Onion Nursery: किसान भाइयों, उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में नवंबर का महीना प्याज की नर्सरी शुरू करने का सबसे सही समय होता है। ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं, कोहरा सुबह-सुबह खेतों को ढक लेता है, और मिट्टी में नमी बनी रहती है। यही मौका है जब बीज बोया जाए तो 35-40 दिन में मजबूत पौधे तैयार होकर मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। प्याज की खेती में नर्सरी का महत्व सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि यहीं से फसल की नींव पड़ती है। आज इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि उत्तर भारत के मौसम, मिट्टी और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए नर्सरी कैसे तैयार की जाए।
नर्सरी के लिए जमीन और मिट्टी का चयन सावधानी से करें
प्याज की नर्सरी के लिए ऐसी जमीन चुनें जो ऊँची हो, पानी का निकास अच्छा हो और सूरज की रोशनी पूरे दिन मिले। उत्तर भारत में दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अगर मिट्टी ज्यादा अम्लीय है, तो 15-20 दिन पहले चूना छिड़क दें। नर्सरी क्षेत्र मुख्य खेत का दसवाँ हिस्सा रखें – यानी एक एकड़ मुख्य फसल के लिए 250-300 वर्ग मीटर नर्सरी पर्याप्त है। जमीन को तीन-चार बार हल चलवाकर भुरभुरा बनाएँ। पुरानी जड़ें, पत्थर और घास-फूस पूरी तरह साफ कर दें। इसके बाद अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएँ – 2 से 3 टन प्रति 100 वर्ग मीटर।
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उत्तर भारत के रबी सीजन के लिए प्याज की ऐसी किस्में चुनें जो ठंड सहन कर सकें और गांठ अच्छी बनाएँ। नरसी 24, पूसा रेड, पूसा व्हाइट राउंड, अग्रि फाउंड लाइट रेड और प्रो अग्री जैसी किस्में लोकप्रिय हैं। ये 120 से 150 दिन में तैयार हो जाती हैं और प्रति एकड़ 150 से 200 क्विंटल तक पैदावार देती हैं। बीज हमेशा प्रमाणित स्रोत से लें – सरकारी कृषि केंद्र, विश्वसनीय नर्सरी या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे IKISAN से। एक एकड़ मुख्य फसल के लिए 4 से 5 किलो बीज पर्याप्त है। बोने से पहले बीज को साफ करें और उपचारित करें। फफूंद से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम या थाइरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाएँ।
क्यारियाँ बनाने का तरीका और बीज बोने की तकनीक
नर्सरी में उठी हुई क्यारियाँ बनाएँ। चौड़ाई 1 से 1.2 मीटर, लंबाई 3 से 4 मीटर और ऊँचाई 10 से 15 सेंटीमीटर रखें। क्यारियों के बीच 40 से 50 सेंटीमीटर की नाली छोड़ें ताकि पानी का निकास हो और गुड़ाई आसान रहे। क्यारियाँ उत्तर-दक्षिण दिशा में बनाएँ ताकि सूरज की रोशनी पूरे दिन समान रूप से मिले। क्यारियों को समतल करें और ऊपर से महीन मिट्टी की परत चढ़ाएँ। बोने से एक दिन पहले क्यारियों को हल्का गीला कर दें। बीज बोते समय 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर उथली लाइनों में बोएँ। गहराई 1 से 1.5 सेंटीमीटर से ज्यादा न हो। बोने के बाद ऊपर से पतली मिट्टी या गोबर की खाद की परत चढ़ाएँ।
ध्यान रहे मिटटी की परत को पहले दिन एक परत छिडकाव के बाद दुसरे दिन भी एक परत छिडकाव कर दें, इससे प्याज के बीज फूटते समय उड़ते नहीं हैं और जमाव का प्रतिशत बढ़ जाता है पौधा बाद में सूखता नही है।
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सिंचाई और पोषण प्रबंधन का सही तरीका अपनाएँ
नर्सरी में पानी का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है। पहले हफ्ते में रोज हल्का पानी दें ताकि मिट्टी नम रहे। उसके बाद 3 से 4 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। उत्तर भारत की सर्दियों में ओस से प्राकृतिक नमी मिलती है, इसलिए ज्यादा पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर स्प्रिंकलर उपलब्ध है, तो उससे हल्की बौछार दें। खाद की बात करें तो गोबर की खाद के अलावा 15 दिन बाद नाइट्रोजन की हल्की मात्रा दें। यूरिया 5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से घोल बनाकर छिड़कें। ज्यादा नाइट्रोजन से पत्तियाँ ज्यादा बढ़ती हैं और गांठ का विकास रुक जाता है।
कीट और रोग प्रबंधन में सतर्क रहें
नर्सरी चरण में सबसे आम समस्या थ्रिप्स, कटवर्म और डैम्पिंग ऑफ रोग है। थ्रिप्स पत्तियों पर सफेद धब्बे बनाते हैं और पौधों को कमजोर करते हैं। बचाव के लिए नीम आधारित कीटनाशक हर 10 दिन में छिड़कें। डैम्पिंग ऑफ से बचने के लिए बोने से पहले मिट्टी में ट्राइकोडर्मा विरीडी 5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर मिलाएँ। अगर रोग दिखे, तो प्रभावित पौधों को तुरंत हटा दें और बाकी पर कॉपर आधारित फफूंदनाशक का छिड़काव करें। कटवर्म से बचाव के लिए क्यारियों के किनारे पर चोकर और गुड़ का मिश्रण रखें – कीड़े इधर आकर्षित होकर मर जाते हैं।
रोपाई की तैयारी और अंतिम देखभाल
नर्सरी में 35 से 40 दिन बाद पौधे 10 से 15 सेंटीमीटर ऊँचे हो जाते हैं और 4 से 5 पत्तियाँ निकल आती हैं। यही रोपाई का सही समय होता है। रोपाई से एक दिन पहले नर्सरी में अच्छा पानी दें ताकि पौधे आसानी से उखड़ें। पौधों को जड़ों सहित निकालें और छायादार जगह पर रखें। मुख्य खेत में 15 सेंटीमीटर पंक्ति दूरी और 7.5 से 10 सेंटीमीटर पौधा दूरी रखें। रोपाई शाम के समय करें और तुरंत हल्का पानी दें। नर्सरी से रोपाई तक का यह सफर सावधानी से पूरा करें तो प्याज की गांठें बड़ी और एकसमान बनती हैं।
प्याज की नर्सरी तैयार करना मेहनत का काम है, लेकिन सही तरीके से किया जाए तो पूरी फसल की सफलता यहीं से तय हो जाती है। 2025-26 रबी सीजन में अगर ये सभी बातें ध्यान में रखी जाएँ, तो 150 से 200 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार आसानी से हासिल की जा सकती है। बाजार में प्याज का भाव 20 से 35 रुपये प्रति किलो रहने की संभावना है, जिससे अच्छा मुनाफा होगा। किसी भी 단계 पर संदेह हो तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि अधिकारी से संपर्क करें। आपकी फसल लहलहाए, यही कामना है।
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