गेहूं की फसल में पहली सिंचाई का सही समय जानिए, देरी से घट सकती है 30% उपज!

Wheat Irrigation Timing: गेहूं रबी की सबसे महत्वपूर्ण फसल है, जो देश की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय का आधार है। लेकिन अच्छी उपज का राज है सही सिंचाई। बुवाई के बाद पहली सिंचाई सबसे क्रूशियल है, क्योंकि ये पौधों की जड़ों को मजबूत बनाती है, कल्लों की संख्या बढ़ाती है और फसल को ठंडी लहरों से बचाती है। गलत समय पर सिंचाई करने से उपज 20-30% घट सकती है। प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह, पूसा कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ कहते हैं कि पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिनों बाद करनी चाहिए।

ये समय पौधों की क्राउन रूट इनीशिएशन (CRI) स्टेज होता है, जब जड़ें जमीन में गहराई तक फैलने लगती हैं। 2025 के रबी सीजन में, जब बुवाई नवंबर में हो रही है, तो दिसंबर के पहले सप्ताह तक पहली सिंचाई का समय आ जाएगा। सही सिंचाई से न सिर्फ पानी की बचत होती है, बल्कि खाद का बेहतर उपयोग भी।

गेहूं की पहली सिंचाई का सही समय, 20-25 दिनों बाद क्यों जरूरी

गेहूं की बुवाई के बाद पौधे की पहली 20-25 दिन की अवस्था सबसे संवेदनशील होती है। इस समय पौधे छोटे होते हैं, जड़ें विकसित हो रही होती हैं और कल्ले निकलने की तैयारी चल रही होती है। अगर बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई की तो मिट्टी ज्यादा गीली होकर जड़ सड़न का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, देरी से सिंचाई करने पर पौधे कमजोर पड़ जाते हैं, कल्ले कम निकलते हैं और उपज प्रभावित होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिनों बाद होनी चाहिए, जब पौधे 15-20 सेमी ऊंचे हो जाते हैं।

अगर फसल 20-25 दिन की हो गई हो तो पहली सिंचाई का प्रबंध करें। जब बुवाई 15 नवंबर तक हो रही है, तो पहली सिंचाई 5-10 दिसंबर तक पूरी हो जानी चाहिए। मौसम पूर्वानुमान देखें – अगर बारिश की संभावना न हो तो तुरंत करें।

ये भी पढ़ें – अब गोदाम में रखे अनाज से मिलेगा पैसा! जानिए WDRA की इस जबरदस्त स्कीम का पूरा राज़

पहली सिंचाई का महत्व कल्ले बढ़ाएं, जड़ें मजबूत बनाएं

पहली सिंचाई गेहूं फसल की नींव रखती है। इस समय पौधों में कल्ले (टिलरिंग) शुरू होते हैं, जो अंतिम उपज तय करते हैं। सही सिंचाई से कल्लों की संख्या 10-15% बढ़ जाती है। जड़ें गहराई तक फैलती हैं, जो ठंडी लहरों में पौधे को स्थिर रखती हैं। अगर पहली सिंचाई देर हो तो पौधे पीलापन ला सकते हैं, ग्रोथ रुक सकती है। इसके अलावा, ये सिंचाई खरपतवार नियंत्रण में भी मदद करती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि पहली सिंचाई के साथ ही 25-30 किलो यूरिया प्रति एकड़ डालें, ताकि नाइट्रोजन पोषक तत्व पौधों तक पहुंचे। इससे उपज 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ सकती है।

पहली सिंचाई कैसे करें, विधि और मात्रा

पहली सिंचाई में पानी की मात्रा सही रखें – प्रति हेक्टेयर 5-6 सेमी। ज्यादा पानी से मिट्टी गीली होकर जड़ें सड़ सकती हैं। ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाएं, जो पानी बचाती है। पारंपरिक बाढ़ सिंचाई में खेत को 2-3 घंटे तक पानी दें। सिंचाई के समय खेत समतल हो, ताकि पानी एकसमान बंटे। लेजर लेवलिंग से 20% पानी की बचत होती है। अगर मिट्टी में नमी बुवाई के समय थी तो 18-20 दिन बाद करें। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पहली सिंचाई के साथ ही जिंक सल्फेट (5-10 किलो/एकड़) मिलाकर डालें, अगर मिट्टी में जिंक की कमी हो। ये पौधों को पीला पड़ने से बचाता है।

ये भी पढ़ें – PM KISAN YOJANA: 21वीं किस्त का इंतजार खत्म, नवंबर में जारी हो सकती है 2 हजार रुपये, लेकिन इन किसानों को नहीं मिलेगा लाभ

खाद प्रबंधन

पहली सिंचाई के समय खाद डालना उपज बढ़ाने का रामबाण है। 20-25 किलो यूरिया प्रति एकड़ डालें, जो नाइट्रोजन देगी। अगर बुवाई पर डीएपी नहीं डाली तो 25 किलो डीएपी मिलाएं। पोटाश की कमी हो तो 10-15 किलो म्यूरिएट ऑफ पोटाश। जैविक तरीके अपनाएं – गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट 5 टन/हेक्टेयर। प्रो. सिंह कहते हैं कि संतुलित खाद से पौधे मजबूत होते हैं, रोग कम लगते हैं।

कई किसान पहली सिंचाई में जल्दबाजी करते हैं, जिससे जड़ सड़न हो जाती है। दूसरी गलती – कम पानी देना, जिससे कल्ले कम निकलते हैं। बचाव: मिट्टी का नमी स्तर चेक करें। अगर पौधे पीले पड़ने लगें तो तुरंत सिंचाई करें। ठंडी लहरों में कवर क्रॉप लगाएं। गेहूं की बुवाई नवंबर में हो रही है, इसलिए पहली सिंचाई दिसंबर में। मेघदूत ऐप से मौसम चेक करें। ड्रिप इरिगेशन से 40% पानी बचत।

पहली सिंचाई गेहूं फसल की कुंजी है। 20-25 दिनों बाद करें, खाद मिलाकर। इससे उपज बढ़ेगी, लागत घटी। किसान भाइयों, अपनाएं – आपका खेत सोना उगलेगा।

ये भी पढ़ें – कृषि में यूपी की धमाकेदार छलांग, 17.7% की रफ्तार से देश का बना नया एग्रीकल्चर पावरहाउस राज्य

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment