सरसों की फसल में लग रहे रोगों पर कृषि वैज्ञानिकों की चेतावनी, जानें समाधान

Mustard Farming Tips: इस बार रबी की बुआई में ज्यादा बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सरसों के खेतों में नमी की भरमार हो गई, जो फसल के लिए ठंडी हवा और कम तापमान के साथ मिलकर जहर बन गई। पौधे मुरझा रहे हैं, जड़ें गल रही हैं, पत्तियां पीली पड़ रही हैं। लेकिन चिंता मत कीजिए, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने समय रहते सलाह जारी कर दी है। ये सलाह न सिर्फ मौजूदा समस्या से निपटने में मदद करेगी बल्कि आने वाले दिनों में फसल को मजबूत रखेगी।

सरसों जैसी तिलहन फसल किसानों की कमाई का बड़ा जरिया है, खासकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में। विश्वविद्यालय के तिलहन विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल की बुआई आर्द्रता भरी मिट्टी में हुई, जो सरसों की प्रकृति के खिलाफ है। लेकिन देरी से बचने के चक्कर में किसानों के पास और कोई रास्ता नहीं बचा था। अब जड़ गलन, फूलिया रोग और उखड़ जैसी दिक्कतें सामने आ रही हैं। अच्छी बात ये है कि समय पर छिड़काव और सिंचाई से नुकसान को कम किया जा सकता है।

सरसों के खेतों में क्यों फैल रही हैं ये बीमारियां

इस सीजन की शुरुआत ही बारिश से हुई, जिससे खेत ज्यादा गीले रहे। सरसों की जड़ें नमी पसंद तो करती हैं, लेकिन ज्यादा पानी और ठंड मिलकर फफूंदी को जन्म दे देते हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया है कि बुआई के 10-15 दिन बाद ही पौधे कमजोर दिखने लगते हैं। जड़ों में सफेद फफूंद जम जाती है, पत्तियों के नीचे सफेद परत चढ़ आती है।

सिंचाई के बाद तो पौधे उखड़ने लगते हैं। ये सब फ्यूजेरियम, राइजोक्टोनिया और स्क्लेरोटियम जैसी फफूंदों की करामात है। अगर समय रहते ध्यान न दिया तो पूरी फसल का नुकसान हो सकता है। लेकिन याद रखें, ये रोग नए नहीं हैं। पिछले सालों में भी ऐसे मामले आए थे, और वैज्ञानिक सलाह से किसानों ने नुकसान बचाया था। इस बार भी यही फॉर्मूला काम आएगा।

चितकबरा कीट की दिक्कत इस बार कम

पहले सरसों की शुरुआती अवस्था में चितकबरा यानी पेंटेड बग की समस्या आम थी। ये कीट पत्तियों पर सफेद धब्बे छोड़ देता था, जिससे फसल कमजोर पड़ जाती। पुराने समय में किसान 200 मिलीलीटर मैलाथियान 50 ईसी को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करते थे। लेकिन इस साल ठंड ज्यादा है, इसलिए ये कीट कम दिख रहा है। फिर भी कुछ किसान पुरानी आदत से दवा डाल रहे हैं, जो गलत है।

विश्वविद्यालय की सलाह है कि अभी कीटनाशक बिल्कुल न डालें। ये फसल को नुकसान पहुंचा सकता है और मिट्टी की उर्वरता भी घटा देगा। इसके बजाय खेत की नियमित जांच करें। अगर कीट दिखे तो ही जैविक तरीके अपनाएं, जैसे नीम का तेल। इससे फसल सुरक्षित रहेगी और पर्यावरण को भी फायदा होगा।

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जड़ गलन रोग से कैसे निपटें

जड़ गलन सरसों की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। पौधे बीजपतरी अवस्था में ही मुरझाने लगते हैं। जड़ों के पास सफेद फफूंद दिखाई देती है, और धीरे-धीरे पूरा पौधा सूख जाता है। ये दो-तीन फफूंदों का कम्बाइंड अटैक है। बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कार्बेंडाजिम का 0.1 फीसदी घोल। यानी एक ग्राम दवा को एक लीटर पानी में मिलाएं।

छिड़काव करते समय ज्यादा पानी यूज करें, ताकि जड़ें और मिट्टी पूरी तरह भीग जाएं। 15 दिन बाद अगर जरूरी हो तो दोबारा करें। विशेषज्ञ कहते हैं कि बीज बोने से पहले ही कार्बेंडाजिम से उपचार करें, तो रोग की जड़ें ही कट जाती हैं। इस साल विश्वविद्यालय ने किसानों को ऐसे उपचारित बीज दिए थे, जिससे कई खेतों में समस्या कम देखी गई। अगर आपके खेत में ये लक्षण दिखें तो तुरंत अमल करें, वरना नुकसान बढ़ेगा।

पत्तियों पर सफेद फफूंद का मतलब फूलिया रोग

पत्तियों के नीचे सफेद चादर-सी चढ़ जाना कोई नई बात नहीं। ये फूलिया रोग का संकेत है। पहले पत्तियां पीली पड़ती हैं, फिर सूखकर गिर जाती हैं। लेकिन डरिए मत, ये रोग काबू में है। मैंकोजेब यानी डाइथेन एम-45 या मेटलैक्सिल 4 फीसदी प्लस मैंकोजेब 64 फीसदी की दवा लें। 2.5 ग्राम दवा को एक लीटर पानी में घोलें और छिड़काव करें।

ये फफूंद को सीधे निशाना बनाएगी। अगर जड़ गलन और ये रोग साथ-साथ हों तो टैंक मिक्स्चर यूज करें कार्बेंडाजिम 0.1 फीसदी और मैंकोजेब 0.25 फीसदी। 15 दिन के गैप पर दोहराएं। वैज्ञानिकों का अनुभव है कि ये तरीका 70-80 फीसदी तक रोग रोक लेता है। बस समय पर पहचानें और दवा सही मात्रा में डालें। ज्यादा दवा से पौधे जल सकते हैं।

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सिंचाई के बाद उखड़ने वाली समस्या का आसान हल

पहली सिंचाई के बाद पत्तियां मुरझाना और पौधे उखड़ जाना आम शिकायत है। वजह है खेत में पानी जमा रहना। नमी ज्यादा होने से जड़ें सांस नहीं ले पातीं। सलाह साफ है – सिंचाई हल्की करें। जहां नमी ज्यादा है, वहां पहली सिंचाई 10 दिन लेट करें। अगर सिंचाई हो चुकी है और लक्षण दिख रहे हैं तो कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यूपी 1 ग्राम और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 0.3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। ये मिश्रण पौधे को ताकत देगा। खेत का जल निकास चेक करें, नालियां साफ रखें। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने पाया है कि सही सिंचाई से 20-25 फीसदी नुकसान बच जाता है।

ज्यादा पौधे मर गए तो क्या करें

अगर खेत में 30 फीसदी से ज्यादा पौधे सूख चुके हैं तो हार न मानें। 10 नवंबर तक दोबारा बुआई हो सकती है। विश्वविद्यालय में अच्छे बीज उपलब्ध हैं। इन्हें 2 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। नई बुआई में दूरी सही रखें, खाद संतुलित डालें। वैज्ञानिक कहते हैं कि देरी से बुआई में भी अच्छी पैदावार हो सकती है अगर रोग नियंत्रण सख्त हो। ये मौका छोटे किसानों के लिए वरदान है।

सरसों की फसल अब खतरे से बाहर आ सकती है अगर किसान भाई इन सलाहों पर अमल करें। हिसार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सालों की रिसर्च के आधार पर ये टिप्स दिए हैं। खेत की रोज जांच करें, दवा सही समय पर डालें। ठंड बढ़ रही है, लेकिन सतर्कता से कमाई भी बढ़ेगी। अगर आपके इलाके में भी ये समस्या है तो स्थानीय कृषि अधिकारी से संपर्क करें।

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  • Shashikant

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