सेंटा गोभी की खेती ने बदल दी किस्मत! रामपुर के किसान की पूरी फसल खेत पर ही बिक गई, कम लागत में तगड़ी कमाई

रामपुर के एक छोटे से गांव में रहने वाले पप्पू सैनी की कहानी हर किसान भाई को प्रेरणा देगी, जहां सेंटा गोभी ने उनकी जिंदगी की दशा ही उलट दी। पहले गेहूं और सरसों की फसलों से मौसम और कीटों की मार झेलनी पड़ती थी, लेकिन अब 9 बीघा जमीन पर सेंटा गोभी उगाकर वे लाखों कमा रहे हैं। यह गोभी अपनी दूधिया सफेद रंगत, कसी हुई बनावट और मीठे स्वाद से बाजार की शान बनी हुई है।

पप्पू बताते हैं कि लोग खेत पर ही आ धमकते हैं, और पूरी फसल वहीं बिक जाती है न मंडी का झंझट, न कमीशन का नुकसान। सही तकनीक से यह फसल कम जोखिम वाली साबित हो रही है, जो अन्य किसानों के लिए भी एक बड़ा सबक है।

सेंटा गोभी का कमाल

सेंटा गोभी पारंपरिक गोभी से अलग है – इसकी चमकदार सफेद परत और मजबूत गुणवत्ता इसे बाजार में सबसे ऊंचे दाम दिलाती है। रामपुर जैसे इलाकों में यह हाल के सालों में लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से दवाइयों का खर्च बच जाता है। पप्पू सैनी ने अगस्त में बुवाई की, और 75 से 90 दिनों में फसल तैयार हो गई। नवंबर तक ताजी गोभी बाजार में पहुंच गई, जहां 20 रुपये प्रति किलो से ज्यादा कीमत मिली। एक बीघा से 10 क्विंटल उपज निकली, जो कुल 9 बीघा पर 90 क्विंटल बनी। इससे उनकी आमदनी पहले से कहीं ज्यादा हो गई, और जोखिम भी आधा रह गया।

ये भी पढ़ें- ₹50,000 की लागत से 10×10 के कमरे में मशरूम की खेती कैसे शुरू करें?

खेती का आसान तरीका

पप्पू सैनी की सफलता का राज है सही तैयारी। बुवाई से एक महीना पहले खेत की हल्की गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी बने। अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चुनें, और गोबर खाद मिलाकर उपजाऊ बनाएं। पौधों को 45×30 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं, ताकि वे फैल सकें और बड़े गोभी बनें। सिंचाई का ध्यान रखें सर्दियों में हल्का पानी ही काफी है, लेकिन मिट्टी सूख जाए तो तुरंत दें। कीटों और रोगों से बचाव के लिए नीम का देसी घोल या जैविक दवाएं इस्तेमाल करें। पप्पू कहते हैं, सही समय पर खाद और पानी देने से गोभी का आकार और वजन बढ़ जाता है, बाजार में लोग खुद आ जाते हैं।

बाजार का स्मार्ट जुगाड़

पप्पू सैनी की सबसे बड़ी चाल है डायरेक्ट सेलिंग। मंडी जाने की बजाय खेत पर ही खरीदार बुला लेते हैं शहरों से व्यापारी, रिटेलर और ग्राहक आते हैं। इससे 10-15 प्रतिशत कमीशन बच जाता है, और ताजी फसल का पूरा दाम मिलता है। 90 क्विंटल गोभी 20 रुपये प्रति किलो पर बिकने से उनकी जेब में 1.8 लाख से ज्यादा आ गए। पहले वाली फसलों से होने वाला नुकसान अब इतिहास है, क्योंकि सेंटा गोभी कम समय में तैयार हो जाती है और नुकसान का खतरा कम रहता है।

अन्य किसानों के लिए सलाह

पप्पू सैनी की नजर में सफलता का मंत्र है सही समय और देखभाल। गेहूं-सरसों से नुकसान होता था, लेकिन सेंटा गोभी ने सब बदल दिया। कम खर्च में ज्यादा कमाई है, वे कहते हैं। अन्य किसान भाई भी इसे आजमाएं – स्थानीय कृषि केंद्र से बीज और ट्रेनिंग लें। सही तकनीक से यह फसल छोटे खेतों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।

भाइयों, सेंटा गोभी जैसी फसल अपनाकर अपनी किस्मत खुद संवारें। रामपुर जैसे इलाकों में यह क्रांति ला रही है।

ये भी पढ़ें- नवंबर में लगा दें ये 4 पत्तेदार सब्जियां, नए साल से पहले खेत से बरसेंगे हरे-हरे ‘नोट’! जानें टॉप किस्में

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment