प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बड़ा बदलाव, अब से जंगली जानवरों से नुकसान और धान में जलभराव को भी मिलेगा कवर

केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 18 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में महत्वपूर्ण संशोधन की घोषणा की है। अब खरीफ 2026 सीजन से जंगली जानवरों द्वारा फसल को होने वाला नुकसान और धान की फसल में जलभराव (inundation) से होने वाली क्षति को योजना के तहत कवर किया जाएगा। यह बदलाव योजना की परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है और देशभर में वैज्ञानिक, पारदर्शी तथा व्यावहारिक तरीके से लागू होगा। इससे उन किसानों को बड़ी राहत मिलेगी जो जंगलों के निकटवर्ती क्षेत्रों या बाढ़ प्रभावित इलाकों में खेती करते हैं।

जंगली जानवरों से फसल नुकसान अब स्थानीय जोखिम के तहत कवर

देश के कई हिस्सों में हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण, बंदर जैसे जंगली जानवर फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। पहले यह नुकसान किसी भी फसल बीमा योजना में शामिल नहीं था। अब इसे स्थानीय आपदा (Localised Calamity) के तहत ऐड-ऑन कवर के रूप में जोड़ा गया है। राज्य सरकारें संवेदनशील जिलों और जंगली जानवरों की सूची तय करेंगी। नुकसान की रिपोर्टिंग Crop Insurance App के माध्यम से 72 घंटे के अंदर जियोटैग्ड फोटो के साथ करनी होगी। यह सुविधा ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड तथा पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों के लिए विशेष लाभकारी होगी।

धान की फसल में जलभराव को फिर से शामिल किया गया

धान उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश या नदियों के उफान से जलभराव एक बड़ी समस्या है। वर्ष 2018 में नैतिक जोखिम और क्षति आकलन की कठिनाई के कारण इसे योजना से हटा दिया गया था। अब इसे दोबारा स्थानीय आपदा कवर में शामिल किया जा रहा है। यह बदलाव तटीय और बाढ़ प्रभावित राज्यों जैसे ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा उत्तराखंड के धान किसानों को विशेष सुरक्षा प्रदान करेगा।

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योजना की मौजूदा प्रीमियम दरें और लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को प्रीमियम बहुत कम देना पड़ता है। खरीफ फसलों के लिए बीमित राशि का 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत तथा बागवानी एवं नकदी फसलों के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम किसान देते हैं। शेष प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी के रूप में वहन करती हैं। नये जोखिमों को शामिल करने से प्रीमियम दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा और यह कवर न्यूनतम अतिरिक्त लागत पर उपलब्ध रहेगा।

दावा प्रक्रिया और तकनीकी व्यवस्था

नुकसान का आकलन तकनीक आधारित होगा। किसान Crop Insurance App या पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज करेंगे। बीमा कंपनियां समयबद्ध तरीके से सर्वे कर दावा निपटाएंगी। मंत्रालय का कहना है कि नई व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी और राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने योग्य है।

यह संशोधन लाखों किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अब और भी समावेशी हो गई है तथा प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ स्थानीय जोखिमों से भी सुरक्षा प्रदान करेगी। किसान अगले खरीफ सीजन से इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए स्थानीय कृषि विभाग या PMFBY पोर्टल से संपर्क करें।

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  • Shashikant

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