हरियाणा सरकार ने बागवानी क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए एक नई योजना शुरू की है। इसके तहत फल, सब्जी, फूल, मसाला और खुशबूदार पौधों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 24,500 रुपये से लेकर 1.40 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता मिलेगी। बागवानी विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह योजना नए बाग लगाने और एकीकृत खेती मॉडल को अपनाने पर केंद्रित है। राज्य में बागवानी का क्षेत्र 2025 तक 1.5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य है, और यह सब्सिडी किसानों को कम लागत में उच्च पैदावार हासिल करने में मदद करेगी। योजना का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।
बागवानी विभाग के डेटा से पता चलता है कि हरियाणा में फल और सब्जी उत्पादन 2024-25 में 25 लाख मीट्रिक टन तक पहुँचा, लेकिन छोटे किसानों को लागत और बाजार की समस्या बनी हुई है। इस योजना से न केवल आय बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण रोजगार भी पैदा होगा। सब्सिडी राशि सीधे किसान के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी, ताकि कोई बिचौलिया न रहे। अधिकतम 5 एकड़ भूमि तक ही लाभ मिलेगा, जो छोटे और मध्यम किसानों के लिए डिजाइन किया गया है।
फसलों के अनुसार सब्सिडी राशि
योजना में विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग अनुदान निर्धारित किए गए हैं। फलों के नए बाग लगाने पर प्रति एकड़ 24,500 रुपये से 1.40 लाख रुपये तक की सहायता मिलेगी। आम, अमरूद, सेब, नाशपाती जैसी फसलों के लिए यह राशि लागत के 50 फीसदी तक कवर करेगी। एकीकृत मॉडल के तहत सब्जी खेती पर सामान्य वर्ग के किसानों को 15,000 रुपये प्रति एकड़ और अनुसूचित वर्ग के किसानों को 25,500 रुपये प्रति एकड़ का लाभ होगा। टमाटर, भिंडी, बैंगन जैसी सब्जियों के लिए यह मदद उत्पादकता बढ़ाने में उपयोगी साबित होगी।
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मसालों की खेती पर 15,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति एकड़ तक की सब्सिडी दी जाएगी। मिर्च, धनिया, जीरा जैसे मसालों के उत्पादकों को इससे बाजार भाव की अस्थिरता से राहत मिलेगी। फूलों की खेती के लिए 8,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान है, जो गुलाब, गेंदा, ग्लेडियोलस जैसी फसलों पर लागू होगा। खुशबूदार पौधों जैसे लेमनग्रास या मेंथा की खेती पर प्रति एकड़ 8,000 रुपये की फिक्स्ड सहायता मिलेगी। बागवानी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, ये दरें 2025 के बाजार मूल्यों के आधार पर तय की गई हैं, ताकि किसान बिना कर्ज के खेती कर सकें।
आवेदन की शर्तें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ बुनियादी शर्तें पूरी करनी होंगी। किसान अधिकतम 5 एकड़ भूमि पर ही सब्सिडी ले सकता है, और यह नए बाग या एकीकृत मॉडल के लिए ही है। सामान्य और अनुसूचित वर्ग के लिए अलग दरें लागू हैं, इसलिए प्रमाण-पत्र जमा करना अनिवार्य है। सब्सिडी स्वीकृति के बाद 6 महीने के अंदर कार्य पूरा करना होगा, वरना राशि वापस ली जा सकती है। बागवानी विभाग ने बताया कि योजना 2025-26 के लिए बजट 50 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष से 15 फीसदी ज्यादा है।
आवेदन प्रक्रिया सरल रखी गई है। सबसे पहले “मेरी फसल-मेरा ब्योरा” पोर्टल पर पंजीकरण कराएं, जहाँ भूमि रिकॉर्ड लिंक होगा। फिर बागवानी विभाग के होर्टनेट पोर्टल (hortnet.hortharyana.gov.in) पर लॉगिन करें और फॉर्म भरें। आवश्यक दस्तावेज जैसे परिवार पहचान पत्र, बैंक खाता विवरण और अनुसूचित जाति प्रमाण-पत्र (यदि लागू) अपलोड करें। आवेदन जमा करने के बाद स्थानीय बागवानी अधिकारी सत्यापन करेंगे। विभाग के अनुसार, ऑनलाइन आवेदन 31 दिसंबर 2025 तक स्वीकार किए जाएंगे।
कुल मिलाकर, यह योजना हरियाणा के बागवानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। फसल विविधीकरण से मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी। किसान भाई जल्द आवेदन करें, ताकि रबी सीजन से पहले लाभ मिल सके।
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