प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तमिलनाडु के कोयंबटूर में आयोजित दक्षिण भारत प्राकृतिक कृषि शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त जारी की। इस किस्त के माध्यम से देशभर के लगभग 9.3 करोड़ पात्र किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की गई। प्रत्येक लाभार्थी को 2,000 रुपये की यह किस्त मिली जो सालाना 6,000 रुपये की सहायता का हिस्सा है। योजना के तहत अब तक कुल 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों तक पहुंचाई जा चुकी है। कुछ राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदाओं के कारण यह किस्त पहले ही प्रदान कर दी गई थी।
कोयंबटूर में आयोजित प्राकृतिक कृषि शिखर सम्मेलन
कोयंबटूर का यह कार्यक्रम दक्षिण भारत में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था। सम्मेलन में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पुडुचेरी सहित दक्षिणी राज्यों के 50,000 से अधिक किसान, कृषि वैज्ञानिक, ऑर्गेनिक इनपुट प्रदाता, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और ग्रामीण उद्यमी शामिल हुए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रसायन मुक्त खेती, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना और पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाना था। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक कृषि न केवल किसानों की लागत कम करती है बल्कि भूमि की सेहत भी सुधारती है। सम्मेलन में विभिन्न सत्रों में गोबर खाद, जीवामृत, बीजामृत जैसी देसी तकनीकों पर चर्चा हुई और कई राज्यों के सफल मॉडल प्रस्तुत किए गए।
पीएम-किसान योजना का उद्देश्य और प्रभाव
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना फरवरी 2019 में शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करके उनकी आय में स्थिरता लाना है। योजना के तहत पात्र भूमिधारक किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन किस्तों में दिए जाते हैं। पहली किस्त अप्रैल-जुलाई, दूसरी अगस्त-नवंबर और तीसरी दिसंबर-मार्च के बीच जारी की जाती है। यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से आधार लिंक्ड बैंक खातों में सीधे जाती है जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई है। योजना शुरू होने से अब तक 21 किस्तों में करोड़ों किसानों तक पहुंच चुकी हैं और यह दुनिया की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट स्कीमों में से एक है।
योजना से उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे बड़े कृषि प्रधान राज्यों के किसानों को सबसे अधिक लाभ मिला है। छोटे किसानों की खाद, बीज, सिंचाई और अन्य जरूरतों में यह राशि सीधा सहयोग करती है। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार योजना ने किसानों की आय में औसतन 20-25 प्रतिशत की वृद्धि करने में मदद की है।
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पात्रता मानदंड और जरूरी दस्तावेज
योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास स्वयं की कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए। संस्थागत भूमि मालिकों, सेवारत या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों, पेंशनधारी और आयकर दाता परिवारों को योजना से बाहर रखा गया है। पात्रता की जांच के लिए आधार कार्ड, बैंक खाता पासबुक और भूमि रिकॉर्ड आवश्यक हैं। नए किसान pmkisan.gov.in पोर्टल पर स्वयं रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं या नजदीकी सीएससी सेंटर की मदद ले सकते हैं।
ई-केवाईसी और स्टेटस चेक करने की प्रक्रिया
21वीं किस्त का लाभ प्राप्त करने के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य है। यदि ई-केवाईसी नहीं हुई है तो राशि रुक सकती है। ई-केवाईसी तीन तरीकों से पूरी की जा सकती है। पहला ऑनलाइन ओटीपी आधारित, दूसरा बायोमेट्रिक और तीसरा फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से। पोर्टल पर जाकर e-KYC विकल्प चुनें और आधार नंबर डालकर प्रक्रिया पूरी करें। स्टेटस जानने के लिए pmkisan.gov.in पर beneficiary status में रजिस्ट्रेशन नंबर या मोबाइल नंबर दर्ज करें। यदि राशि नहीं आई है तो हेल्पलाइन नंबर 155261 या 1800115526 पर संपर्क करें या पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।
योजना से जुड़ी अन्य सुविधाएं
पीएम-किसान के साथ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और फसल बीमा योजना को भी जोड़ा गया है। कई किसानों को केसीसी के माध्यम से आसान ऋण मिल रहा है। सरकार प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए अलग से परम्परागत कृषि विकास योजना चला रही है जिसमें ऑर्गेनिक खेती करने वालों को अतिरिक्त सहायता मिलती है। आने वाले समय में योजना को और पारदर्शी बनाने के लिए सैटेलाइट तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ाया जाएगा।
यह किस्त रबी सीजन की बुवाई के समय आई है जिससे गेहूं, चना, सरसों जैसी फसलों के लिए किसानों को सीधी मदद मिलेगी। योजना ने किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अधिक जानकारी या समस्या निवारण के लिए स्थानीय कृषि विभाग या आधिकारिक पोर्टल का उपयोग करें।
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