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
स्ट्रॉबेरी को ठंडे और समशीतोष्ण मौसम की जरूरत होती है। भारत में महाराष्ट्र (महाबलेश्वर), हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जाती है। मिट्टी का pH 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। दोमट मिट्टी जो अच्छी जल निकासी वाली हो, सबसे उपयुक्त रहती है।
सही किस्म का चुनाव
ऑर्गेनिक खेती के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों को चुनें। भारत में इन किस्मों को अपनाएं: कैमरोसा, चांडलर, स्वीट चार्ली, एल्बा, विंटर डॉन, एलिस्टार और विस्टा जैसी किस्में बेहतर मानी जाती हैं।
खेत की तैयारी
सबसे पहले मिट्टी की जांच करें। अगर pH कम है, तो चूना डालें। खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें। प्रति एकड़ 10-15 टन गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें। स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए 1-1.5 फीट ऊंची और 2 फीट चौड़ी बेड बनाएं। बेड के बीच 1 फीट की दूरी रखें।
पौधे लगाने का तरीका
स्ट्रॉबेरी के पौधे अक्टूबर-नवंबर में लगाए जाते हैं। पौधों को बेड पर 12-18 इंच की दूरी पर लगाएं। पौधे लगाते समय यह ध्यान रखें कि जड़ें जमीन में अच्छी तरह दब जाएं। लगाने के बाद हल्की सिंचाई करें।
ऑर्गेनिक खाद और सिंचाई
गोबर की खाद, नीम की खली, और जैविक कंपोस्ट का उपयोग करें। फल बनने के दौरान पोटाश युक्त खाद दें। ड्रिप इरिगेशन सबसे अच्छा विकल्प है। मिट्टी को नम रखें, लेकिन जलभराव न होने दें।
कीट और रोग प्रबंधन
नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या लहसुन-मिर्च का घोल छिड़कें। गीली मिट्टी में फंगस लगने का खतरा होता है। खरपतवार निकालते रहें और हवा का प्रवाह बनाए रखें। पुआल या सूखी पत्तियों से मल्चिंग करें। इससे नमी बनी रहेगी और खरपतवार कम होंगे।
फल की तुड़ाई
स्ट्रॉबेरी के फल लगभग 3-4 महीने में तैयार हो जाते हैं। फल को हल्के लाल रंग आने पर तोड़ें। एक एकड़ से 8-10 टन तक उपज मिल सकती है। ध्यान रखें कि फल को सीधे धूप से बचाकर ठंडे स्थान पर रखें।
ऑर्गेनिक प्रमाणन
ऑर्गेनिक उत्पाद बेचने के लिए भारत सरकार के NPOP (नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन) या APEDA से प्रमाणन लें। इसके लिए 2-3 साल तक रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल न करें और निरीक्षण प्रक्रिया पूरी करें।
बाजार और मुनाफा
ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी की बाजार में कीमत सामान्य स्ट्रॉबेरी से 30-40% ज्यादा मिलती है। आप इसे सीधे ऑर्गेनिक स्टोर्स, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे BigBasket, Nature’s Basket), या स्थानीय मंडियों में बेच सकते हैं। महाराष्ट्र और हिमाचल के किसान अक्सर टूरिस्ट स्पॉट्स पर सीधे बिक्री कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
चुनौतियाँ और समाधान
ऑर्गेनिक खेती शुरू में थोड़ी महंगी लग सकती है, लेकिन लंबे समय में यह लाभदायक है। प्रमाणन प्रक्रिया लंबी है, लेकिन सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाएं। कीट प्रबंधन के लिए नियमित निगरानी और प्राकृतिक उपाय अपनाएं।
सफल किसान की कहानी
महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के किसान राजेश पाटिल ने 2 एकड़ में ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। वे प्रति एकड़ 7-8 लाख रुपये कमाते हैं। उनका कहना है, “ऑर्गेनिक खेती ने न सिर्फ मेरी आय बढ़ाई, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरी।”
स्ट्रॉबेरी की ऑर्गेनिक खेती (Strawberry Organic Farming) मेहनत मांगती है, लेकिन यह पर्यावरण और सेहत के लिए बेहतर है। अगर आप प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल करें और बाजार की जानकारी रखें, तो यह व्यवसाय आपको मालामाल कर सकता है। आज ही ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत करें और स्वस्थ फसल उगाकर बाजार में अपनी पहचान बनाएं!
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